कर्नाटक के बेंगलुरु में एक कॉलेज प्रबंधक द्वारा अमृतधारी छात्र को पगड़ी उतार कर कॉलेज आने का फरमान सुनाने पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने कड़ी आपत्ति जताई है। इस संबंध में एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र लिखकर राज्य में सिखों की पांथिक स्वतंत्रता बनाए रखने को कहा है। साथ ही, कर्नाटक सरकार को देश की आजादी में सिखों के योगदान की याद भी दिलाई है।
एसजीपीसी अध्यक्ष धामी ने पत्र में लिखा है कि अपने ही देश में सिखों को पगड़ी उतारने के लिए मजबूर करना असहनीय है। यह एक गलत फैसला हैै, जिसे कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। मातृभूमि की आजादी में सिख समुदाय ने अविस्मरणीय योगदान दिया है। लेकिन आज अपने ही देश में पगड़ी पर सवाल उठाया जा रहा है, जिस पगड़ी का सम्मान राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और सेना प्रमुख भी करते हैं। सिख समुदाय अपनी पांथिक स्वतंत्रता के दमन को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। धामी ने कहा है कि सिख समुदाय की पांथिक स्वतंत्रता को दबाने वाले विचार कभी भी राष्ट्रहित में नहीं हो सकते। साथ ही, धामी ने इस मामले में प्रधानमंत्री हस्तक्षेप करने को कहा है।
पिछले दिनों कर्नाटक में एक सिख युवक को इसलिए कॉलेज में प्रवेश करने से मना कर दिया गया, क्योंकि उसने पगड़ी धारण कर रखी थी। धामी ने कॉलेज प्रबंधन के इस निर्णय पर गहरा रोष व्यक्त किया है। साथ ही, यह भी कहा कहा है कि अपने ही देश में सिखों के साथ किसी राज्य में इस तरह का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। पगड़ी सिखों की पांथिक आस्था का प्रतीक है। इस पर किसी भी तरह का सवाल सहन नहीं किया जा सकता है। अपने ही देश में पांथिक स्वतंत्रता पर इस तरह से हमला असहनीय है। अमृतधारी सिख हमेशा पगड़ी धारण करता है। उसे इस तरह का आदेश देना किसी भी मायने में सही नहीं माना जा सकता है। इसलिए एसजीपीसी की मांग है कि इस दिशा में केंद्र हस्तक्षेप कर उचित कदम उठाए।
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