कम्युनिस्ट सत्ता अपने देश चीन में विदेशी पत्रकारों के साथ बर्बर तरीके से पेश आ रही है। यह कहना है बीजिंग में कार्यरत कुछ विदेशी पत्रकारों का। वहां विदेशी संवाददाताओं के क्लब (एफसीसी) ने कहा है कि पत्रकारों को तरह—तरह से परेशान किया जाता है।
क्लब का कहना है कि विदेशी पत्रकारों को शारीरिक उत्पीड़न झेलना पड़ता है। इतना ही नहीं, उनकी हैकिंग की जाती है और आनलाइन ट्रोल किया जाता है। चीन में विदेशी पत्रकारों के लिए वीजा से जुड़ी तमाम तरह की परेशानियां खड़ी की जाती हैं।
विदेशी पत्रकारों द्वारा ड्रैगन की हरकतों के इस खुलासे से साफ है कि चीन में मीडिया आजाद नहीं रहा है। विदेशी संवाददाताओं के क्लब का यहां तक कहना है कि उन्हें वीजा तक देने से मना कर दिया जाता है। इसके अलावा भी कई तरह की दिक्कतें पैदा की जाती हैं।
बीजिंग में जल्दी ही शीतकालीन ओलिंपिक खेल शुरू होने जा रहे हैं। दुनिया के तमाम मीडिया समूहों का ध्यान उस ओर है। लेकिन दूसरी तरफ चीन ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए है।
सिर्फ विदेशी ही नहीं, चीन और हांगकांग में काम कर रहे स्थानीय पत्रकारों को भी कितनी ही मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। दिलचस्प बात यह है कि चीन पर ऐसे आरोप लगाने वाले एफसीसी को ही वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार एक प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया है।
यहां बता दें कि बीजिंग में जल्दी ही शीतकालीन ओलिंपिक खेल शुरू होने जा रहे हैं। दुनिया के तमाम मीडिया समूहों का ध्यान उस ओर है। लेकिन दूसरी तरफ चीन ही अंतरराष्ट्रीय मीडिया के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए है।
सिंक्यांग प्रांत में उइगरों के दमन, उनके मानवाधिकार को रौंदे जाने तथा हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों के उत्पीड़न की दुनिया में हो रही भर्त्सना के बावजूद चीन का यह रवैया उसका अक्खड़पन ही नहीं, तानाशाही भी दिखाता है। समाचार पत्रों में आई रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विदेशी पत्रकार तो वहां इतने ज्यादा उत्पीड़ित किए गए हैं कि उन्होंने चीन से चले जाने में ही खैर मानी।
टिप्पणियाँ