योगी सरकार निराश्रित गोवंश की सुरक्षा के साथ किसानों की फसलों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगी. इससे गोवंश के इधर-उधर घूमने की समस्या का समाधान हो जाएगा और किसानों की फसलों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. प्रदेश सरकार गोवंश की सुरक्षा और संरक्षण के इंतजाम को और पुख्ता करने जा रही है. गोवंश के संरक्षण के साथ ही केंद्रों को स्वावलंबी भी बनाया जाएगा.
प्रदेश सरकार की मंशा है कि गौ संरक्षण केंद्रों को पूरी तरह से स्वावलंबी बनाया जाए ताकि केंद्र अपनी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर न रहें, साथ ही प्रदेश में 20 वृहद गौ संरक्षण केंद्रों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा कराया जा रहा है. सरकार इस दिशा में भी प्रयास कर रही है शुपालकों की सुविधा के लिए पशुओं की आकस्मिक चिकित्सा द्वार पर पहुंचाई जाए. इसके लिए 78 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. साथ ही सरकार गो-अभ्यारण बनाने पर विशेष बल दे रही है. आवश्यक कार्रवाई के लिए विभाग को निर्देश दे दिए गए हैं.
मुख्यमंत्री निराश्रित व बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत कृषकों, पशुपालकों और अति कुपोषित परिवारों को एक-एक गाय और 900 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं. इससे एक तो पशुओं को रहने के लिए स्थान मिल रहा है, वहीं लोगों की आय भी बढ़ रही है. इसके साथ ही शहरी और ग्रामीण इलाकों में स्थायी और अस्थायी गौ संरक्षण केंद्र बनाकर गोवंश की सुरक्षा की जा रही है.
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 43,168 लोगों को 83,203 गोवंश उपलब्ध कराए गए. प्रदेश में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को मिलाकर कुल 5278 अस्थाई व स्थाई गोवंश आश्रय स्थल स्थापित किये गए . इनमें 5,86,793 गोवंश संरक्षित हैं. प्रदेश में मुख्यमंत्री गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत कुपोषित बच्चों के परिवारों को गाय दी गई है. प्रदेश के 68 जनपदों में वृहद गो संरक्षण केंद्र बनाए गए हैं.
बुंदेलखंड के 7 जनपदों में निराश्रित गोवंश के लिए 36 आश्रय स्थल का निर्माण किया गया है. इन आश्रय स्थलों के निर्माण में 10 करोड़ रूपये का खर्च आया है. वर्ष 2017-18 में मंडी परिषद से होने वाली आय पर एक प्रतिशत का सेस लगाया गया था . सेस लगाने के बाद 39 गोशालाओं को 7 करोड़ 80 लाख रूपये,गायों के संरक्षण के लिए दिए गये. वर्ष 2018 -19 में अन्य 15 गोशालाओं को एक करोड़ रूपये से अधिक योगदान दिया गया.
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