पाकिस्तान में गत 14 अगस्त को एक टिकटॉक बनाने वाली लड़की से लाहौर में जिस तरह सैकड़ों की भीड़ ने दुर्व्यवहार किया था वह हैरान करने वाला दृश्य था। महिलाओं को वहां किस नजर से देखा जाता है वह नजारा उसकी एक बानगी ही थी। इसके बाद एक वीडियो आया जिसमें चलती सड़क पर एक रिक्शा में परिवार के साथ बैठी लड़की से एक मनचले की ओछी हरकत दिखाई दी थी। पड़ोसी इस्लामी देश में रोजमर्रा हो रहीं ऐसी घटनाओं का पिछले छह साल का लेखा—जोखा रखा है वहां के मानवाधिकार आयोग ने। इसकी रिपोर्ट बाती है कि बीते छह महीनों में ही पंजाब सूबे में 2439 महिलाओं का बलात्कार हुआ है। 90 महिलाओं की हत्या की गई।
'परिवार की आबरू' के नाम पर पाकिस्तान में सबसे ज्यादा महिलाएं ही पिस रही हैं और दुर्वयवहार की शिकार बनाई जा रही हैं। पाकिस्तानी पंजाब में तो हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।रिपोर्ट में यह खुलासा सच में चौंकाने वाला है कि वहां गत छह महीनों के दौरान 2439 महिलाएं बलात्कार का शिकार बनाई गईं! इतना ही नहीं, विभिन्न विवादों की आंच भी महिलाओं को ही झेलनी पड़ी और इसमें 90 की हत्या कर दी गई।
आंकड़ों के अनुसार, पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में तो स्थिति और भी खराब है। वहां इस कालखंड में चार सौ महिलाओं का बलात्कार किया गया और 2,300 से ज्यादा महिलाएं अगवा की गई हैं। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की ताजा रिपोर्ट इस देश में हर रोज 11 बलात्कार की घटनाओं का पता चलने की बात करती है। और ये आंकड़े तो दर्ज हुए मामलों के आधार पर हैं। सोचिए, कितने ही मामले का पुलिस के सामने ही नहीं आ पाते होंगे।
बीते छह साल में पुलिस के पास ऐसे करीब 22 हजार मामले दर्ज हुए हैं। किसी गलती का दोष उलटा पीड़ित महिलाओं पर ही मढ़ दिए जाने से अपराध करने वालों को बेवजह शह मिलती है। इस वजह से इस तरह के मामले कम होने की बजाय और बढ़ते जा रहे हैं। हैरानी की बात है कि इतने अपराधों के लिए सिर्फ एक प्रतिशत से भी कम अपराधियों को सजा मिल पा रही है।
रिपोर्ट बताती है कि बीते छह साल में पुलिस के पास ऐसे करीब 22 हजार मामले दर्ज हुए हैं। कहा गया है कि समाज में किसी गलती का दोष उलटा पीड़ित महिलाओं पर ही मढ़ दिए जाने से अपराध करने वालों को बेवजह शह मिलती है। इस वजह से इस तरह के मामले कम होने की बजाय और बढ़ते जा रहे हैं। हैरानी की बात है कि इतने अपराधों के लिए सिर्फ एक प्रतिशत से भी कम अपराधियों को सजा मिल पा रही है। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 22 हजार मामलों में से केवल 77 को सजा मिली। यानी सजा मिलने की दर 0.3 प्रतिशत ही है।
रिपोर्ट में लाहौर प्रबंधन विज्ञान विश्वविद्यालय में प्रोफेसर निदा किरमानी को वक्तव्य दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान में बलात्कार की प्रवृत्ति हावी होना बहुत दुखद बात है। यहां यौन शोषण की पीड़ित लड़कियां को ही हर अपराध का दोषी ठहरा दिया जाता है। मर्दों के लिए कहा जाता है कि वे तो कुदरती तौर पर हिंसक ही होते हैं। इस सोच को बदलने की बहुत कोशिश होती है लेकिन इसमें बहुत मुश्किलें पेश आ रही हैं।
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