रूस—यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन के सबसे युवा सांसद ने खुलेदिल से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा के पुल बांधे हैं। उन्होंने मोदी द्वारा तत्परता से यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजने पर उनका आभार व्यक्त किया है। साथ ही युवा यूक्रेनी सांसद ने रूस के आक्रमण के बीच दुनिया से मदद की फिर से गुहार की है। साथी ही उन्होंने भारत से अनुरोध किया है कि वह रूस के साथ अपने संबंधों पर फिर से विचार करे।
यूक्रेन के सबसे कम उम्र के ये सांसद हैं शिवतोस्लाव युराश। वे अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। दुनिया ने देखा है कि भारत ने प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में जहां अपने छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाला है वहीं यूक्रेन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजी है। एएनआई की एक रिपोर्ट बताती है कि युराश मानते हैं कि पश्चिम के देशों ने तमाम विकल्पों पर नजर डालने के बाद बिल्कुल ठीक कदम उठाए हैं। हालांकि इनका असर आगे पता चलेगा।
युराश ने स्वीकारा है कि उनके देश को पश्चिमी देशों से बहुत मदद तो मिली है, जिसके लिए उनका देश आभारी है, लेकिन इतना काफी नहीं है। हमें मदद चाहिए। जो भी हमारी मदद करने के इच्छुक हैं, उनका स्वागत है। रूस तथा यूक्रेन के बीच किसी तरह की शांति संधि के बीच युराश ने कहा है कि यह मुद्दा मास्को पर टिका है। अगर मास्को का आक्रामक रुख जारी रहा तो लड़ाई जारी रखी जाएगी।
युराश का कहना है कि भारत उन खास देशों में है जो इस सदी को राह दिखाएंगे। यूक्रेन के प्रति भारत के रुख के बारे में उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी के आभारी हैं कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति से फोन पर बात की है। हम उनकी भेजी मानवीय मदद के लिए भी आभार व्यक्त करते हैं, जो भारत की तरफ से यूक्रेन को मिल रही है।
अब तक के इस युद्ध में भारत की भूमिका के संबंध में युराश का कहना है कि भारत उन खास देशों में है जो इस सदी को राह दिखाएंगे। यूक्रेन के प्रति भारत के रुख के बारे में उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी के आभारी हैं कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति से फोन पर बात की है। हम उनकी भेजी मानवीय मदद के लिए भी आभार व्यक्त करते हैं, जो भारत की तरफ से यूक्रेन को मिल रही है।
यूक्रेनी सांसद ने अपील की है कि भारत की रूस से रणनीतिक दोस्ती और साझेदारी है, इसे लेकर एक संधि है। उनके हिसाब से भारत को यूक्रेन ही नहीं, अन्य सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उस संधि पर दुबारा विचार करना चाहिए। यह जरूरी है कि भारत रूस के खिलाफ कदम उठाए।
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