भारत की सीमा से सटे प्रांत को आखिरकार नेपाल ने 'मधेश प्रदेश' नाम रख ही दिया। इसके साथ ही, एक लंबे वक्त से नाम को लेकर चली आ रही बहस थम गई है। भारत की सीमा से सटा नेपाल का ये प्रांत अब तक दक्षिण-पूर्वी प्रांत 2 के नाम से जाना जाता था, इसे ही अब 'मधेश प्रदेश' नाम दिया गया है। इस प्रदेश की राजधानी बनाया गया है जनकपुर को। उल्लेखनीय है कि इस प्रांत का गठन 2015 में हुआ था।
इस संबंध में 17 जनवरी को प्रांत की विधानसभा ने मतदान किया गया था। प्रांत के नाम और राजधानी को लेकर दो तिहाई बहुमत से मतदान हुआ था। 99 सदस्यों में से 78 ने जनकपुर को राजधानी बनाने के पक्ष में मत दिया था। जबकि 80 सदस्यों ने प्रांत का नाम 'मधेश प्रदेश' रखने पर अपनी मुहर लगाई थी।
इस संबंध में प्रांत की विधानसभा ने मतदान किया गया था। प्रांत के नाम और राजधानी को लेकर दो तिहाई बहुमत से मतदान हुआ था। 99 सदस्यों में से 78 ने जनकपुर को राजधानी बनाने के पक्ष में मत दिया था। जबकि 80 सदस्यों ने प्रांत का नाम 'मधेश प्रदेश' रखने पर अपनी मुहर लगाई थी।
यह प्रांत क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा जरूर है, लेकिन आबादी के लिहाज से देश का दूसरा सबसे बड़ा प्रांत है। बता दें कि इसकी सीमा दक्षिण में बिहार से सटी है। भारत से लगते इस प्रांत के आठ जिले हैं—बारा, परसा, रौताहाट, सरलाही, महोत्तरी, धनुष, सिराहा तथा सप्तरी।
इस प्रांत की मुख्य भाषा मैथिली है। प्रांत के नामकरण के संदर्भ में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के नेता राजेंद्र महतो का कहना है कि इस प्रांत को नया मधेश प्रदेश देना नेपाल के इतिहास में पूर्ण संघवाद की दिशा में मील के पत्थर जैसा है।
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