भाजपा के विधायक संजय कुमार सिंह ने कहा है कि बिहार में समान नागरिक संहिता नहीं होने के कारण शरियत की आड़ में कई अपराध होते हैं। बिहार बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। यहां हर कोने से 'स्लीपर सेल' को बहाल करने का काम चल रहा है। बिहार के कई मदरसे आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाये गये हैं। जब भी किसी संदिग्ध व्यक्ति पर कार्रवाई की जाती है तो सारे संगठन एक साथ खड़े हो जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले पटना उच्च न्यायालय के कामकाज में भी बाधा मस्जिद की अजान और तकरीर से हुई थी। जब इसका संज्ञान लेते हुए पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने लाउडस्पीकर उतारने का निर्देश दिया तो एक कौम सड़कों पर उतर कर उग्र हो गई थी। पटना उच्च न्यायालय के बिल्कुल बगल में एक ऊंची इमारत बन रही है। तर्क यही दिया जाता है कि यह शरियत का मामला है। शरियत कानून सबसे ऊंचा है। विधायक संजय कुमार सिंह ने कहा कि भविष्य में न्यायालय से ऊंचा वक्फ बोर्ड न हो इसलिए आवश्यक है कि बिहार में समान नागरिक संहिता लागू हो।
उल्लेखनीय है कि किशनगंज के तत्कालीन सांसद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटि के चेयरमैन मो. शहाबुद्दीन ने ही बहुचर्चित शाहबानो मामले में शरियत की दलील दी थी। मो. शहाबुद्दीन के कारण ही न्यायालय के निर्णय को पलट दिया गया था और गरीब शाहबानो को दर-दर पर भटकने के लिए संसद ने छोड़ दिया था। अगर समान नागरिक संहिता लागू होती तो कोई शाहबानो सड़कों पर भीख मांगने को विवश नहीं होती। बिहार में कोई यासीन भटकल नहीं पलता और न ही बांका के नवटोलिया स्थित मदरसे में भीषण बम धमाका होता। सरकार अगर समय रहते यथाशीघ्र समान नागरिक संहिता नहीं लागू करेगी तो बिहार की स्थिति और भी भयावह होगी।
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