पश्चिम यूपी में 58 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, उम्मीद की जारही है कि 70 से 75 फीसदी के आसपास मतदान हो पायेगा। मतदान किसके पक्ष में ज्यादा किसके पक्ष में कम हुआ? इस पर मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
लेकिन एक बात साफ है कि आज हुए मतदान में धुर्वीकरण की राजनीति हावी रही है। पश्चिम यूपी में नोएडा बुलन्दशहर अलीगढ़ मेरठ आदि जिलो में आज मतदान हुआ। अभी तक राजनीतिक दलों और राजनीतिक जानकारों का मामना था कि बीजेपी को किसान आंदोलन की वजह से नुकसान उठाना पड़ेगा और जाट बिरादरी सपा लोकदल के गठजोड़ के साथ जाएगी। लेकिन मतदान के दिन हुआ उल्टा यहां राजनीति में धुर्वीकरण का कार्ड हावी हो गया। ऐसा माना जा रहा है ध्रुवीकरण का फायदा बीजेपी को मिलने जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मतदाताओं ने योगी का चेहरा देख कर पोलिंग की है। मतदाताओं ने मोदी, कमल का निशान से भी ज्यादा योगी के चेहरे पर अपना विश्वास व्यक्त किया है। जिसके पीछे बड़ी वजह उनकी सरकार द्वारा पैदा किया गया लोगो मे सुशासन का विश्वास है।
नोएडा,गाजियाबाद, बुलन्दशहर बेल्ट में योगी योगी का नारा खुली जुबाँ से चला। जबकिं मेरठ बेल्ट में शुरू शुरू में तो लोग असमंजस्य में दिखे लेकिन उसके बाद बीजेपी के पक्ष में उतर आए। मेरठ में राजनीति के जानकार श्याम परमार कहते है महिलाओं ने बड़ी संख्या में योगी मोदी के पक्ष में वोट दिया है, हालांकि जाट बाहुल्य क्षेत्रो में लोकदल की तरफ पुरुष मतदाताओं का झुकाव देखा गया। लेकिन जहां हिंदुत्व की बात सामने आयी वहां बीजेपी को फायदा हर बूथ पर मिला।
गाजियाबाद में अधिवक्ता अजय विझ बताते है कि बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड खेला है जिसे उसे फायदा मिला है क्योंकि विपक्ष में गठजोड़ जाट मुस्लिम का दिख रहा था इसलिए बीजेपी को वोट देना मजबूरी भी बना क्योंकि और कोई विकल्प सामने नही था। बुलन्दशहर के संजय यादव कहते है कि बीजेपी को कड़ी चुनौती सपा लोकदल गठबंधन ने दी है, कांग्रेस बसपा और ओवेसी की पार्टी वोट काटने वाली साबित हुई और इससे सपा लोकदल गठबंधन को नुकसान होने जा रहा है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में अगले चरण का मतदान 14 फरवरी को होने जारहा है इसी दिन उत्तराखंड में भी मतदान होगा। यूपी से लगे उत्तराखंड के विधानसभा क्षेत्रों में भी यूपी की राजनीति की हवा बहती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी यही हुआ था, उत्तराखंड के मैदानी जिलो की विधानसभा सीटों में यूपी के धुर्वीकरण का असर हुआ था और मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत दो दो सीटों पर सामान्य से उम्मीदवारों से चुनाव हार गए थे।
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