उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों से आबादी के मैदानी क्षेत्रों में पलायन पर राजभवन ने चिंता जाहिर करते हुए शासन से पलायन आयोग की रिपोर्ट तलब की है। जानकारी के मुताबिक राज्यपाल लेफ्ट जनरल से.नि. गुरमीत सिंह सीमांत क्षेत्रों के खाली होने की खबरों से चिंतित बताये जा रहे हैं। उत्तराखंड राजभवन हाल के दिनों में मीडिया में छपी पहाड़ी क्षेत्रों से आबादी के पलायन की खबरों का नोटिस लिया है। राज्यपाल गुरमीत सिंह ने चीन से लगी सीमा के गांवों के खाली होने पर चिंता जाहिर की है।
राज्यपाल जो कि खुद भी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल पद से सेवानिवृत्त हैं। वे सीमांत गांवों में स्थानीय लोगों की गैर मौजूदगी को उचित नहीं मानते। राजभवन ने न सिर्फ सरकार द्वारा गठित पलायन आयोग की रिपोर्ट को तलब किया है, बल्कि उत्तराखंड ग्राम्य विकास विभाग को भी रिपोर्ट देने को कहा है।
उत्तराखंड में पलायन और जनसंख्या बदलाव एक बड़ा मुद्दा चुनाव के दौरान बना हुआ था। पलायन आयोग की अंतरिम रिपोर्ट 2018 में आई थी। उसके मुताबिक 1702 पहाड़ी गांव निर्जन हो चुके थे। सीमांत जनपदों में भटवाड़ी, जोशीमठ, मुनस्यारी, धारचूला ब्लॉक ऐसे हैं, जो चीन सीमा से लगे हुए हैं। यहां से लोगों का पलायन किसी भी दशा में उचित नहीं माना जा सकता। पलायन आयोग ने 2018 में जो रिपोर्ट में सुझाव दिए गए, उनमें कितना काम हुआ? इस पर राज्य में बहस छिड़ी हुई है। पलायन आयोग ताज़ा हालात पर फिर से राज्य में सर्वे करने में जुटा हुआ है। धामी सरकार ने चुनाव से पहले जनसंख्या असंतुलन विषय पर एक समिति का भी गठन किया था। जिस की रिपोर्ट भी आनी अभी बाकी है।
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