योगी सरकार-2 में जैविक खेती की बढ़ावा देगी. जैविक खेती में वर्मी कंपोस्ट (केंचुआ खाद) गाय के गोबर, मूत्र और अन्य उत्पादों से बने उर्वरकों एवं कीटनाशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. जैविक उत्पादों को उचित मूल्य दिलाना भी जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए जरूरी है.
जैविक खेती के लिए किसानों के प्रशिक्षण और प्रदर्शन पर सरकार का खासा जोर है. इसी क्रम में गत दो वर्षों में 2,25,691 कृषकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जैविक खेती में गाय के गोबर, मूत्र और सींग से बनी खाद और कीटनाशकों की महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए प्रदेश के चार कृषि विश्वविद्यालयों और सभी 20 कृषि विज्ञान केंद्रों पर गो आधारित खेती का डिमांस्ट्रेशन कराया गया है.
जैविक उत्पादन का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार सभी मंडियों में अलग से जगह निर्धारित कर चुकी है. किसान गोबर, सरकार प्रति इकाई वर्मी कम्पोस्ट के लिए 5 हजार रुपए का अनुदान देती है. अगर कोई किसान जैविक खेती करना चाहता है तो सरकार की ओर से संबंधित किसान को प्रति एकड़, प्रति वर्ष की दर से क्रमशः 1800, 3000 और 2000 रुपए का अनुदान दिया जाता है.
केन्द्र पोषित परम्परागत कृषि विकास योजना एवं नमामि गंगे योजना के तहत जैविक जैविक खेती का क्रियान्वयन क्लस्टर अप्रोच (50 एकड) पर किया जा रहा है. इस योजना से गंगा किनारे के कानपुर नगर, रायबरेली, फतेहपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, मीरजापुर, वाराणसी, चंदौली, मुज्जफरनगर, हापुड़, मेरठ, अमरोहा, संभल, कन्नौज, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, चंदौली हैं. प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ नमामि गंगे परियोजना में आने वाले जिलों में प्राकृतिक खेती को सरकार प्रोत्साहन दे रही है.
प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना, नमामि गंगे एवं जैविक खेती सहित 95680 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अब तक 4754 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं. सरकार इस पर वर्ष 2021-22 तक 114.53 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. इससे 1.75 लाख कृषक लाभान्वित हो चुके हैं. भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत वर्ष 2021-22 में 35 जिलों में 3870380 हेक्टेयर रकबे पर जैविक खेती कराने की योजना है.
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