संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर भारत ने पड़ोस के इस्लामी देश की बखिया उधेड़ कर रख दी है। परिषद की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस.तिरुमूर्ति ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान को उसके आतंकी स्वभाव को लेकर जमकर खरी—खोटी सुनाई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि वहां कुछ आतंकवादी संगठन मानवीय कार्यों के लिए दी जाने वाली छूट का खुलकर लाभ उठा रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों का 'मजाक' बना रहे हैं। तिरुमूर्ति ने कहा कि पड़ोस में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन प्रतिबंधों से बचने के लिए 'मानवीय संगठनों' के तौर पर सक्रिय हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस बैठक में तिरुमूर्ति ने आगे कहा, 'यह बहुत जरूरी है कि प्रतिबंध वैध मानवीय जरूरतों में अड़चन न डालें। लेकिन यह भी जरूरी है कि मानवीय आधार पर रियायत उपलब्ध कराते वक्त, विशेष रूप से आतंकवादियों को पनाह देने वाले स्थानों के संदर्भ में पूरी तरह सतर्कता बरती जाए।'
परिषद की यह बैठक 'प्रतिबंध संबंधी सामान्य मामले: उनके मानवीय तथा अनपेक्षित परिणामों को रोकने' के विषय पर आयोजित की गई थी। इसमें हुई बहस में भाग लेते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि इस बात के कई उदाहरण हैं कि आतंकवादी गुट मानवीय आधार पर छूट का पूरा फायदा उठा रहे हैं और 'अल कायदा प्रतिबंध समिति' सहित तमाम प्रतिबंध व्यवस्थाओं का मजाक बना रहे हैं।' उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले देखने में आए हैं कि हमारे पड़ोस में कई आतंकवादी गुट प्रतिबंधों से बचने के लिए मानवीय संगठनों का बाना ओढ़कर अपनी छवि फिर से चमका रहे हैं। इन गुटों में परिषद द्वारा प्रतिबंधित गुट भी शामिल हैं।
तिरुमूर्ति ने कहा, 'ये आतंकवादी गुट मानवीय कार्यों के लिए दी जाने वाली छूट का फायदा उठाकर क्षेत्र में अपनी आतंकी गतिविधियों को और फैला रहे हैं।' मुंबई हमले के षड्यंत्रकारी हाफिज सईद की अगुआई वाले आतंकी गुट जमात-उद-दावा की ही 'परमार्थ शाखा' थी फलाह-ए-इंसानियत। उल्लेखनीय है कि पुलवामा आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवानों के शहीद होने की घटना के बाद आतंकवादी गुटों पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक दबाव इतना बढ़ गया था कि पाकिस्तान को 2019 में इन गुटों पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने कहा, 'ये आतंकवादी गुट मानवीय कार्यों के लिए दी जाने वाली छूट का फायदा उठाकर क्षेत्र में अपनी आतंकी गतिविधियों को और फैला रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि इस ओर पूरी सावधानी बरती जाए।' मुंबई हमले के षड्यंत्रकारी हाफिज सईद की अगुआई वाले आतंकी गुट जमात-उद-दावा की ही 'परमार्थ शाखा' है फलाह-ए-इंसानियत। उल्लेखनीय है कि पुलवामा आतंकवादी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 जवानों के शहीद होने की घटना के बाद आतंकवादी गुटों पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक दबाव इतना बढ़ गया था कि पाकिस्तान को 2019 में इन गुटों पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था। दिसम्बर 2008 में हाफिज सईद का नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के अंतर्गत सूची में शामिल किया था।
तिरुमूर्ति ने कहा कि हमें प्रतिबंध व्यवस्थाओं की लगातार समीक्षा करते रहनी होगी ताकि वे बदलती परिस्थितयों के हिसाब से ढल सकें और कारगर साबित हों। उन्होंने आगे कहा कि इन प्रतिबंधों को लागू करते वक्त आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबंध समितियों के अध्यक्षों को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
उल्लेखनीय है कि भारत अभी दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। इसमें भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति '1988 तालिबान प्रतिबंध समिति', 'लीबिया प्रतिबंध समिति' तथा 'आतंकवाद निरोधी समिति' के अध्यक्ष हैं। तिरुमूर्ति ने यह भी कहा कि प्रतिबंधों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधानों के हिसाब से लागू किया जाना चाहिए। उनसे अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
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