कोरोना के कर्मयोगी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को यूं ही नहीं ललकारा। सोमवार को देर रात ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा कि “ सुनो केजरीवाल, जब पूरी मानवता पीड़ा से कराह रही थी. तब आपने यूपी के कामगारों को दिल्ली छोड़ने पर विवश किया था।” महामारी के उस दौर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आधी रात को दिल्ली – यूपी के बॉर्डर पर बसों को भेजकर यूपी के कामगारों को गंतव्य तक पहुंचाया था। उन्होंने पूरी रात जागकर परिवहन विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क बनाये रखा था।
कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 के मार्च माह में सम्पूर्ण लॉकडाउन किया गया था। प्रवासी कामगार जब अपने घरों से निकले तो बकायदे दिल्ली परिवहन की बस में बैठाकर यूपी के बार्डर पर लाकर छोड़ दिया गया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी दावा करती है कि उनकी सरकार, आम आदमी की सरकार है मगर संकट की घड़ी में आम आदमी पार्टी ने आम आदमी को बीच मझधार में छोड़ कर किनारा कर लिया था।
कोरोना की दूसरी लहर में भी दिल्ली में लॉकडाउन के बाद प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश के बार्डर पर लाकर छोड़ दिए गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी कामगारों को उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं “ दिल्ली में जब लॉकडाउन की घोषणा हुई, तो रातों-रात एक से डेढ़ लाख प्रवासी श्रमिकों का आगमन हुआ। हमने बसें लगाई, व्यवस्था की। सभी का टेस्ट कराया और आवश्यकतानुसार क्वारंटाइन किया। यह सभी कार्य त्वरित ढंग से किये गये। वर्तमान स्थिति की समीक्षा करते हुए हमें यहां की व्यापक आबादी, जनसांख्यिकीय विविधता को भी दृष्टिगत रखा गया। दूसरी लहर पिछली बार की तुलना में लगभग तीस गुना अधिक संक्रामक थी। इस तथ्य को समझते हुए राज्य सरकार द्वारा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए सभी जरूरी इंतज़ाम किये गए. सरकार की तैयारी पहले से बेहतर है।
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में दिल्ली सरकार पूरी तरह विफल रही थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने समस्या का समाधान करने के बजाय प्रवासी कामगारों को बिहार और उत्तर प्रदेश की तरफ टरका दिया था। उस समय जब श्रमिकों की भीड़ उमड़ी थी तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिम्मा संभाला था। रात में ही राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों को जगाया गया था। अति शीघ्र बसों को आनंद विहार भेजकर उन सभी लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। पूरी रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जागकर बसों के संचालन पर नजर बनाये रखी थी।
महाराष्ट्र में वर्ष 2021 के फरवरी माह में ही कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हो गए थे। प्रवासी कामगार लॉकडाउन की संभावना को देखते हुए ट्रेनों में खचाखच भर के उत्तर प्रदेश पहुंचने शुरू हो गए थे। महाराष्ट्र में हालात और बिगड़ने पर वहां के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रवासी कामगारों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। जब संक्रमण अत्यधिक फ़ैल गया तो उन्होंने कहा कि “ बेड तो बढ़ा देंगे मगर डाक्टर कहां से लाएंगे” इसके बाद महाराष्ट्र में मिनी लाक डाउन कर दिया गया। उसके बाद से भारी संख्या में प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश में लौटे थे। ”
