श्रीलंका का मीडिया खुलकर भारत की समय पर की गई मदद की तारीफें कर रहा है। सब जानते हैं कि श्रीलंका इन दिनों कर्जों के बोझ तले दबा है, जिसमें चीन की बहुत बड़ी भूमिका है। श्रीलंका के पास जरूरतें पूरी करने के लिए पैसा नहीं है, कर्जा तो वह कहां से चुकाएगा। ऐसे मुश्किल वक्त में भारत ने सबसे पहले उसे इस हालत से निकालने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। और भारत के इस पड़ोसी धर्म की श्रीलंका का मीडिया खुले दिल से प्रशंसा कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि गत सप्ताह श्रीलंका स्थित भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर की सहायता देने की घोषणा की थी। यह मदद बड़ी तो है, लेकिन काफी नहीं। इसलिए भारत ने 18 जनवरी को और 50 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद देने की बात कही है। यह राशि श्रीलंका की पेट्रोलियम उत्पाद ख़रीदने में काम आएगी। भारत की इस सहायता की खबरें श्रीलंका के अख़बारों में पहले पन्नों पर छापी गई हैं।
'डेली फ़ाइनेंशियल टाइम्स' ने भी अपने पहले पन्ने पर यह ख़बर छापी है जिसमें लिखा है कि 'श्रीलंका जब ईंधन तथा ऊर्जा के संकट में उतरता दिख रहा है, ऐसे में भारत ने सहायता की है।…वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भारत से 2.4 अरब डॉलर की मदद की पुष्टि की है।
श्रीलंका के सुप्रसिद्ध समाचार पत्र 'डेली मिरर' ने अपने पहले पन्ने पर जो ख़बर छापी है उसका शीर्षक है-'तेल के प्यासे श्रीलंका को भारत ने दी लाइफ़लाइन'।
'डेली मिरर' की रिपोर्ट में लिखा गया है, ''श्रीलंका अपने सहयोगियों का क़र्ज़दार है। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार ख़ाली हो चुका है। इसने अब अपना सोना बेचना शुरू कर दिया है। इस सबके बीच, अमेरिका की रेटिंग संस्था 'फिच' ने श्रीलंका की 'क्रेडिट रेटिंग' घटाकर ‘सीसी’ कर दी है। बता दें कि यह 'रेटिंग' 'डिफ़ॉल्टर' होने से ठीक पहले वाली है।”
उधर, श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पूर्व उप-गवर्नर तथा देश के सुप्रसिद्ध अर्थविद् डॉ. डब्ल्यू. विजयवर्धना ने भारत की सहायता पर ट्वीट में लिखा, ''भारत ने श्रीलंका को दो महीने के लिए राहत दे दी है। इस बीच श्रीलंका को आर्थिक सुधार करने चाहिए। श्रीलंका को पता होना चाहिए कि भारत उसे इस संकट से पूरी तरह से नहीं निकाल सकता। श्रीलंका को आईएमएफ़ से बात करनी चाहिए। इससे एक स्थायी समाधान मिलेगा।''
इतना ही नहीं, श्रीलंका के जाने—माने आर्थिक अख़बार 'डेली फ़ाइनेंशियल टाइम्स' ने भी अपने पहले पन्ने पर यह ख़बर छापी है जिसमें लिखा है कि 'श्रीलंका जब ईंधन तथा ऊर्जा के संकट में उतरता दिख रहा है, ऐसे में भारत ने सहायता की है।…वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे ने भारत से 2.4 अरब डॉलर की मदद की पुष्टि की है। बासिल राजपक्षे की भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से बात हुई थी।
रिपोर्ट में आगे है कि 'बासिल राजपक्षे ने कहा है कि भारत का श्रीलंका से लंबे समय से सहयोग रहा है। बासिल ने भारत की इस मदद के लिए आभार जताया है।' खबर में है कि बासिल राजपक्षे ने श्रीलंका के बंदरगाह, ढांचागत निर्माण, विनिर्माण और ऊर्जा में भारत के निवेश का स्वागत किया है।
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका सरकार ने इसी साल भारत के साथ त्रिंकोमाली में 61 तेल टैंक बनाने का फ़ैसला किया था। श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदया गम्मनपिला ने बताया था कि भारत यह काम श्रीलंका की त्रिणको पेट्रोलियम टर्मिनल कंपनी के साथ करेगा।
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