श्रीलंका के आतंकवाद-रोधी कानून को लेकर एक लंबे समय से बहस जारी थी। इस कानून में प्रावधान था कि संदिग्ध की बिना मुकदमे कैद दी जा सकती थी और उसे 18 महीने की नजरबंदी में रखा जा सकता था। लेकिन एक लंबे समय से यूरोपीय संघ तथा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का श्रीलंका पर दबाव था कि यह कानून सुधारा जाए क्योंकि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। और इसी वजह से अंतत: श्रीलंका को अपने इस कानून में बदलाव करना पड़ा है।
सरकार ने 27 जनवरी को गजट सूचना जारी करके कहा है कि आतंकवाद रोधी कानून (पीटीए) को बदला जाएगा। यह कानून 1979 में लागू किया गया था, जो पीटीए के अधिकारियों को वारंट के बिना आतंकवादी गतिविधि में शामिल होने के संदेह वाले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने तथा उसकी तलाशी लेने की छूट देता है। इस कानून में बदलाव करने का यह कदम जिनेवा में यूएनएचआरसी के आगामी मार्च में होने वाले सत्र से ठीक पहले उठाया गया है। उस सत्र में श्रीलंका में मानवाधिकारों के प्रति जवाबदेही की समीक्षा होनी है।
इस बदलाव में नजरबंदी की मियाद 18 महीने से घटाकर 12 महीने की जानी है। यह पक्का करने की व्यवस्था करनी है कि कैदी को यातना न झेलनी पड़े। यह बदलाव मजिस्ट्रेट के लिए संदिग्ध कैदी को हिरासत में लेने की जगह का दौरा करना भी जरूरी बनाता है।
सकरार की ओर से कहा गया है कि विधेयक कई संशोधनों का प्रस्ताव करता है। यह सुनिश्चित करता है कि संदिग्ध लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के विषय में सर्वोच्च न्यायालय जाकर राहत पाने की अनुमति दी जाएगी। यह गिरफ्तार व्यक्ति को कानूनी पहुंच की अनुमति देने का प्रस्ताव करता है। साथ ही यह संदिग्ध के रिश्तेदारों को कैदी के साथ बातचीत करने की भी छूट देता है।
जारी की गई सूचना में है कि नजरबंदी की मियाद 18 महीने से घटाकर 12 महीने की जानी है। दरअसल बदलाव यह पक्का करने के लिए है कि कैदी को यातना अथवा कोई अपमानजनक हालत न झेलनी पड़े। यह बदलाव मजिस्ट्रेट के लिए संदिग्ध कैदी को हिरासत में लेने की जगह का दौरा करना भी जरूरी बनाता है। इससे यह पक्का होगा कि संदिग्ध को यातनाएं नहीं दी गई हैं।
यूएनएचआरसी दुनियाभर में मानवाधिकारों के रक्षण पर नजर रखती है और जहां कहीं से इनके हनन की खबर मिलती है तो उस पर कार्रवाई करती है। इसलिए श्रीलंका के उक्त कानून पर एक लंबे समय से बदलाव का दबाव बनाया जा रहा था। इसके लिए यूएनएचआरसी के साथ यूरोपीय संघ का भी काफी दबाव था।
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