पाकिस्तान में इन दिनों भूचाल आया हुआ है। राजनीति के गलियारे सरगर्मियों से सराबोर हैं। विपक्षी दलों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में क्या होगा, क्या नहीं इसे लेकर कयासों का बाजार गर्म है। लेकिन इस प्रस्ताव के आने से पहले प्रधानमंत्री इमरान खान को उन्हीं के सहयोगी दल पीएमएल-क्यू ने जोर का झटका दे दिया है। इस दल, पीएमएल क्यू के वरिष्ठ नेता की कही बात इमरान को अलग बेचैन किए हुए है। पीएमएल के नेता परवेज इलाही ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि इमरान खान की सरकार में सहयोग दे रहे अन्य कई दल भी विपक्ष की तरफ पींगें बढ़ा रहे हैं। इलाही के ऐसा कहने के बाद तो इमरान के मैनेजर भी पसोपेश में हैं।
पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी की इमरान सरकार जिन साथी दलों के साथ अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का मन बना रही थी अब इस सांसत में है कि उसकी गिनती पूरी कैसे होगी। पीएमएल-क्यू के नेता परवेज इलाही कहते हैं कि अब ये इमरान खान की जिम्मेदारी है कि वे तमाम सहयोगी दलों को फिर से अपने पाले में लाएं।
परवेज इलाही का यह भी मानना है कि समर्थन का भरोसा देने के लिए अब प्रतिनिधिमंडल भेजने का वक्त नहीं रहा है। उल्लेखनीय है कि परवेज इलाही की पार्टी पीएमएल-क्यू केंद्र तथा पंजाब की विधानसभा में इमरान खान की पार्टी को सहयोग दे रही है। परवेज का यह भी मानना है कि विपक्षी गठबंधन की तीनों पार्टियां जमीयत, पीएमएल-एन तथा पीपीपी इस गठबंधन को लंबे समय तक चला सकती हैं जो स्थिर रहेगा। परवेज का यूं विपक्षी गठबंधन की तारीफें करना भी सत्तारूढ़ दल के नेताओं को रास नहीं आ रहा है।
एकजुट विपक्षी गठबंधन 172 वोट के साथ इमरान सरकार को गिरा सकता है। बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में फिलहाल 341 सदस्य हैं, एक सीट रिक्त है। हालांकि पाकिस्तान की सेना ने कहा तो है कि वह इस सियासी मामले से खुद को दूर रखेगी, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इमरान सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी होनी तय ही है।
लेकिन इमरान ने भी अपने तेवर तीखे बनाए हुए हैं। उनका कहना है कि भ्रष्टाचारी विपक्ष दलों की बजाय जनता उनका समर्थन करेगी। ध्यान रहे कि अब अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। और ऐसे में परवेज इलाही का ऐसा बयान आना खतरे की घंटी माना जा रहा है।
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अभी तक इमरान सरकार के समर्थन में दिखने वाली पार्टियों बीएपी, एमक्यूएम-पी और पीएमएल-क्यू ने हालांकि अभी तक कोई तय रुख नहीं दिखाया है। जनता के समर्थन की उम्मीद जताने वाले प्रधानमंत्री इमरान ने अपने सलाहकारों की सलाह पर अविश्वास प्रस्ताव से ऐन पहले 27 मार्च को इस्लामाबाद में एक विशाल रैली आयोजित की है।
विशेषज्ञों द्वारा ऐसा माना जा रहा है कि इस रैली में इमरान खान अपनी ताकत का प्रदर्शन करके विपक्षी दलों को अपने प्रभाव से बेचैन करने की तैयारी में हैं। इमरान के सहयोगी दल आपस में बातचीत करके किसी नतीजे पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। वह फैसला क्या होगा, इसे जानने के लिए उनके समर्थक ही नहीं, पीटीआई के नेता भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
यहां देखने वाली बात है कि इमरान की सहयोगी पार्टियां बीएपी, एमक्यूएम-पी तथा पीएमएल-क्यू के नेशनल असेंबली में 17 सांसद हैं। इन्हें मिलाकर इमरान सरकार के पास 179 वोटों का समर्थन माना जा रहा है। लेकिन अगर कहीं ये सहयोगी दल अपने बयानों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन के पाले में जा बैठे तो इमरान की सरकार के पाले में कुछ 162 वोट रह जाएंगे।
ऐसा हुआ तो एकजुट दिख रहा विपक्षी गठबंधन 179 वोटों तक का समर्थन पा जाएगा जबकि 172 वोट के साथ ही विपक्षी इमरान सरकार को गिरा सकते हैं। बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में फिलहाल 341 सदस्य हैं, एक सीट रिक्त है। हालांकि पाकिस्तान की सेना ने कहा तो है कि वह इस सियासी मामले से खुद को दूर रखेगी, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो इमरान सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी होनी तय ही है। सब जानते हैं कि इमरान सत्ता में सेना के सहयोग से ही आए थे।
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