उत्तराखंड में कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ नवनिर्वाचित विधायकों के बागी तेवर एक बार फिर से सामने आ गए। कांग्रेस मुख्यालय में अपना दायित्व लेने आए करन मेहरा के कार्यक्रम से 11 विधायक नदारद रहे।
कांग्रेस उत्तराखंड में पतन की ओर जा रही है? ये सवाल पिछले विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद से उठने लगा था। अब फिर से नेताओं के आपस में मनमुटाव सामने आ गये हैं। करन मेहरा के पदभार कार्यक्रम में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि जब वो खुद इस्तीफा देना चाहते थे तो मंजूर नहीं किया, बाद में कहा गया कि इस्तीफा लिया गया है और नए अध्यक्ष करन मेहरा होंगे। उन्होंने प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव पर भी गंभीर आरोप लगाए।
पूर्व अध्यक्ष हरीश रावत ने मंच से बोल दिया कि कांग्रेस की नई टीम जिसे हाई कमान ने घोषित किया। उसमें गढ़वाल का एक भी नेता नहीं है। उल्लेखनीय है कि करन मेहरा के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और उपनेता विधायक दल भुवन कापड़ी कुमाऊं से हैं। करन मेहरा की ताजपोशी कार्यक्रम में 19 में से 11 विधायक शामिल नहीं हुए। प्रीतम सिंह, हरीश धामी, मदन बिष्ट, राजेन्द्र भंडारी, मयूख महर आदि विधायकों ने अपना बागी अंदाज जाहिर कर दिया है। हरीश धामी ने तो साफ कर दिया है कि वो अगला चुनाव कांग्रेस से नहीं लड़ेंगे।
करन मेहरा को समर्थन देने पहुंचे 8 विधायकों में नेता प्रतिपक्ष और उप नेता कांग्रेस विधायक दल के अलावा आदेश चौहान, वीरेंद्र कुमार, रवि बहादुर आदि के नाम शामिल हैं। अपने भाषण में करन मेहरा ने कहा कि उनकी कमेटी में जो काम करेगा वो रहेगा। जो विधायक हाई कमान के खिलाफ जाएंगे, उनके लिए अनुशासन समिति अपना काम करेगी। बहरहाल ये माना जा रहा है कांग्रेस का एक धड़ा उत्तराखंड में अपनी अलग डफली बजाएगा। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस में वैचारिक विभाजन निश्चित है।
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