2008 में अमदाबाद में सीरियल बम विस्फोट हुए थे। तब कुल 49 लोगों को इस घटना का आरोपी बनाया गया था। अब 13 साल बाद इनमें से 38 को मृत्युदंड यानि फांसी की सजा सुनाई गई है।
जानकारी के मुताबिक मेरठ के परिक्षितपुर थाना क्षेत्र के अगवान गांव के मूलनिवासी जियाउर्रहमान और बिजनौर के पठानपुरा का मोहम्मद तनवीर कैसे अमदाबाद धमाकों के आरोपी गिरोह में शामिल हुए? इस बारे में स्थानीय पुलिस को कोई जानकारी नहीं है और न ही इनका कोई अपराधिक रिकॉर्ड स्थानीय पुलिस की डायरी में दर्ज है।
अगवान गांव में जियाउर्रहमान के चाचा अभी भी रहते हैं, उनका कहना है कि उनका उनसे कोई संबंध नही है। कई साल पहले जियाउर्रहमान के पिता परिवार सहित अमदाबाद के पास जाकर बस गए थे। तबसे उनके साथ हमारा कोई संपर्क नहीं है। वे बताते हैं कि जियाउर्रहमान ने जेल से रहते हुए दिल्ली ओखला से विधानसभा का चुनाव भी निर्दलीय लड़ा था, तब गांव के कुछ लोग दिल्ली गए थे लेकिन उनके परिवार से कोई नहीं गया।
बताया जाता है कि पुलिस अब उन लोगों को चिन्हित कर रही है जिन्होने दिल्ली जाकर जियाउर्रहमान को चुनाव लड़ाया था और यह जानकारी भी निकाल रही है कि उनके क्या अब भी सम्बंध जियाउर्रहमान के साथ हैं ?
वहीं पुलिस ने एक अन्य आरोपी मोहम्मद तनवीर जो कि बिजनौर और नजीबाबाद के बीच पठानपुरा का रहने वाला है। उसके बारे में बताया कि वहां अब मोहम्मद तनवीर के परिवार का कोई भी सदस्य नहीं रहता है और आस-पड़ोस वाले भी तनवीर और उसके परिवार बारे में बोलना नही चाहते हैं।
बरहाल अहमदाबाद ब्लास्ट की सजा सुनाए जाने के बाद मेरठ जोन की पुलिस हरकत में आई है, स्थानीय अभिसूचना तंत्र इन सजा प्राप्त दोषियों के स्थानीय लिंक जुटाने में लग गया है।
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