झारखंड में 17 वर्ष के युवक रूपेश पांडे की मॉब लिंचिंग कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले को पाञ्चजन्य ने प्रमुखता से उठाया था। उसके बाद झारखंड सहित पूरे देश में रूपेश को न्याय दिलाने की मांग उठने लगी है। इसे लेकर आम लोग झारखंड सरकार से लेकर तमाम सेक्युलर मीडिया को भी निशाने पर ले रहे हैं। रुपेश को न्याय दिलाने के लिए झारखंड के सभी जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहा रहा है। बिहार में भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड चल रहा है।
सरकार इंटरनेट बंद कर रही है तो कभी निषेधाज्ञा लागू करवा रही है। विरोध प्रकट करने वालों का कहना है कि सरकार न्याय मांगने वालों की ही आवाज दबा देना चाहती है। कई जगहों पर रूपेश के हत्यारों को फांसी देने की मांग उठी तो उन्हीं पर मामला दर्ज कर दिया गया। इसपर कई लोगों का कहना है कि झारखंड सरकार मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों पर तुष्टिकारण की निति अपनाने की वजह से कोई कार्यवाही नहीं करना चाहती। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुबर दास और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी सहित कई लोग पीड़ित परिवार से मिले और और उन्हें न्याय दिलाने की बात कही।
झारखंड में झामुमो और कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार है। यही लोग जब विपक्ष में थे तो अभिव्यक्ति की आजादी की बात करते थे। आज यही लोग विरोध करने वालों और न्याय की आस में सड़कों पर निकले लोगों पर मुकदमे दर्ज करवा रहे हैं। सरकार के इसी रवैये की वजह से कट्टरपंथियों का हौसला इतना बढ़ गया कि अब बरही के क्षेत्र में मौजूद एक हनुमान मंदिर पर कुछ बदमाशों ने हमला कर वहां रखी मूर्तियाँ तोड़ डाली हैं। इसके विरोध में पूरी सड़क जाम कर दी गयी थी।
रघुबर दास ने कहा कि रूपेश की नृशंस हत्या हेमन्त सरकार की तुष्टिकरण राजनीति का नतीजा है। हेमन्त सरकार में जिहादी ताकतों का मनोबल इतना बढ़ गया कि अब खुलेआम अपराध कर रहे हैं और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। राज्य में कानून व्यवस्था चौपट हो चुकी है। झारखंड की सरकार बनने के बाद पिछले 26 महीने में 10 लोगों की मॉब लिंचिंग में हत्या कर दी गई। पहले यही लोग झारखंड को मॉब लिंचिंग के नाम पर बदनाम करते रहे। अब तो मॉब लिंचिंग का कानून भी बन चुका है। अब भी कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा। इस घटना के बाद भाजपा की ओर से पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपये की राशि देने की बात कही गई है और झारखंड की सरकार से पीड़ित परिवार को 50 लाख का मुआवजा देने की मांग भी की गई।
भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने 12 फरवरी को रूपेश के परिजनों से उनके आवास पर मुलाकात की थी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भाजपा रूपेश के परिजनों के साथ है। उन्होंने कहा मॉब लिंचिंग तो अपराध है ही, उसके बाद राज्य सरकार और प्रशासन का एकपक्षीय रवैया आश्चर्यजनक रहा है। रूपेश के परिजनों को न्याय दिलाने को लेकर भाजपा पूरे प्रदेश में आन्दोलन करेगी और सड़क से सदन तक इन बातों को उठाएगी। इस दौरान उनके साथ हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा, विधायक मनीष जायसवाल भी मौजूद रहे।
चतरा सांसद सुनील सिंह ने रूपेश की हत्या का मामले को लोकसभा में उठा दिया है। सुनील सिंह ने लोकसभा में बताया कि भीड़ द्वारा एक 17 वर्षीय बच्चे की हत्या कर देना मॉब लिंचिंग के दायरे में आता है लेकिन झारखंड सरकार तुष्टीकरण के आधार पर इस घटना को दूसरी ओर मोड़ देना चाह रही है। साथ ही कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में ये लोग मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और झारखंड की सरकार में बैठकर हिंदुओं पर ही हमले करवा रही है। वहीं दूसरी ओर रांची के सांसद संजय सेठ ने रूपेश हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने रूपेश की हत्या को विशुद्ध मॉब लिंचिंग बताया है। उन्होंने घोषणा की है कि 17 फरवरी को पूरे प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ता इस घटना के विरोध में हेमंत सरकार के खिलाफ पुतला दहन कर विरोध दर्ज कराएंगे।
इस मामले की शिकायत भाजयुमो के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य शशांक राज ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास की है। आयोग ने भी नाबालिग की हत्या को गंभीर मामला बताया है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच कर 7 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। साथ ही जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित हो कि गवाहों पर कोई दबाव न डाला जाए और स्थानीय लोगों पर झूठे मामले दर्ज न किए जाएं।
हजारीबाग पुलिस अधीक्षक मनोज रतन चौथे के अनुसार रूपेश की हत्या मॉब लिंचिंग नहीं है। हत्या 4-5 लोगों द्वारा की गई है। उसे 27 या 40-50 लोगों ने मिलकर नहीं मारा है। उन्होंने बताया कि हत्या में शामिल अब तक 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में जांच अधिकारी बदल दिया गया है। इसके पीछे उनका तर्क है कि लोग पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल न उठाएं, इसलिए उन्होंने इस मामले में जांच अधिकारी एसडीपीओ नाजिर अख्तर की जगह अब अमित कुमार सिंह को बनाया है। बता दें कि नजीर अख्तर पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया गया था।
रूपेश की मां उर्मिला देवी अपने बेटे के हत्यारों को फांसी देने की मांग पर आमरण अनशन पर बैठी थीं। 13 फरवरी को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें पानी पिलाया गया। उसके बाद उर्मिला देवी फिर से 14 फरवरी को धरने पर बैठ चुकी हैं। इधर दिल्ली भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने रूपेश के घर जाने की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया है कि वो 16 फरवरी को रूपेश के परिजनों से मिलने झारखंड आने वाले हैं। उन्होंने रूपेश के परिवार के लिए न्याय सुनिश्चित करने की बात भी कही है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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