उत्तराखंड में अंग्रेजी शासन काल से लंबित बागेश्वर टनकपुर रेल लाइन बिछाने के प्रोजेक्ट का फाइनल सर्वे का काम तेजी से शुरू हो गया है। टनकपुर से लोहाघाट तक बन रही आल वेदर रोड के साथ-साथ ये लाइन बिछाई जाएगी और इसका अस्सी फीसदी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा। टनकपुर-बागेश्वर रेल प्रोजेक्ट 1911-12 में अंग्रेजों द्वारा सोचा गया था, हिमांचल, दार्जलिंग और अन्य पहाड़ी राज्यों की तरह यूपी के पहाड़ी पर्यटन नगरों में छोटी लाइन के रेल प्रोजेक्ट पर काम होना था। उसी दौरान आजादी आंदोलन ने जोर पकड़ा और उत्तराखंड के पहाड़ों पर रेल लाइन बिछाने का सपना अधूरा रह गया।
कांग्रेस शासन काल मे ऋषिकेश कर्णप्रयाग, टनकपुर बागेश्वर रेल प्रोजेक्ट केवल चुनावी घोषणा मात्र बना रहा। मोदी सरकार ने ऋषिकेश कर्णप्रयाग पर अपने पहले कार्यकाल में ही काम शुरू करवा दिया था। हाल ही में पीएम मोदी ने जब हल्द्वानी की जनसभा में ये कहा कि इस प्रोजेक्ट को हमने फाइनल सर्वे की मंजूरी देते हुए बजट जारी कर दिया है। पीएम ने ये भी कहा था सौ-सौ साल से लटके प्रोजेक्ट्स की फाइलों पर धूल साफ करना उनके हाथों में लिखा है। लिहाजा टनकपुर – बागेश्वर के बीच रेल लाइन जरूर बनेगी ये मेरा वायदा है।
पीएम की इस घोषणा के बाद इस प्रोजेक्ट के लिए 28.95 करोड़ का फाइनल सर्वे बजट भी जारी हो गया और नोएडा की स्काईलार्क कंपनी द्वारा इसके सर्वे का काम भी शुरू कर दिया गया। 154.58 किमी लम्बी टनकपुर- बागेश्वर रेल लाइन का 80 फीसदी हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा, ताकि पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो, रेल लाइन ऑलवेदर रोड के समांतर ही बिछाई जाएगी, जो कि चंपावत लोहाघाट से होकर गुजर रही है। टनकपुर-बागेश्वर रेल पथ का आंदोलन करने वाले गंगा गिरी गोस्वामी ने सर्वे प्रोजेक्ट का काम शुरू होने पर खुशी जाहिर की है।
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