पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कोलकाता में गणतंत्र दिवस समारोह में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की अगवानी करने से इनकार कर दिया। अपनी जगह मुख्य सचिव एच. के. द्विवेदी को राज्य के संवैधानिक प्रमुख की अगवानी के लिए भेजा जो राज्य के इतिहास में विरल है। यह मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच तल्खी की पराकाष्ठा को दिखाता है।
इसके अलावा विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ जब नेता प्रतिपक्ष को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया हो। विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी के साथ मुख्यमंत्री पोडियम पर बैठी थीं, तभी राज्यपाल बिना हुड वाली कार में मौके पर पहुंचे। द्विवेदी और डीजीपी मनोज मालवीय ने उनका स्वागत किया। जब धनखड़ ने हाथ जोड़कर बनर्जी का अभिवादन किया, तो उन्होंने जवाबी अभिवादन तो किया लेकिन उनकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल की अगवानी का एक प्रोटोकॉल है जिसे भयानक तरीके से ममता ने दरकिनार किया है। उन्होंने इस कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित नहीं किए जाने को बंगाल के विधायी इतिहास में दुर्लभतम घटना करार दिया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि ममता ने ऐसा करके मुख्यमंत्री की कुर्सी की अवहेलना की। शर्म आती है।
प्रोटोकॉल के अनुसार सरकारी कार्यों और आयोजनों में उपस्थिति को लेकर भारत के राजपत्र ने राज्यपालों को क्रम में चौथे स्थान पर रखा है। वह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के ठीक बाद चौथे महत्वपूर्ण अतिथि हैं। कोलकाता में राजभवन ने अभी तक इस घटना पर कोई बयान जारी नहीं किया है। लेकिन जाहिर तौर पर इससे राज्य के संवैधानिक प्रमुख और कार्यकारी प्रमुख के बीच एक और टकराव पैदा होगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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