दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान राजनीतिक फायदे के लिए किसानों को भड़काने वाली आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब में वही किसान परेशानी का सबब बनते दिख रहे हैं। कथित किसान आंदोलन के दौरान बलबीर सिंह राजेवाल एक चेहरा बनकर उभरे थे। भले ही अन्य दलों के साथ उनका रुख कड़ा था, लेकिन आआपा के प्रति उनका रुख नरम था।
कथित आंदोलन के समय यह कयास लगाए जा रहे थे कि राजेवाल आआपा में शामिल हो जाएंगे और पंजाब में विधानसभा चुनाव में उसके साथ ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि कई कारणों से आआपा के साथ उनकी पटरी नहीं बैठी। लिहाजा, उन्होंने आआपा से संबंध तोड़ लिए। कभी आआपा की तारीफ करने वाले राजेवाल अब संयुक्त समाज मोर्चा का नेतृत्व करते हुए केजरीवाल की पार्टी की पोल खोलने लग गए हैं।
राजेवाल ने स्पष्ट कहा कि आआपा के साथ गठजोड़ नहीं किया, क्योंकि पार्टी के नेता टिकट बेच रहे थे। इस संबंध में उन्होंने केजरीवाल को सबूत भी सौंप दिए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। केजरीवाल के साथ जब उनकी गठबंधन संबंधित मीटिंग हुई तो राजेवाल ने स्पष्ट कहा कि यदि उन्हें पंजाब में पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनाना चाहते हैं तो वे भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि आआपा ने जो उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें सरमाएदारों से कोठियां व कारें लेकर टिकटें दी गईं।
राजेवाल ने कहा कि जो राजनीतिक नेता करोड़ों रुपये की टिकट खरीद कर विधायक बनते हैं, वे बड़ा भ्रष्टाचार करेंगे। राजनीति को व्यापार बनाने का प्रयास करेंगे जो उन्हें बर्दाश्त नहीं। उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त समाज मोर्चा का गठन पंजाब की राजनीति में फैली गंदगी को साफ करने के लिए हुआ है, क्योंकि यहां नेता लोगों का पैसा विकास की बजाय भ्रष्टाचार कर अपनी तिजोरियां भरते हैं।
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