उत्तराखंड की सर्द हवाओं के बीच राजनीति गर्म हो चली है। 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व के सर्वेक्षण बता रहे हैं कि इस बार परम्पराएं टूटेंगी और फिर से भाजपा सरकार सत्ता में लौटेगी। उल्लेखनीय है कि यहां पिछले चार चुनावों में हर पांच वर्ष में कांग्रेस और भाजपा के बीच सत्ता बदलने की परंपरा रही है। न्यूज चैनलों ने नामांकन से पहले की अपनी सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि भाजपा सरकार बहुमत से थोड़ा ज्यादा सीटें लेकर सत्ता में आएगी।
टाइम्स नाउ समूह का सर्वे दावा करता है कि उत्तराखंड में भाजपा फिर से सरकार बनाने जा रही है और भाजपा को 70 में से कम से कम 40 और ज्यादा से ज्यादा 50 सीटें मिलेंगी जबकिं कांग्रेस 12 से 15 तक सिमट जाएगी। इस सर्वे में ‘आप’ को 5 से 8 और अन्य को दो सीटें मिलने की बात कही गई है।
एबीपी न्यूज ने अपने ताजा सर्वे में भाजपा को 70 में से 36 से 40,कांग्रेस को 26 से 30, आप को 1 से 3 और अन्य को 0 से 1 सीटें जीत सकने के दावा किया है। आर भारत ने अपने सर्वे में भाजपा को 36 से 42 कांग्रेस को 25 से 31, आप को 0 से 2 और अन्य को 1 से 3 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है।
कुछ दिन पहले जी न्यूज का सर्वे आया जिसमें उसने भाजपा को 31 से 35 सीट, कांग्रेस को 33 से 37,आप को 0 से 2 और अन्य को 2 सीटें दी हैं। नवम्बर में हुए सर्वे में आज तक ने भाजपा को 36 से 40 सीट, कांग्रेस को 30 से 34, आप को 2 और अन्य को एक सीट दी थी।
2017 में भाजपा को 70 में से 57 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला था, उस वक्त किसी न्यूज चैनल सर्वे में ये बात नहीं कही थी कि भाजपा को 50 के पार भी बहुमत मिल सकता है। हालांकि पोलिंग के बाद एक दो न्यूज चैनलों ने कहा था कि भाजपा की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने वाली है।
उत्तराखंड में भाजपा की वापसी डबल इंजन की सरकार के स्लोगन पर टिकी हुई है। उत्तराखंड की जनता में शिक्षित वर्ग ज्यादा है उन्हें ये मालूम है कि केंद्र ने यहां एक लाख चालीस हजार करोड़ की मदद विभिन्न बड़ी परियोजनाओ में की हुई है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इतनी मदद किसी भी केंद्र सरकार ने नही की। भाजपा उत्तराखंड के वोटर्स को ये ही समझा रही है कि केंद्र में और राज्य में एक ही सरकार होगी, तभी बड़ी परियोजनाओं का काम पूरा कराया जा सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी अपनी तीन जनसभाओं में यही बात पुरजोर ढंग से समझा भी गए कि डबल इंजन की सरकार से ही उत्तराखंड का भला होगा।
रहा सवाल कांग्रेस का जो कई धड़ों में बंटी हुई है, भाजपा के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद को सीएम का चेहरा बता रहे है जबकि इस बात को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस में ही विरोध है। यहां तक कि विरोध के चलते उन्हें अपनी सीट बदलनी पड़ी है
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भाजपा को फायदा इस बात का भी मिल रहा है कि वह विकास के साथ राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की राह पकड़ कर चुनाव लड़ रही है । बाबा केदारनाथ धाम को सजाने-संवारने के बाद मोदी सरकार बद्रीनाथ धाम को संवारने जा रही है। वहां तक आल वेदर रोड बन रही है। हरिद्वार की कायापलट हो चुकी है यानि हिन्दू तीर्थस्थलों का चौमुखी विकास हो रहा है जो अभी तक किसी सरकार ने नहीं किया। इसी तरह शहीद सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान में देहरादून में सैन्य धाम बन रहा है। पूर्व सैनिकों की एक बड़ी संख्या उत्तराखंड के हर गांव में बसी हुई है।
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