दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका का दिल्ली पुलिस ने विरोध किया है। दिल्ली पुलिस के अभियोजन पक्ष ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगे की साजिश की तुलना अमेरिका में हुए 9/11 के आतंकी हमले से की।
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने जेएनयू छात्र उमर खालिद की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि 9/11 आतंकी हमले की साजिश मलेशिया में रची गई। अंजाम देने में शामिल लोगों ने एक विशेष जगह पर पहुंचकर प्रशिक्षण लिया था। केवल वही लोग अमेरिका गए, जिसने घटना को अंजाम दिया गया था। ठीक ऐसे ही उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की साजिश रची गई थी। उमर खालिद कभी धरनास्थल पर नहीं दिखा, लेकिन घटना की वही पूरी रूपरेखा तैयार करता रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के कोर्ट में सुनवाई के दौरान अमित प्रसाद ने कई वाट्सएप चैट पेश किए जो उमर खालिद से संबंधित थे। साथ ही बताया कि किस तरह उमर खालिद जाफराबाद में बांटे गए पर्चे तैयार कर रहा था। पर्चे धरनास्थल के अलावा मस्जिदों के इमामों को नमाज के दौरान खुतबा पढ़ने के लिए दिए गए थे। अमित प्रसाद ने कहा कि 2020 के विरोध प्रदर्शन का मुद्दा सीएए या एनआरसी नहीं, बल्कि असल में उसे तीन तलाक कानून बनने, अनुच्छेद 370 हटने और अयोध्या के विवादित ढांचे का दर्द था। इसके जरिए सरकार को शर्मिंदा करने के लिए यह उठाया गया कदम था। इस दौरान उन्होंने उमर और शरजील इमाम के बीच की कड़ी जोड़ते हुए कहा कि शरजील भी अपने भाषणों में ऐसे ही बात करता आया है।
वहीं, मामले की सुनवाई को दौरान बचाव पक्ष ने कहा था कि उमर खालिद ने कोई गोपनीय बैठक नहीं की, जो भी बैठकें हुईं, सार्वजनिक थीं, जिस पर अभियोजन ने दो तस्वीरें कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि गोपनीय बैठक के ये साक्ष्य गूगल लेंस से तलाशने पर नहीं मिलेंगे। वहीं, इस मामले में पुलिस ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है।
टिप्पणियाँ