मजहबी और पांथिक स्थलों में लाउडस्पीकर लगाए जाने को लेकर एक बार फिर से विवाद सामने आ रहे हैं, मुंबई में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना ने लाउडस्पीकर के जरिए अजान किये जाने के विरोध में मस्जिदों के आगे माईक पर हनुमान चालीसा पढ़े जाने का आंदोलन शुरू किया है। जिसके बाद ये मुद्दा फिर से गरमा गया है।
लाउडस्पीकर के जरिये अजान, प्रार्थना सभाओं के प्रसारण को लेकर साल 2000 में मोती लाल यादव द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर केंद्र सरकार ने ध्वनि प्रदूषण कानून में संशोधन करते हुए धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाने पर रोक लगा दी थी और यदि कोई लगाता भी है तो उसके लिए नगर प्रशासन से अनुमति अनिवार्य कर दी थी। ये अनुमति भी एक स्थान पर अधिकतम पंद्रह दिनों के लिए ही दिए जाने पा प्रावधान रखा गया था।
केंद्र सरकार ने पर्यावरण (संरक्षण) कानून एक्ट 1986 में ही संशोधन कर ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण) कानून में संशोधन किया था, जिसकी 5वीं धारा और नियम की उपधारा(2) में ये स्पष्ट है कि ध्वनि विस्तार यंत्रों को सार्वजनिक स्थानों पर लगाने की व्यवस्था को नियंत्रित किया गया है और इसकी अनुमति के लिए नगर प्रशासनिक अधिकारी को दायित्व दिया गया है। पर्यावरण संरक्षण 1986 की धारा 15 कानून नियम में ये भी कहा गया है कि यदि कोई इस कानून को तोड़ता है तो उसे पांच साल की सजा और एक लाख का जुर्माना देना पड़ सकता है।
मुंबई में राज ठाकरे की “मनसे” पार्टी ने इनदिनों रोजे के दिनों में अजान को लाउडस्पीकर के जरिये प्रसारित करने के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है और सरकार से इस पर प्रतिबंध लगाने को कहा है, “मनसे” ने लाउडस्पीकर के खिलाफ मस्जिदों के बाहर माईक पर हनुमान चालीसा का पाठ करने का अभियान छेड़ा है। मुंबई बीजेपी ने भी लाउडस्पीकर पर अजान देने का विरोध किया है। बीजेपी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वो मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। उधर देवबंद में मुस्लिमों के लिए फतवे जारी करने वाले, इत्तेहाद उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती असद ने कहा है कि लाउडस्पीकर से अजान देने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए, यदि कोई माइक पर हनुमान चालीसा भी पढ़ता है तो ये उसकी इच्छा है, लेकिन हमें लाउडस्पीकर पर कोई अजान देने से रोक नहीं सकता।
पिछली योगी सरकार के कार्यकाल में भी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शासन को ये निर्देश दिए थे कि सर्वोच्च न्यायालय के 2000 के आदेशों के तहत धार्मिक स्थलों से ध्वनि प्रसारण यंत्रों को बन्द कराया जाए। जिसके बाद से पूरे उत्तर प्रदेश में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों से लाउडस्पीकर उतार दिए गए था। ऐसा अन्य राज्यों ने भी किया था। अब मुंबई महाराष्ट्र में यह मुद्दा फिर से गरमा गया है और ऐसा इसलिए हुआ है कि मुंबई की हर मस्जिदों से ध्वनि प्रसारण यंत्रों से ध्वनि प्रदूषण फैलाते हुए अजान हो रही है। इन दिनों स्कूली बच्चों के इम्तेहान के दिन हैं। इस मुद्दे को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और बीजेपी ने मुद्दा बना कर शिवसेना कांग्रेस एनसीपी गठबंधन सरकार को घेरने की कोशिश की है।
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