दिब्य कमल बोरदोलोई
प्रवासी मुस्लिम समर्थित राजनीतिक दल एआईयूडीएफ का दावा है कि वह 2026 में असम में सरकार बनाएगा। एआईयूडीएफ के अध्यक्ष सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि पार्टी अब असमिया आबादी वाले ऊपरी असम पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हम असम में दूसरी सबसे बड़ी और मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में कांग्रेस की जगह लेना चाहते हैं। लोग जल्द ही ऊपरी असम में मेरी तस्वीरें देखेंगे।
एआईयूडीएफ के वरिष्ठ नेता और विधायक करीमुद्दीन बरभुयान का दावा है कि पार्टी 2026 या 2031 में सरकार बनाएगी। अगर बदरुद्दीन अजमल को स्थानीय असमिया नेता के लिए मुख्यमंत्री पद का त्याग करना पड़ा, तब भी एआईयूडीएफ असम में अपनी सरकार बनाएगी। अजमल और एआईयूडीएफ नेताओं के दावों पर सीएम हिमंत विश्व शर्मा ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम ने कहा कि उनका दावा ऊपरी असम में रहने वाले लोगों के लिए मजाकिया हो सकता है, लेकिन उन लोगों के लिए जो निचले असम जिलों जैसे बारपेटा, धुबरी, दरांग या नागांव में रहते हैं और बराक घाटी, यह एक वास्तविकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इनमें से अधिकांश जिलों में असम के लोगों ने बांग्लादेश मूल के मुसलमानों की आक्रामकता के चलते अपने राजनीतिक अधिकार खो दिए हैं।
बदरूद्दीन अजमल के नेतृत्व में एआईयूडीएफ का गठन 2006 के असम विधानसभा चुनाव से पहले प्रवासी मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए किया गया था। वर्तमान में पार्टी के पास विधानसभा में 16 विधायक और कांग्रेस के सहयोगी हैं। निचले, मध्य और दक्षिणी असम के 42 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रवासी मुसलमानों का वर्चस्व है। लेकिन प्रवासी मुसलमानों की तीव्र जनसंख्या वृद्धि और निरंतर जनसांख्यिकीय परिवर्तन असमिया लोगों के राजनीतिक अधिकारों के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।
हाल ही में मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने बैठक में कहा कि असम में अब मुसलमान सबसे बड़ा समुदाय है। उनकी संख्या 1.25 करोड़ से अधिक है जो असम में रहने वाले किसी भी अन्य समुदाय की तुलना में बहुत अधिक है। बहुसंख्यक समुदाय होने के नाते अब मुसलमानों को अल्पसंख्यक असमिया की संस्कृति को संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
भारतीय समाज का हिस्सा होना ही
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