बिहार में जहानाबाद जिले के सुमेरा गांव के लोगों ने एक गरीब बिटिया की उच्च शिक्षा के लिए अनुकरणीय पहल की है। गांव वालों ने निर्णय लिया है कि बिटिया प्रियांशु की उच्च शिक्षा के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।
किसी व्यक्ति के निर्माण में समाज का बहुत बड़ा योगदान होता है। मेहनत जरूर उस व्यक्ति की होती है,लेकिन समाज किसी न किसी रूप में उसके निर्माण में एक बड़ी भूमिका निभाता है। इसका उक उदाहरण बिहार के जहानाबाद जिले में देखने को मिल रहा है। इस जिले के जहानाबाद में एक गांव है—सुमेरा। यहां की एक बेटी प्रियांशु कुमारी ने इस वर्ष की दसवीं की परीक्षा में कुल 472 अंक लाकर जिले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। अब वह उच्च शिक्षा ग्रहण कर सिविल सेवा में जाना चाहती है, आईएएस बनना चाहती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा है उसकी गरीबी।
बता दें कि प्रियांशु जब अपनी मां के गर्भ में ही थी तब उसके पिताजी इस दुनिया से चल बसे। इसके कुछ समय बाद उसके दादा भी नहीं रहे। अब घर में उसकी मां शोभा देवी और दादी सुमित्रा देवी हैं। गरीबी के कारण इनका गुजर—बसर ही मुश्किल से हो पाता है। ऐसे में मां और दादी प्रियांशु को पढ़ा नहीं सकती हैं, लेकिन प्रियांशु पढ़ना चाहती है। जब इसकी जानकारी गांव के एक सेवानिवृत्त सैनिक संतोष कुमार को हुई तो उन्होंने गांव के कुछ लोगों से प्रियांशु की पढ़ाई की बात की। उन्होंने पूर्व मुखिया दयानंद सिंह, जिला यूथ आइकॉन अमित कुमार और कुछ अन्य लोगों को समझाया। इसका सुपरिणाम यह हुआ कि इन लोगों ने प्रियांशु की पढ़ाई के लिए एक समिति बना दी। अब यह समिति प्रियांशु की पढ़ाई के लिए हर आवश्यक चीज उपलब्ध कराएगी।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव के प्रतिभाशाली बच्चों को आगे बढ़ाना समाज की जिम्मेदारी है और इस जिम्मेदारी को सभी के सहयोग से पूरा किया जाएगा।
जहानाबाद वही जिला है, जहां कभी नक्सलियों का बहुत अधिक प्रभाव था। 2005 से पहले इस जिले में शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था। इसका असर हर क्षेत्र पर पड़ता था। सबसे अधिक बच्चों की पढ़ाई बाधित होती थी। अब जब से नक्सली गतिविधियां खत्म हुई हैं, तब से यह जिला कई मायनों में दूसरे जिलों से आगे बढ़ गया है। शिक्षा के क्षेत्र में इस जिले में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। यहां के अनेक युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्टार्टअप के जरिए भी नया अध्याय लिख रहे हैं।
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