'तालिबान को मत देना मान्यता, ये वैसे ही जालिम हैं, बदले नहीं हैं': ओस्लो में अफगानियों का प्रदर्शन
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‘तालिबान को मत देना मान्यता, ये वैसे ही जालिम हैं, बदले नहीं हैं’: ओस्लो में अफगानियों का प्रदर्शन

by WEB DESK
Jan 25, 2022, 06:45 am IST
in विश्व, दिल्ली
ओस्लो में विदेश मंत्रालय के बाहर तालिबान विरोधी प्रदर्शन करते हुए अफगानी

ओस्लो में विदेश मंत्रालय के बाहर तालिबान विरोधी प्रदर्शन करते हुए अफगानी

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तालिबान के साथ जहां वार्ता हो रही है उसी इमारत के बाहर वे अफगानी नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन में लगे हैं जो इन लड़ाके नेताओं की असलियत पहचानते हैं

एक तरफ अफगानिस्तान में आम अफगानी भूखों मरने को मजबूर हैं तो दूसरी तरफ पाकिस्तान प्रायोजित ​इस्लामी लड़ाकों के प्रतिनिधि अफगानिस्तान के हुक्मरान के नाते दुनिया से मान्यता पाने में व्यस्त हैं। तालिबान लड़ाकों के नेता नार्वे की राजधानी ओस्लो में पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों से तीन दिन की बातचीत कर रहे हैं। 

इस तालिबानी दल में खूंखार हक्कानी गुट का नेता अनस हक्कानी भी शामिल है जिस पर अफगानिस्तान में कई जानलेवा हमलों का आरोप है। ऐसे जिहादी सोच के लोगों से ​जहां वार्ता हो रही है उसी इमारत के बाहर वे अफगानी नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन में लगे हैं जो इन लड़ाके नेताओं की असलियत पहचानते हैं। वे नारे लगा रहे हैं, 'तालिबान के झांस में मत आना, इनमें कोई बदलाव नहीं हुआ है, ये वही 2001 के जिहादी सोच के लड़ाके हैं'। 
  
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में जबरन सत्ता हथियाने के बाद अपनी पहली यूरोप यात्रा पर आए तालिबान ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट पर 24 जनवरी को ओस्लो में पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की थी। बैठक के बाद तालिबान नेताओं ने इस बातचीत को "अपने आप में एक सफलता" बताया। 

 

ओस्लो गए तालिबान के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में तालिबान के सबसे खूंखार साथी हक्कानी नेटवर्क का नेता अनस हक्कानी भी है। उस पर अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा विध्वंसक हमलों को अंजाम देने का आरोप है। अनस को अमेरिका ने कुछ साल बगराम बंदी केंद्र में कैद रखा था। ऐसे आदमी के बैठक में मौजूद होने की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है।

    
दरअसल तालिबान तो चाहते ही हैं कि दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देश उनसे बात करें जिससे वे अपने को अफगानिस्तान की जायज सरकार दिखा सकें। ओस्लो गए तालिबान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तालिबान सरकार में विदेश मंत्री अमीर खान मुतक्की के पास है। 24 जनवरी की वार्ता में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, यूरोपीय संघ और नॉर्वे के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बातचीत के बाद, मुतक्की ने संवाददाताओं से कहा कि पश्चिमी प्रतिनिधियों के साथ बैठक "अपने आप में एक कामयाबी" है। यानी वही बात कि तालिबान तो चाहते हैं कि वे सभ्य समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर फोटो खिंचवाएं जिससे वे भी सभ्य होने का दिखावा कर सकें। बताते हैं, पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों ने तालिबान से कहा कि उन्हें सहायता फिर से मिलनी शुरू हो, इससे पहले मानवाधिकारों का सम्मान करना होगा, क्योंकि अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी भूख से तड़प रही है। 

तालिबान के उप सूचना मंत्री तथा प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक ट्वीट में लिखा, "बैठक में मौजूद लोगों ने माना है कि समझ और आपसी सहयोग ही अफगानिस्तान की तमाम मुश्किलों का इकलौता समाधान है।" 

जैसा कि पहले बताया, नॉर्वे के आमंत्रण पर ओस्लो गए तालिबान के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में तालिबान के सबसे खूंखार साथी हक्कानी नेटवर्क का नेता अनस हक्कानी भी है। उस पर अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा विध्वंसक हमलों को अंजाम देने का आरोप है। यह वही अनस है जिसे अमेरिका ने कुछ साल बगराम बंदी केंद्र में कैद रखा था। उसे 2019 में बंदियों की अदला-बदली के दौरान छोड़ा गया था। ऐसे आदमी के बैठक में मौजूद होने की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना हो रही है। एक सूत्र के अनुसार, नॉर्वे में रहने वाले एक अफगान ने ओस्लो में हक्कानी नेटवर्क के विरुद्ध युद्ध अपराधों के लिए पुलिस में रिपोर्ट लिखाई है।
 

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