दिब्य कमल बोरदोलोई
कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को दर्शाती फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" को देखने के लिए असम में आधे दिन की छुट्टी की घोषणा की गई है। वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार शाम कैबिनेट मंत्रियों के साथ यह फिल्म देखी। फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि असम के हालात कश्मीर से ज्यादा बेहतर नहीं हैं, लेकिन असम के लोग किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। कश्मीरी पंडितों ने अपनी सुरक्षा के लिए तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर देखा, लेकिन उन्हें इससे इंकार कर दिया गया था। असम के लोग अब राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक और एकजुट हैं और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
मुख्यमंत्री, उनके सभी कैबिनेट सहयोगी और सत्तारूढ़ गठबंधन भाजपा, एजीपी और यूपीपीएल के सभी विधायक मंगलवार शाम गुवाहाटी में फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" देखी। नब्बे के दशक में कश्मीरी पंडितों के जनसंहार पर आधारित फिल्म देखने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने कहा, "फिल्म देखकर मैं बहुत भावुक हो रहा हूं। निर्देशक आशुतोष अग्निहोत्री और उनकी टीम ने कश्मीरी पंडितों की कहानी को सेल्युलाइड में सफलतापूर्वक कैद किया। मैं उन सभी को बधाई देता हूं। 90 के दशक में अकल्पनीय अत्याचार और नरसंहार के कारण हजारों कश्मीरी पंडित बेघर हो गए थे। यह इतिहास का एक काला अध्याय था जो मानवता के विपरीत था।"
मुख्यमंत्री ने असम के लोगों से फिल्म देखने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह कश्मीरी पंडितों द्वारा किए गए बलिदान और सनातन पीठ कश्मीर पर इस्लामवादी द्वारा किए गए हमले की सच्ची कहानी है। इस बीच सीएम ने सभी सरकारी कर्मचारियों को सिनेमा हॉल में फिल्म देखने के लिए आधे दिन की छुट्टी की घोषणा की। केवल उन्हें अपने कार्यालय में फिल्म का टिकट जमा करना होगा। सांसद बदरूद्दीन अजमल की फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर उन्होंने कहा कि फिल्म किसी मजहब के खिलाफ नहीं है। यह सच्चे तथ्यों और आंकड़ों पर आधारित है और इस्लामी आतंकवादियों के बर्बर अत्याचारों के खिलाफ है। आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता और अगर अजमल फिल्म देखेंगे तो उनकी आत्मा कश्मीरी पंडितों के लिए रोएगी।
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