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कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा से बदलेगी बैंकिंग

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Mar 30, 2022, 07:41 am IST
in भारत, मत अभिमत, दिल्ली
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

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वित्तीय क्षेत्र में आधुनिक दौर के अवसरों का लाभ उठाने और चुनौतियों से निपटने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और क्वान्टम कंप्यूटिंग जैसी तकनीक की बड़ी भूमिका होगी

वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और क्वान्टम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों को अब ड्राइविंग सीट संभालनी होगी ताकि आधुनिक दौर के अवसरों और चुनौतियों, दोनों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। ग्राहकों के बरताव तथा गतिविधियों  पर नजर रखने तथा उनका विश्लेषण करने वाली तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अहम भूमिका है। आपने संभवत: बिग डेटा नामक अवधारणा के बारे में सुना होगा जिसका अर्थ यह है कि आज डिजिटल माध्यमों पर लोगों की गतिविधियों के आधार पर अपरिमित आकार में सूचनाएं पैदा हो रही हैं। उनका सही ढंग से विश्लेषण किया जाए तो आर्थिक, राजनैतिक, सुरक्षात्मक तथा ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में बेहतरीन परिणाम पाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह बात वित्तीय क्षेत्र पर भी लागू होती है जहां ऐसे डेटा का विश्लेषण करके बैंक न सिर्फ अपने कारोबार को बढ़ा सकते हैं बल्कि अच्छे और सुरक्षित ग्राहकों तक पहुंच सकते हैं। 

डेटा विश्लेषण के क्षेत्र में प्रीडिक्टिव एनालिसिस का अक्सर जिक्र होता है जिसके तहत यह भविष्यवाणी की जा सकती है कि किन लोगों को कर्ज की जरूरत हो सकती है, कौन-से लोग दूसरे स्थान से लिये गए कर्ज को ट्रांसफर करवाना चाहते होंगे और कौन-से लोग आने वाले वर्षों में इस तरह की जरूरत से गुजरेंगे। इसी तरह यह भी कि किन लोगों की परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं और उन्हें कर्ज देना घाटे का सौदा सिद्ध हो सकता है।

धोखाधड़ी की रोकथाम में भी इन तकनीकों का उत्कृष्ट इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि एक तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एक ही तरह के पैटर्न (ढर्रे) को पहचानने की क्षमता है और दूसरे, वह उनके समाधान के लिए कौन-से तरीके कारगर सिद्ध हो सकते हैं, उनकी ओर भी संकेत कर सकती है। अगर धोखाधड़ी से जुड़े किसी पैटर्न को आगे कभी किसी अपराधी द्वारा दोहराया जाता है तो यह प्रौद्योगिकी सुरक्षा तंत्र को सचेत कर सकती है और भुगतान प्रणालियों को रोक सकती है। याद रहे, सन् 2020 में आॅनलाइन धोखाधड़ियों के जरिए विभिन्न कंपनियों को करीब 56 अरब डॉलर या लगभग 42 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया। आजकल रैंसमवेयर जैसे खतरे आ खड़े हुए हैं जो वित्तीय क्षेत्र को पंगु बनाने की क्षमता रखते हैं। बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कंपनियों के साथ-साथ सरकारें भी इस खतरे से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। 

धनशोधन जैसे अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधी बहुत शातिर माने जाते हैं और तकनीकी दृष्टि से भी वे बेहद सक्षम हैं। उनकी गतिविधियों को पहचानने में पारंपरिक तौर-तरीके और मौजूदा तकनीकें कमजोर साबित हो रही हैं। नतीजा? कृत्रिम बुद्धिमत्ता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसे लोगों की संदेहास्पद गतिविधियों को ‘सूंघ’ सकती है। यही बात पहचान की चोरी, क्रेडिट कार्डों के दुरुपयोग आदि पर लागू होती है। मिसाल के तौर पर किसी के क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल एक ही समय पर अनेक स्थानों पर किया गया हो या फिर ऐसी जगह से जहां संबंधित व्यक्ति के मौजूद होने की संभावना न के बराबर हो तो सिर्फ तकनीक ही है जो तुरंत ऐसे अपराधों की ओर इशारा कर सकती है। ग्राहकों को सेवाएं उपलब्ध कराने में आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस चैट बॉट की भूमिका बढ़ रही है। ये ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जो पहले से मौजूद डेटा तथा ग्राहक द्वारा पूछे जाने वाले सवालों का ठीक उसी समय पर विश्लेषण करके उनके जवाब देने में सक्षम हैं। आपने संभवत: कुछ वेबसाइटों पर एक बॉक्स देखा होगा जिसमें लिखा होता है- मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं? अनेक बैंकों की वेबसाइटों पर भी ऐसे बॉक्स दिखाई देंगे। यही चैट बॉट हैं जिन्हें आप बिना शक्ल के रोबोट के रूप में समझ सकते हैं। ये चैट बॉट एक ही समय पर हजारों-लाखों उपभोक्ताओं की जिज्ञासाओं, सवालों तथा सामान्य दुविधाओं का समाधान कर सकते हैं। 

आगे जिन पांच प्रमुख क्षेत्रों में हमें प्रौद्योगिकी की बदौलत लगातार बदलाव और नवाचार देखने को मिलेगा, उनमें से पहला क्षेत्र है- वित्तीय क्षेत्र के कामकाज को और भी अधिक तेज-रफ़्तार, सुरक्षित और सुसंगठित बनाना। दूसरा-नई संभावनाओं की तलाश, पहचान और उन्हें अवसरों में बदलना। तीसरा यह कि ग्राहकों से संपर्क की बची-खुची दीवारें और सीमाएं भी आने वाले दिनों में खत्म हो जाएंगी। चौथा बड़ा क्षेत्र है-वित्तीय प्रक्रियाओं को लोगों की पृष्ठभूमि और बरताव के साथ जोड़कर देखने की क्षमता जो बड़े बदलाव ला सकती है। अंतिम क्षेत्र साइबर सुरक्षा का है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता के पद पर कार्यरत हैं।)

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