हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच कन्वर्जन विरोध विधेयक पारित हो गया। लेकिन शुक्रवार को विधानसभा में जो भी हुआ, वह कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। प्रदेश में लंबे समय के कन्वर्जन विरोधी कानून की मांग की जा रही थी। हरियाणा की मनोहर सरकार ने जैसे ही विधानसभा के पटल पर ‘हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक-2022’ रखा, कांग्रेसियों ने न सिर्फ शोर मचाया, बल्कि विधेयक की प्रतियां तक फाड़ दी। कांग्रेस के इस कृत्य की प्रदेश में जमकर आलोचना हो रही है।
कांग्रेस के विधायक डॉ. रधुबीर सिंह कादियान ने जब विधेयक की प्रति फाड़ी तो स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उन्हें सदन की बाकी अवधि के लिए निलंबित कर दिया। सत्र के दौरान कांग्रेस ने दो बार सदन से वाकआउट भी किया। इनकी पूरी कोशिश रही कि विधेयक पास करने की प्रक्रिया में रोड़ा अटकाया जाए। इसलिए न सिर्फ कादियान, बल्कि सदन में मौजूद कांग्रेस के सभी विधायक विधेयक का विरोध करते हुए स्पीकर गैलरी तक पहुंच गए। उन्होंने सदन में जम कर हंगामा किया। उन्हें शांत कराने में स्पीकर को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। सदन में स्थिति यह थी कि कांग्रेसी किसी की बात भी सुनने को तयार नहीं थे।
ऐसा लग रहा था कि पूरी कांग्रेस ने तय कर लिया था कि हर हाल में विधेयक का विरोध करना है। इसलिए वह एकजुट होकर पूरी ताकत से इसके खिलाफ आवाज उठा रही थी। अपनी इस हरकत से एक बार फिर कांग्रेस विवादों में आ गई है। कांग्रेस का हिंदू विरोधी चेहरा पहले से जगजाहिर है। पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुनील जाखड़ ने अपनी ही पार्टी पर आरोप लगाया था कि हिंदू होने की वजह से उन्हें पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, जबकि पंजाब के ज्यादातर विधायक उनके पक्ष में थे। चूंकि पार्टी किसी सिख को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी, इसलिए उनकी अनेदखी की गई।
विधानसभा में कांग्रेस के रवैये पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी गदर पार्टी है। उन्हें बार-बार समझाया जा रहा है कि प्रस्तावित कानून में किसी मत-मजहब का नाम नहीं है। विधेयक के कानून सभी मत-पंथों पर समान रूप से लागू होंगे। इसके बाद भी वे इसका विरोध कर रहे हैं। यह विरोध बता रहा है कि कांग्रेस किस तरह से पांथिक आधार पर समाज को बांटने का काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि जबरन तो कुछ भी स्वीकार नहीं, फिर मैं हरियाणा में कन्वर्जन कैसे स्वीकार करत लूं।
वहीं, विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि इससे साबित हो रहा है कि कांग्रेस महात्मा गांधी की नहीं, बल्कि ईसाई सोनिया गांधी की पार्टी है। सदन मे कांग्रेस ने जिर क्रूरता से विधेयक का विरोध किया, इससे उनकी मंशा का पता चल रहा है। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी की कांग्रेस ने कई राज्यों में कन्वर्जन को रोकने के लिए कानून बनाए थे। लेकिन आज सोनिया गांधी उस कानून की विधानसभा में भ्रूण हत्या कराने पर तुली हुई है। कांग्रेस को अपने इस हिंदू विरोधी कुकृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए।
कुरुक्षेत्र हिंदू रक्षा दल के प्रवक्ता अंकित शर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की कोशिश है कि देश में हिंदू खत्म हो जाए। इसलिए मेवात से लेकर यमुनानगर तक एक षड़्यंत्र के तहत कन्वर्जन को बढ़ावा दिया जा रहा है। पंजाब में भी कांग्रेस के राज में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हुए। चुनाव के दौरान भी पटियाला में देवी माता के मंदिर की बेअदबी हुई। पंजाब सरकार की मंत्री रजिया सुल्ताना के पति मोहम्मद मुस्तफा हिंदुओं को धमकी देते रहे, लेकिन उसके खिलाफ मामला दर्ज करने में भी पुलिस ने आनाकानी की। यदि चुनाव आयोग हस्तक्षेप न करता तो हो सकता है, उसके खिलाफ मामला ही दर्ज न होता। इस तरह की तमाम घटनाएं यह साबित कर रही हैं कि कांग्रेस पूरी तरह से हिंदू विरोधी है। वह देश को बांटने का काम कर रही है। लेकिन अब लोगों को कांग्रेस की इन हरकतों का पता लग रहा है। निश्चित ही अब सब समझ गए हैं कि कांग्रेस एक मजहब विशेष के पक्ष में है। वह चादर और फादर को ही प्रमोट करना चाह रही है।
क्या कांग्रेस को नहीं पता कि अवैध कन्वर्जन करने वालों की साठगांठ आतंकियों और राष्ट्र विरोधी ताकतों से है? क्या कांग्रेस को यह भी नहीं पता कि अवैध व जबरन कन्वर्जन के कारण जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं, वहां न उनकी आस्था सुरक्षित है, न विश्वास, न बेटियां और न ही व्यापार? मेवात और कश्मीर घाटी जैसे अनेक हिंदू अल्पसंख्यक क्षेत्रों में जिहादियों के आतंक पर तो कांग्रेस ने आंखें ही मूंद रखी हैं। विहिप का कहना है कि पार्टी अपनी राष्ट्रघाती व आत्मघाती नीति को अविलंब बदले, अन्यथा पहले से ही सिकुड़ती जा रही कांग्रेस के विलुप्त होने में अब और समय नहीं लगेगा।
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