दिव्य कमल बोरदोलोई
भारतीय जनता पार्टी पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 32 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। वर्ष 2014 से भाजपा ने पूर्वोत्तर क्षेत्र की राजनीति को बदलना शुरू किया। भाजपा ने तब तक लगभग हमेशा अशांत और अलग-थलग रहने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र को ‘कांग्रेस मक्त’ बनाने की कसम खाई थी, जो 2016 में असम विधानसभा चुनाव में भारी जीत के साथ शुरू होकर क्षेत्र में स्थित हर राज्य के चुनाव के साथ सच होता जा रहा है।
भाजपा ने 2017 में मणिपुर में पिछले विधानसभा चुनाव में 36.6 प्रतिशत मत हासिल करते हुए 21 सीटें जीत कर सभी को चौंका दिया था। भाजपा ने तब एनपीपी और एनपीएफ के साथ मिलकर सरकार बनाई। इससे पूर्व तक भाजपा की मणिपुर में कोई राजनीतिक जमीन नहीं थी। 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को महज 2.12 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे और कोई सीट नहीं मिली थी। इस लिहाज से 2017 में भाजपा का 21 सीटें पाना और सरकार बनाना ऐतिहासिक था। इस बार भाजपा ने और आगे बढ़ते हुए 37.83 प्रतिशत मत प्राप्त करते हुए अकेले बहुमत का आंकड़ा पार कर 32 सीटें जीती हैं।
कई दशकों तक राज्य पर शासन करने वाली कांग्रेस महज 5 सीटें जीत सकी है। भाजपा की पूर्व गठबंधन सहयोगी एनपीपी ने 7 और एनपीएफ ने 5 सीटें जीती हैं। दिलचस्प यह है कि जद (यू) ने अपने पहले प्रयास में 6 सीटें जीती हैं।
मणिपुर में भाजपा की अभूतपूर्व जीत पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केवल चार शब्द कहे, ‘भारत माता की जय’। बीरेन सिंह की यह प्रतिक्रिया मणिपुर में आए बदलाव की कहानी कहती है। कांग्रेस के लंबे शासन के दौरान मणिपुर राज्य आतंकवाद, उग्रवाद, भ्रष्टाचार और विभाजनकारी राजनीति का केंद्र बन गया था। कांग्रेस शासन के दौरान संचार की कमी, विकास न होना, नाकाबंदी, उग्रवाद राज्य के लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया था। भाजपा सरकार ने पिछले पांच वर्षों में मणिपुर में आतंकवाद की समस्या पर काफी हद तक सफलतापूर्वक अंकुश लगाया है। नाकाबंदी मुक्त मणिपुर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्य के लोगों से किया गया एक वादा था। एन. बीरेन सिंह नीत भाजपा सरकार ने मणिपुर में नाकाबंदी संस्कृति को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया।
भाजपा ने 2017 में एक विकसित और शांतिपूर्ण मणिपुर का वादा किया था। पिछले पांच साल में डबल इंजन वाली भाजपा सरकार ने 2017 के चुनाव के दौरान किए गए वादों को पूरा करने की कोशिश की और राज्य में बड़े बदलाव किए। इस छोटे से पूर्वोत्तर राज्य में भाजपा सरकार द्वारा राष्ट्रीय गति से रेल, सड़क, हवाई और इंटरनेट कनेक्टिविटी की स्थापना की गई, जो मणिपुर के लोगों के लिए एक सपने जैसा था। राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार ने मणिपुर के खोए हुए ऐतिहासिक गौरव को ऊपर उठाने की कोशिश की, जिसकी गर्वीले मणिपुरी नागरिकों ने सराहना की। मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए अंडमान में माउंट मणिपुर की स्थापना केंद्र सरकार के उन कदमों में से एक है जिसने मणिपुर में भाजपा की भारी जीत में मदद की।
मणिपुर की पहाड़ी और घाटी के बीच कांग्रेस द्वारा निर्मित विभाजन राज्य के प्रमुख राजनीतिक मुद्दों में से एक था। राज्य के पहाड़ी क्षेत्र और घाटी के बीच के अंतर को कम करने के लिए भाजपा सरकार ने 'गो टू हिल' मिशन शुरू किया। परिणाम से पता चला है कि भाजपा के सुशासन को मणिपुर के नगा जनजातियों के प्रभुत्व वाले पहाड़ी जिलों ने हाथों-हाथ लिया है। भाजपा ने पहाड़ी क्षेत्र में 8 सीटें जीती हैं। भाजपा की जीत में समय पर सेवाओं के वितरण का भी बड़ा योगदान रहा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ए. शारदा देवी ने इस भारी जीत को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह नीत भाजपा सरकार के विकास और सुशासन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व के करिश्मे की जीत करार दिया।
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