उइगर मुस्लिमों पर चीन के अत्याचारों को लेकर उसके विरुद्ध लामबंद होते हुए फ्रांस की संसद ने कल एक प्रस्ताव पारित कर ड्रैगन के बर्ताव पर चिंता व्यक्त की है। फ्रांस की संसद में यह प्रस्ताव ऐसे वक्त पर पारित हुआ है जब बीजिंग दो हफते बाद ही शीतकालीन ओलंपिक खेलों का उद्घाटन करने जा रहा है। उइगरों पर चीन सरकार के दमन को लेकर दुनिया के अनेक देश बीजिंग ओलंपिक के कूटनीतिक बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं।
20 जनवरी को फ्रांसीसी संसद ने यह प्रस्ताव पारित कर चीन में उइगर मुस्लिमों के दमन को 'नरसंहार' माना है। संसद के निचले सदन में इस प्रस्ताव को विपक्षी दल सोशलिस्ट पार्टी की तरफ से प्रस्तुत किया गया था। हैरानी की बात यह हुई कि विपक्षियों द्वारा रखे गए इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की रिपब्लिक ऑन द मूव पार्टी ने भी अपना समर्थन दिया।
प्रस्ताव में लिखा गया है कि "संसद आधिकारिक रूप से उइगर समुदाय के विरुद्ध चीन की ओर से की जा रही हिंसा को मानवता के विरुद्ध अपराध मानती है और इसे नरसंहार करार देती है।" यही नहीं, प्रस्ताव में इस बात पर भी बल दिया गया है कि फ्रांस सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ चीन की नीतियों में बदलाव का दबाव बनाए।
पारित हुए प्रस्ताव में लिखा गया है कि "संसद आधिकारिक रूप से उइगर समुदाय के विरुद्ध चीन की ओर से की जा रही हिंसा को मानवता के विरुद्ध अपराध मानती है और इसे नरसंहार करार देती है।" यही नहीं, प्रस्ताव में इस बात पर भी बल दिया गया है कि फ्रांस सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ चीन की नीतियों में बदलाव का दबाव बनाए।
फ्रांस की सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष ओलिवियर फौरे का कहना है, "चीन एक बड़ी ताकत है। हम भी चीनी नागरिकों से प्यार करते हैं। लेकिन हम किसी शासन द्वारा प्रसारित किए जा रहे दुष्प्रचार को मानने से इनकार करते हैं। चीनी सरकार हमारी कायरता की वजह से प्रत्यक्ष रूप से एक नरसंहार को अंजाम दे रहा है।"
टिप्पणियाँ