बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 24 मार्च को विधानसभा में अपने बजट भाषण के कहा है कि पटना चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (पीएमसीएच) दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनने जा रहा है। उन्होंने बताया कि पीएमसीएच परिसर में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इंदिरा गांधी सेंट्रल इमरजेंसी में 110 बिस्तर की आकस्मिक सेवाओं का संचालन फिर से शुरू किया जा चुका है। इसमें चार अत्याधुनिक ऑपरेशन थियेटर भी उपलब्ध हैं। पीएमसीएच के अलावा राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल में भी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। वर्तमान समय में राज्य में 20 मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल हैं। इससे पहले राजद के शासन काल में 8 मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल हुआ करते थे। कांग्रेस के शासनकाल में संयुक्त बिहार में सिर्फ 6 मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल ही थे।
पीएमसीएच अंग्रेजों के समय में प्रारंभ हुआ था। पूर्व में इसका नाम प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल हुआ करता था। इसकी स्थापना की कहानी भी अनूठी है। ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम ने अपने बेटे प्रिंस ऑफ वेल्स के साथ अक्तूबर, 1921 से मार्च, 1922 तक भारत की यात्रा की थी। 22 दिसंबर, 1921 की सुबह वे नेपाल से ट्रेन और स्टीमर के जरिए पटना पहुंचे थे। उनका भव्य स्वागत गांधी मैदान में किया गया। इस यात्रा के चार साल बाद संयुक्त बिहार का पहला मेडिकल कॉलेज- द प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज- 1925 में यहां स्थापित किया गया। 25 फरवरी, 1927 को इसका औपचारिक उद्घाटन राज्य के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर सर हेनरी व्हीलर ने किया था। महात्मा गांधी की पोती की चिकित्सा भी यहां हुई थी। स्वतंत्रता के कुछ वर्ष बाद इसका नाम बदलकर पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल कर दिया गया। यहां की चिकित्सा व्यवस्था कभी भारत में सबसे अच्छी मानी जाती थी। युवा तुर्क के रूप में विख्यात पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की चिकित्सा भी 60 के दशक में यहां हुई थी। वह पीएमसीएच का स्वर्णिम समय था।
इस मेडिकल कॉलेज ने विश्व को कई ख्यातनाम चिकित्सक दिए। प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ पद्मभूषण डॉ.दुखन राम, प्रख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ पद्मभूषण बी. मुखोपाध्याय, प्रख्यात चिकित्सक पद्मश्री एस. एन. आर्या, प्रख्यात चिकित्सक एवं पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री पद्मश्री डॉ. सी. पी. ठाकुर, गरीबों के डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध डॉ. शिवनारायण सिंह, डॉ. विनय शर्राफ जैसे कई विख्यात चिकित्सकों ने यहीं से चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई की है। बाद के समय में यहां की स्थिति बिगड़ती चली गयी। राजद के शासन काल में तो यहां की स्थिति दयनीय थी। अब पुनः यहां की स्थिति ठीक होने लगी है। परिसर में इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ हार्डियोलॉजी भी है जो हृदय रोग के लिए न सिर्फ राज्य बल्कि भारत की एक महत्वपूर्ण संस्था है।
टिप्पणियाँ