पश्चिम यूपी के खेतों में पोटाश और फॉस्फोरस की मात्रा में कमी होती देखी जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी मिट्ठी के नमूनों की जांच के आधार पर दी है और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जरूरत से ज्यादा सिंचाई करना बताया है।
कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े कृषि वैज्ञानिक सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मुजफ्फरनगर, सहरानपुर, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद और उत्तराखंड के रुड़की, काशीपुर क्षेत्रों से कृषिभूमि की मिट्टी के 1673 नमूने लिए गए थे, जिनमें 95 फीसदी नमूनों में पोटाश और फॉस्फोरस की कमी पायी गयी है। उन्होंने बताया कि प्रति हेक्टेयर 180 से 280 किलो पोटाश होनी चाहिए, जबकि यहां 110 से ज्यादा नहीं पायी जा रही। इसी तरह खेतों में 15 से 25 किलो फास्फोरस की मात्रा होनी चाहिए जोकि घट कर 12 रह गयी है।
सुरेंद्र कुमार ने बताया कि खेतों को केवल नमी चाहिए, लेकिन किसान जरूरत से ज्यादा पानी सिंचाई में उपयोग करने लगे हैं, जिसकी वजह से पानी के साथ फॉस्फोरस और पोटाश नीचे चला गया है। उन्होंने कहा कि किसानों को अब जैविक खाद का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना होगा अन्यथा फसलों में पीलापन आएगा और उसके उचित दाम नहीं मिलेंगे। कृषि वैज्ञानिक कुमार ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को इस आशय की रिपोर्ट्स भी भेज दी गयी है, ताकि वो अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों को जागरुक करें। उन्होंने कहा कि ये महत्वपूर्ण रिपोर्ट है क्योंकि पिछले दो सालों से धान और अन्य फसलों में पीलापन देखा गया था, जिसके बाद कृषि भूमि की मिट्टी की जांच के लिए अलग-अलग स्थानों से नमूने लिए गए थे।
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