कोरोना की पहली लहर में 25 लाख प्रवासी कामगार व श्रमिक उत्तर प्रदेश में लौटे थे। 15 लाख से अधिक कामगारों व श्रमिकों की स्किल मैपिंग की गई थी। वर्ष 2020 के मई माह में पांचजन्य के साथ वेबिनार में बात करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “ कोरोना महामारी के संक्रमण काल में हर प्रवासी को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाना, प्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता में शामिल है। उत्तर प्रदेश के श्रमिकों ने दूसरे प्रदेशों को अपने श्रम से चमकाया मगर कुछ प्रदेशों में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ। हम अपने श्रमिक को ऐसे दर – दर भटकने के लिए नहीं छोड़ सकते। लघु एवं मझोले उद्योग के क्षेत्र में हमारी ऐसी तैयारी है कि हम प्रदेश में आये सभी प्रवासी कामगारों को समायोजित कर देंगे। किसी को भी फिर से पलायन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। जिन प्रदेशों ने कामगारों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, वो भोगेंगे। "
कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के बाद दिल्ली में अफरा – तफरी मची हुई थी। प्रवासी कामगार दिल्ली और मुंबई छोड़कर भाग रहे थे। वहीं उत्तर प्रदेश में सब कुछ सामान्य था। उत्तर प्रदेश से पलायन बहुत कम हुआ। प्रदेश में कामगारों एवं श्रमिकों को ध्यान में रख कर योजनाएं बनाई गईं। वर्ष 2020 के मार्च माह में श्रम विभाग में पंजीकृत 20,37,000 श्रमिकों को भरण-पोषण के लिए एक हजार रुपए सीधे खाते में भेजे गए। इस प्रकार, सरकार ने करीब 203 करोड़ रुपए के व्यय का वहन किया।
लॉकडाउन हो जाने के बाद फैक्ट्रियों में कार्यरत श्रमिकों के भरण-पोषण के लिए 2,163 इकाईयों ने अपने परिसरों में व्यवस्था की। लॉकडाउन अवधि में ही 3,541 इकाईयों द्वारा श्रमिकों को भुगतान किया गया। करीब 1,425 इकाइयों को चालू रखा गया। लॉकडाउन में कोरोना वायरस से बचाव करते हुए करीब 12 हजार ईंट- भट्ठों का कार्य चालू रखा गया, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश से पलायन नहीं हुआ। उद्योग विभाग द्वारा फैक्ट्रियों में कार्यरत श्रमिकों को कार्यस्थल पर ही रोकने हेतु 5,761 फैक्ट्री मालिकों से बात की गई जिसमें अधिकतर फैक्ट्री मालिकों ने अपनी सहमति दे दी थी। फैक्ट्रियों में काम करने वालों को 457.78 करोड़ रुपये का भुगतान कराया गया था। लॉकडाउन के चलते आवश्यक वस्तुओं (दवाएं, सैनिटाइजर, मास्क, पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपमेंट, आटा, दाल और तेल आदि) का उत्पादन होता रहे इस पर भी सरकार ने लगातार नजर बनाए रखी।
कोरोना के विरुद्ध चल रही लड़ाई में प्रदेश में रेमडेसिविर सहित अन्य जीवन रक्षक दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की गई। जनपदवार मांग के अनुसार रेमडेसिविर के वायल उपलब्ध कराई गई। प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति हर दिन बेहतर बनाया गया। 64 टैंकर इसी कार्य में लगाये गए। इसके अलावा, 20 टैंकर विभिन्न जिलों में सीधे अस्पतालों को आपूर्ति कर रहे थे। भारत सरकार ने आठ नए टैंकर दिए. इसके अलावा जमशेदपुर से ऑक्सीजन की आपूर्ति कराई गई। सभी ऑक्सीजन टैंकर जीपीएस से लैस किए गए।
प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में 32 ऑक्सीजन प्लांट पहले से स्थापित थे। 39 अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए ऑर्डर दिए गए। प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र की ओर से 54 प्रस्ताव प्राप्त हुए। उन प्रस्तावों का परीक्षण करते हुए इन्हें जरूरी सहयोग प्रदान किया गया। प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों और चिकित्सा महाविद्यालयों में रिफिल के लिए करीब 8 करोड़ रुपए में 8 हजार डी टाइप जम्बो सिलेंडर खरीदने के आदेश दिए गए। एक जंबो सिलेंडर में 46.7 लीटर ऑक्सीजन आती है।
उत्तर प्रदेश में सभी प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग क्षमता को दोगुना किया गया। कोरोना की पहली लहर के समय प्रदेश में सर्विलांस टीम का गठन कर दिया गया था। इन टीमों के द्वारा घर-घर जाकर लोगों का सर्वे किया गया। कोरोना के दूसरी लहर में 16 करोड़ 19 लाख से ज्यादा लोगों से सम्पर्क किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 अप्रैल 2021 को कोरोना संक्रमित हुए। गले में खराश और बुखार से पीड़ित होने के बाद भी वे लगातार कार्य करते रहे।
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