बिहार में भागलपुर के लाजपत पार्क में 5,00,000 से अधिक दीयों से उकेरी गई श्रीराम की आकृति। यह श्रीराम की सबसे बड़ी आकृति है। इससे पहले गुजरात में लगभग 2,00,000 दीयों से श्रीराम की आकृति बनाई गई थी।
कोरोना के कारण दो साल बाद इस वर्ष पूरे देश में भारतीय नव वर्ष, चैत्र नवरात्र और श्रीरामनवमी बहुत ही धूमधाम से मनाई जा रही है। कहीं—कहीं तो श्रीरामनवमी को अनूठे रूप में मनाया जा रहा है। एक ऐसा ही अनूठा कार्यक्रम बिहार के भागलपुर में हुआ। स्थानीय लाजपत पार्क में श्रीराम की लगभग 8000 वर्गफुट में आकृति उकेरी गई। इसके लिए 5,00,000 से अधिक कच्ची मिट्टी के दीयों का प्रयोग किया गया। इस आकृति को कला केंद्र, भागलपुर के पूर्ववर्ती और वर्तमान छात्रों ने मृत्युंजय कुमार और अनिल पंडित के नेतृत्व में उकेरा। कुल 25 कलाकारों ने लगभग एक सप्ताह इसके लिए दिन—रात मेहनत की। आयोजकों में से एक और भागलपुर के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अभय वर्मन ने बताया कि आकृति को उकेरने में ड्रोन कैमरे की मदद ली गई। जब भी एक भाग को पूरा किया जाता था, तब ड्रोन कैमरे से उसका चित्र लेकर उसी के सहारे दूसरे हिस्से में काम किया जाता था।
आकृति का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे, बिहार के उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद एवं कुछ अन्य गणमान्य लोगों ने किया।
भारतीय नव वर्ष आयोजन समिति, भागलपुर के संरक्षक अर्जित शाश्वत ने बताया कि 150 फीट लंबी इस आकृति में 12 प्रकार के रंगों का प्रयोग किया गया। इसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग लाजपत पार्क पहुंच रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम के दो उद्देश्य थे—एक आम लोगों को भारतीय नव वर्ष के प्रति जागरूक करना और दूसरा, पर्यावरण रक्षा का संदेश देना। उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर लाजपत पार्क में 75 पौधे भी लगाए गए।
बता दें कि श्रीराम जी की इतनी बड़ी आकृति इससे पहले कहीं नहीं बनाई गई थी। इसलिए इसे विश्व कीर्तिमान माना गया। इसके लिए गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकार्ड की टीम चैन्ने से भागलपुर आई थी। टीम ने दीपों की संख्या गिनकर बताया कि इसमें 5,08000 दीेपों का प्रयोग किया गया। कुछ साल पहले गुजरात में दीयों से एक आकृति बनी थी, जिसमें 2,00,000 से अधिक दीयों का इस्तेमाल किया गया था।
इसके साथ ही इस वर्ष देशभर में श्रीरामनवमी पर शोभायात्राएं बड़ी संख्या में निकाली जा रही हैं। स्थिति यह है कि कई स्थानों पर भगवा झंडे, गमछे और कपड़े की मांग बहुत अधिक बढ़ गई है।
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