केंद्र सरकार ने निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद को दोबारा खोलने की मांग का विरोध किया है। केंद्र ने कहा कि ये परिसर केस से जुड़ा हुआ है। शब ए बारात और रमजान के मौके पर कुछ लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी जा सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच में मामले की अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील रजत नायर ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि मरकज में रहने वाले वैध लोगों ने याचिका दायर नहीं की है। इसके पहले भी पांच लोगों को एक साथ नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी। इस साल भी ऐसी ही अनुमति दी जा सकती है। अगर याचिकाकर्ता पूरे परिसर को खोलने की मांग करना चाहते हैं तो वो परिसर केस से जुड़ी हुई संपत्ति है जिसे अभी खोलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वकील वजीह शफीक ने कहा कि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के हालिया आदेश को देखते हुए मरकज को खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 26 फरवरी को सभी प्रतिबंधों को हटाने का आदेश दिया है। लेकिन मरकज के परिसर पर दिल्ली पुलिस का ताला लगा है। तब कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड से दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के हालिया आदेश की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया।
23 फरवरी को सुनवाई के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वकील संजय घोष ने कहा था कि शब ए बारात नजदीक आ रहा है और यह मार्च के मध्य में है। रमजान भी 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है, जो चांद देखे जाने पर निर्भर होगा। उन्होंने इस दौरान निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद को खोलने की मांग की। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि मरकज को खोलना दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार के दिशा-निर्देशों पर निर्भर करेगा। केंद्र की ओर से वकील रजत नायर ने कहा था कि इसके लिए पुलिस और वक्फ बोर्ड ने संयुक्त रूप से मस्जिद परिसर का निरीक्षण किया है। निरीक्षण में मजहबी स्थल और अन्य जरूरतों वाली जगहों की पहचान की गई है। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
बता दें कि मार्च 2020 में निजामुद्दीन मरकज स्थित मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम का आयोजन हुआ था जिसमें विदेशी नागरिक आए थे। उसके बाद पुलिस ने इस मस्जिद को सील कर दिया था।
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