अमेरिका ने आखिरकार अपने यहां मसूद खान की पाकिस्तान के राजदूत पद पर नियुक्ति को हरी झंडी दिखा ही दी। पाकिस्तान द्वारा इस आशय की घोषणा के साथ ही मसूद के पिछले जिहादी समर्थक रिकार्ड को देखते हुए उन्हें इस पद पर आने देने का विरोध कर रहे अमरिका के ही एक वरिष्ठ सांसद सहित अन्य लोग हैरान हैं। सांसद स्कॉट पैरी ने तो राष्ट्रपति जो बाइडेन को 27 जनवरी को पत्र लिखकर मसूद के हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी गुटों का समर्थक होने के तथ्य पेश किए थे। इस से संदेह पैदा होता है कि कहीं आतंकवाद को प्रसारित करने वाली छुपी ताकतें अमेरिका में गहरी जड़ें तो नहीं जमा चुकी हैं!
‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ ने एक बयान जारी करके बाइडन से अपील की थी कि ‘जिहादी-आतंकवादी समर्थक’ मसूद खान की अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत के रूप में नियुक्ति अमान्य की जाए।…हम विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और विदेश मामलों पर सीनेट की और प्रतिनिधि सभा की सभी समितियों के सदस्यों से भी अनुरोध करते हैं कि इसका समर्थन करें।' |
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने 5 फरवरी देर शाम घोषणा की कि अमेरिकी सरकार ने मसूद खान को वाशिंगटन में पाकिस्तानी राजदूत के रूप में मंजूरी दी है। इससे यह भी संदेह होता है कि क्या अमेरिका ने अपने ही वरिष्ठ सांसद पैरी के उन आरोपों को सरसरी तौर पर देखकर अनदेखा कर दिया! उन्होंने तो साफ लिखा था कि सरदार मसूद खान 'जिहादी सोच के, बुरहान वानी जैसे आतंकी के और भारत को आहत कर रहे आतंकियों के समर्थक' हैं?
पैरी ने बाइडन से अनुरोध किया था कि मसूद को पाकिस्तानी राजदूत के तौर पर वाशिंगटन न आने दिया जाए। ये वही मसूद खान हैं जो गत अगस्त माह तक पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू—कश्मीर के ‘राष्ट्रपति’ के नाते काम कर चुके हैं। उसके बाद नवंबर 2021 में उन्हें अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में चुना गया था।
हलांकि कि यह भी एक तथ्य है कि किसी राजदूत की नियुक्ति की मंजूरी को लेकर कभी किसी देश ने इतना वक्त नहीं लिया था जितना मसूद के मामले में इस बार अमेरिका ने लिया था। लेकिन अब पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार ने बयान में यह कहकर इस बारे में छाए धुंधलके को हटा दिया है कि अमेरिका की सरकार ने मसूद की पाकिस्तान के राजदूत के रूप में नियुक्ति मंजूर कर ली है।
अमेरिकी सांसद स्कॉट पैरी निश्चित ही हैरान होंगे, क्योंकि वे अमेरिका के राष्ट्रपति को अपने पत्र में साफ लिख चुके थे कि 'मैं आपसे आग्रह करता हूं कि मसूद खान की ओर से पेश किए जाने वाले किसी भी राजनयिक प्रमाण पत्र को अमान्य कर दें।…पाकिस्तान सरकार की तरफ से जिहाद के इस समर्थक को अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत के रूप में स्थापित करने की किसी भी कोशिश को निरस्त कर दें।'
पैरी ही नहीं, पिछले सप्ताह प्रवासी भारतीयों के एक शीर्ष दल ने अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन से पाकिस्तान के राजदूत के रूप में मसूद खान की नियुक्ति को अस्वीकार करने की अपील की थी और आरोप लगाया था कि 'मसूद खान आतंकवादी संगठनों के हमदर्द और समर्थक' हैं। ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ ने एक बयान जारी करके बाइडन से अपील की थी कि ‘जिहादी-आतंकवादी समर्थक’ मसूद खान की अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत के रूप में नियुक्ति अमान्य की जाए।…हम विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और विदेश मामलों पर सीनेट की और प्रतिनिधि सभा की सभी समितियों के सदस्यों से भी अनुरोध करते हैं कि इसका समर्थन करें।'
प्रवासी भारतीयों के इस दल का भी कहना है कि 'मसूद खान ने अनेक मौकों पर जिहादी-आतंकवादियों के प्रति नरम रुख दिखाया है। उन्होंने आफिया सिद्दीकी को रिहा करने की पैरवी करते हुए उसे ‘लेडी अल-कायदा’ तक लिखा है। अमेरिकी कानून के अंतर्गत घोषित आतंकवादी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन, हरकत-उल-मुजाहिदीन तथा जमात-ए-इस्लामी आदि के लिए मसूद का समर्थन न केवल अमेरिकी हितों के लिए अपितु वैश्विक शांति के लिए भी नुकसानदायक है।'
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