उत्तराखंड के रास्ते होने वाली कैलाश मानसरोवर की यात्रा लगातार तीसरे वर्ष नहीं होने जा रही है। दो सालों तक कोविड महामारी की वजह से यात्रा नही हुई, इस साल यात्रा शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन चीन के दूतावास ने इस बार कोई स्वीकृति नहीं दी है। उत्तराखंड के लीपुपास होकर तिब्बत (चीन) के तकलाकोट के रास्ते हर साल करीब 500 यात्रियों को अपने यहां कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं को आने की अनुमति देता रहा है। इस यात्रा का भारत में आयोजन विदेश मंत्रालय के जरिए उत्तराखंड का कुमायूं मण्डल विकास निगम करता है। हर साल फरवरी में कैलाश यात्रियों के लिए आवेदन विदेश मंत्रालय द्वारा मांगे जाते हैं और लाटरी प्रकिया से यात्रियों का चयन किया जाता है।
कोविड 19 से लगी यात्रा पर रोक 2022 में भी नहीं खुल सकी है। विदेश मंत्रालय ने इस बार भी आवेदन नही मांगे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि चीन विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा के लिए इस साल भी हामी नहीं भरी है। बड़ी संख्या में देश-विदेश से हिन्दू तीर्थ यात्री हर साल कैलाश मानसरोवर दर्शन के लिए जाते हैं और चीन सरकार भारत के यात्रियों से 500 डॉलर का शुल्क भी वसूलती है।
राजनीतिक तौर पर यह भी कहा जा रहा है कि यात्रा के लिए अनुमति न दिए जाने के पीछे चीन-भारत की लद्दाख क्षेत्र में चल रही तनातनी भी एक कारण हो सकता है।
खबर है कि चीन ने नेपाल के रास्ते कैलाश यात्रा को अनुमति दे दी है। भारत के क्षेत्र लीपुपास के लिए यात्रा अभी तक हो रही थी और ये क्षेत्र नेपाल ने चीन की शह पर विवादित बना दिया था। बहरहाल भगवान भोले के निवास स्थान जाने के लिए उनके भक्तों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।
ओम पर्वत, आदि कैलाश जाएं शिव भक्त
कुमायूं मण्डल विकास निगम इस साल भारतीय क्षेत्र में व्यास घाटी में ओम पर्वत, आदि कैलाश, पार्वती ताल, व्यास गुफा, कुंती गांव आदि के लिए यात्रा शुरू करने जा रहा है। केएमवीएन के महा प्रबंधक एब्ज बाजपेयी ने बताया कि व्यास घाटी में सड़क बन जाने से इस बार जीप से यात्रा करवायी जाएगी। यात्रा पड़ावों को दुरुस्त करवाया जा रहा है, पहले करीब 70 किमी की पैदल यात्रा होती थी और 10 दिन का समय लगता था अब चार दिन में यात्रा सम्पूर्ण हो जाएगी।
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