कांग्रेस से लड़कर ही समाजवादी पार्टी का उदय हुआ था। कांग्रेस जनाधार खोती चली गई और समाजवादी पार्टी का जनाधार बढ़ता गया। समाजवादी पार्टी अक्तूबर 1992 को अस्तित्व में आई और मात्र डेढ़ वर्ष बाद समाजवादी पार्टी सत्ता में आ गई थी। मुलायम सिंह ने कांशीराम के साथ समझौता करके चुनाव लड़ा। सपा – बसपा गठबंधन को यूपी में बहुमत हासिल हुआ था। बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद मुसलमानों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था। मुसलमानों का यह लगा कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार चाहती तो बाबरी ढांचे को गिरने से बचाया जा सकता था। इसके बाद मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। मुसलमानों के खिसक जाने से कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा। कांग्रेस के विधायकों की संख्या दहाई में सिमट गई। मुस्लिम वोट बैंक को वापस लाने के लिए कांग्रेस ने सपा से लड़ने के बजाय हथियार डाल दिया है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यूपी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के मुखिया शिवपाल सिंह यादव, जसवंत नगर सीट से चुनाव मैदान में हैं। दोनों सीटों पर मतदान हो चुके हैं। कांग्रेस ने कराहल और जसवंतनगर से कोई प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतारा है। उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस से समझौता करके चुनाव लड़ा था। मगर कुछ समय बाद ही दोनों पार्टी का समझौता टूट गया था, मगर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सोनिया गांधी के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था।
कांग्रेस नेता और यूपी चुनाव के स्टार कैंपेनर सचिन पायलट ने इस मुद्दे पर कहा कि सोनिया गांधी के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने रायबरेली लोकसभा सीट से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था। ऐसे में अब "राजनीतिक शिष्टाचार" के रूप में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के खिलाफ जसवंतनगर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा गया है।
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