भारत का एक 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल इस वक्त पाकिस्तान गया हुआ है। कल से वहां सिंधु जल संधि पर तीन दिवसीय वार्ता शुरू हुई है। वैसे यह वार्ता जनवरी महीने में होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से रोक के चलते अब हो रही है। उल्लेखनीय है कि जम्मू—कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध में तल्खी के बीच यह वार्ता आयोजित की गई है।
सिंधु नदी, जिसे इंडस के नाम से भी जाना जाता है, के पानी से जुड़े विषयों के साथ ही कुछ अन्य नदियों के संदर्भ में बने स्थायी सिंधु आयोग के द्वारा अधिकारियों के स्तर पर हो रही भारत-पाकिस्तान की यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस सालाना वार्ता में दोनों देशों के अधिकारी बाढ़ के प्रवाह की जानकारी का आदान—प्रदान करने के साथ ही आगे के कार्यक्रमों, बैठकों तथा निरीक्षण आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे। भारत की ओर से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु जल आयुक्त पी. के. सक्सेना कर रहे हैं।
वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने के बाद बैठक में हिस्सा लिया। बताया गया है कि अभी तक हुई बातचीत के दौरान माहौल सौहार्दपूर्ण रहा है। कल बैठक में पाकिस्तान की तरफ से उठीं कुछ शिकायतों पर बात हुई है। आज भी पूरे दिन दोनों पक्ष वार्ता करेंगे। बता दें कि यह बैठक 1960 की सिंधु जल संधि की जिम्मेदारी के अंतर्गत पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त के कार्यालय में आयोजित की गई है।
उल्लेखनीय है कि सिंधु नदी के जल के संदर्भ में भारत तथा पाकिस्तान के बीच नौ साल तक चर्चा चली थी जिसके बाद 1960 में इस संधि पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए थे। संधि में सिंधु के पानी के प्रयोग को लेकर दोनों देशों में सहयोग तथा सूचनाओं के लेन—देन के लिए एक व्यवस्था बनाई गई। सच यह भी है कि इस सिंधु संधि को लेकर स्वाभाविक तौर पर भारत तथा पाकिस्तान के बीच कई बिंदुओं पर मतभेद भी देखने में आए हैं।
पाकिस्तान गए भारतीय प्रतिनिधिमंडल मंडल में तीन महिला अधिकारी भी सम्मिलित हैं। 1960 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि भारतीय प्रतिनिधमंडल में तीन महिला अधिकारियों को शामिल किया गया है। भारत से वार्ता के लिए गए इन अधिकारियों में भारत के आयुक्त के केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा निगम तथा विदेश मंत्रालय से जुड़े सलाहकार शामिल हैं।
वार्ता की जानकारी देते हुए एक पाकिस्तानी अधिकारी ने कहा कि बैठक में अधिकारियों के बीच वर्तमान मौसम के दौरान बाढ़ के बहाव को लेकर अग्रिम सूचना के आदान—प्रदान, सतलुज नदी में पानी का खुला प्रवाह बनाए रखने और भविष्य के कार्यक्रमों, बैठकों, दौरों तथा निरीक्षणों पर आगे की रूपरेखा तय करने पर चर्चा हो रही है।
बैठक में अधिकारियों के बीच वर्तमान मौसम के दौरान बाढ़ के बहाव को लेकर अग्रिम सूचना के आदान—प्रदान, सतलुज नदी में पानी का खुला प्रवाह बनाए रखने और भविष्य के कार्यक्रमों, बैठकों, दौरों तथा निरीक्षणों पर आगे की रूपरेखा तय करने पर चर्चा हो रही है।
बैठक में इससे पूर्व हुई स्थायी सिंध आयोग की बैठक के दस्तावेजों को भी अंतिम रूप देंगे तथा उस पर हस्ताक्षर करेंगे। पाकिस्तान के अधिकारी ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का किसी जगह का दौरा करने का कोई कार्यक्रम नहीं है। वे सिर्फ बैठक में शामिल होने आए हैं।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में चिनाब बेसिन में पाकल दुल (1,000 मेगावाट) तथा लोअर कलनई (48 मेगावाट) पनबिजली परियोजनाओं पर पाकिस्तान ने जो शिकायतें की थीं उन पर पहले ही बात चल रही है। पाकिस्तान ने दरबुक श्योक, निमू चिलिंग, किरू, तमाशा, कलारूस-दो, बाल्टीकुलन स्माल, करगिल हुंदरमन, फगला, कुलन रामवारी तथा मंडी में भी 10 पनबिजली परियोजनाओं को लेकर आपत्ति दर्ज कराई है।
इस बैठक में उक्त सभी परियोजनाओं पर चर्चा की संभावना है। पाकिस्तान के सिंधु जल आयोग के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अली शाह के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल बैठक में इन बिंदुओं को उठाएगा और इन पर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
संधि के अनुसार, इस सालाना बैठक को हर साल 31 मार्च से पहले करना होता है, जिसे दोनों देश बारी-बारी से अपने यहां आयोजित करते हैं. पिछले साल इस बैठक के लिए पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल 23—24 मार्च को भारत आया था।
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