एक लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद चीन के सिंक्यांग प्रांत का दौरा करने के लिए चीन से बार—बार इजाजत मांग रहा था। यह वही प्रांत हैं जहां उइगर मुस्लिमों की सबसे ज्यादा आबादी है और उन पर चीन की कम्युनिस्ट सरकार के दमन की खबरें पूरी दुनिया तक पहुंच चुकी हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद वहां के हालातों का जायजा लेने के लिए अपने प्रमुख को भेजना चाहती है।
इस दौरे के लिए अब चीन तैयार हुआ है। एएनआई के अनुसार, इस दौरे के लिए बीजिंग ओलंपिक खेलों के खत्म होने के बाद अनुमति दी गई है। अब यह तय माना जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख सिंक्यांग जाकर परिस्थितियों पर नजर डालेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंक्यांग में उइगर, कज़ाख तथा अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों को बहुत ज्यादा यातनाएं दी जा रही हैं। वहां यातना शिविर बनाए हुए हैं जहां इन अल्पसंख्यक समुदायों का उत्पीड़न किया जाता है। चीन सरकार की ये सब हरकतें मानवाधिकार का साफ तौर पर उल्लंघन हैं।
अमेरिका सहित अनेक पश्चिमी देश उइगर मुस्लमानों के साथ चीन में किए जा रहे दुर्व्यवहार को लेकर चीन को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। लेकिन बीजिंग ने हमेशा ऐसे आरोपों को नकारा ही है।
अमेरिका सहित अनेक पश्चिमी देश उइगर मुस्लमानों के साथ चीन में किए जा रहे दुर्व्यवहार को लेकर चीन को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। लेकिन बीजिंग ने हमेशा ऐसे आरोपों को नकारा ही है। उल्लेखनीय है कि सितंबर 2018 से ही संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट चीन के सिंक्यांग प्रांत की परिषद के प्रमुख की यात्रा को लेकर चीनी अधिकारियों के संपर्क में थे।
जून 2021 में, संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख ने उइगरों को लेकर मानवाधिकार उल्लंघन की स्थिति देखने के लिए चीन से सिंक्यांग जाने की अनुमति मिलने की उम्मीद जताई थी। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, बीजिंग विंटर ओलंपिक के खत्म होने के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को सिंक्यांग जाने की मंजूरी दी गई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, बीजिंग की शर्त यह है कि यह दौरा जांच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
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