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गर्मियों की शुरुआत हो गई है और ऐसे में हम उससे बचने को हर संभव प्रयास करते हैं। उन उपायों में एक उपाय योग भी है। गर्मियां हमें थका देती हैं और ऐसे मौसम में हम कुछ हद तक चिढ़चिढ़े हो जाते है। इन स्थितियों का मुकाबला करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है प्राणायाम करना
आचार्य कृष्णदेव
योग शास्त्र में योग की हजारों विधियां दी गई हैं और हरेक व्यक्ति को उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति-क्षमता और देश-काल के अनुकूल किसी कुशल प्रशिक्षक के सान्निध्य में योग सीखने की सलाह दी गई है। उचित प्रशिक्षण के बिना केवल टी.वी. देखकर या पुस्तक पढ़कर योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए। ठीक से सीखने के बाद आप स्वयं भी अभ्यास कर सकते हैं। योगाभ्यास में आप आसन, प्राणायाम और ध्यान को प्रतिदिन शामिल करें। गर्मी के मौसम में किए जाने प्राणायाम हैं-भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, नाड़ी शोधन, चंद्रभेदी, चंद्र अनुलोम विलोम, उज्जायी, शीतली, शीत्कारी, भ्रामरी इत्यादि। आज यहां विशेष रूप से चंद्रभेदी प्राणायाम के बारे में जानते हैं :
विधि :
’ ध्यानात्मक आसन यथा सुखासन, वज्रासन, सिद्धासन, पद्मासन में अथवा कुर्सी पर बैठकर सर्वप्रथम अपने शरीर को आराम की मुद्रा में लाकर अपने सिर, गले और मेरुदंड को सीधा कर एक सही स्थिति में आराम से बैठ जाएं। ध्यान रखें स्थान ऐसा हो जहां की वायु शुद्ध हो
’ बाईं हथेली को बाएं घुटने पर रखें। दाहिनी हाथ की तर्जनी अंगुली से दाहिनी नासिका को हल्के दबाकर बंद करें। अंगूठे को शेष तीनों अंगुलियों से दबा कर रखें।
’ अब हर बार बाईं नासिका से लंबी गहरी श्वास और दाहिनी नासिका से खाली करें। लगभग तीन से पांच सेकेंड में लेना और इतने ही समय में खाली करना।
’ कुछ दिनों बाद जब यह अभ्यास पक्का हो जाए तब कुंभक के साथ भी अभ्यास कर सकते हैं। यानी हर बार श्वास अंदर लेने के बाद अपनी क्षमतानुसार दो से चार सेकेंड तक अंदर ही रोक लें, फिर बाहर करें। श्वास ज्यादा देर तक
न रोकें।
’ इस तरह कुछ दिनों के अभ्यास के बाद आप जालंधर बंध भी लगा सकते हैं। यानी भीतर श्वास रोकने के बाद गले को आगे मोड़ते हुए ठुड्डी को कंठ कूप से लगाने का प्रयास। जब श्वास छोड़ना हो तो चेहरे को ऊपर उठाकर श्वास खाली करें।
’ डायफारमेटिक ब्रीथिंग अर्थात् धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस (श्वास) छाती (फेफड़ों ) में भरें और खाली करें। प्रयास रहे कि श्वासों की आवाज न आए तो अच्छा है।
’ आपका पूरा ध्यान श्वासों के प्रति सजग हो। हरेक आती और जाती श्वास का मानसिक निरीक्षण करें।
’ इस प्राणायाम को पांच से 10 बार प्रतिदिन करें। आप इसे सुबह और शाम दोनों समय भी कर सकते हैं।
लाभ :
’ शरीर में शीतलता आने से थकावट एवं उष्णता दूर होती है।
’ मन की उत्तेजनाएं शांत होती हैं जिससे मन शांत रहता है और क्रोध नहीं आता।
’ इस प्राणायाम से पित्त भी शांत होता है।
’ नींद की समस्या भी दूर होकर नींद अच्छी आती है।
’ तनाव (स्ट्रेस/ डिप्रेशन) की समस्या दूर होती है।
’ उच्च रक्तचाप ठीक हो सकता है।
’ बुखार ठीक हो सकता है।
’ जीवनी शक्ति ‘प्राण ऊर्जा’ मजबूत होती है।
’ नकारात्मक विचार दूर होकर मन में सकारात्मक भाव पुष्ट होता है। चंद्रभेदी प्राणायाम से शरीर का तापमान ठीक रहता है और इसको गर्मियों में करने से आप शक्ति का अनुभव करेंगे।
सावधानियां :
’ हृदय रोग अथवा उच्च रक्तचाप हो तो कुंभक न लगाएं यानी श्वास रोकने वाले अभ्यास न करें।
’ सर्दी-जुकाम व अस्थमा में प्राणायाम न करें।
योग और प्राणायाम के साथ-साथ पूरे दिन अपने पानी पीने की मात्रा भी ठीक करें। दिन में कम से कम तीन से चार लीटर पानी अवश्य पिएं। शरीर में अतिरिक्त गर्मी का कारण पानी कम पीना और अप्राकृतिक आहार शैली भी हो सकता है। धीरे-धीरे अपनी जीवनशैली को भी संयमित करें। सदियों से हमारे संत-महात्मा और योगी अपने मस्तिष्क को शांत और केंद्रित करने हेतु ऐसे योग साधना करते आए हैं। आज वही योग हमारे लिए सहजता से उपलब्ध है।
(लेखक योगाचार्य और ‘वर्ल्ड वेल्फेयर मिशन’ के अध्यक्ष हैं)
इस स्तंभ में योग, आरोग्य और आहार पर आयुर्वेद, एलोपैथी और होमियोपैथी के चिकित्सक और विशेषज्ञ विभिन्न रोगों की जानकारी देंगे और उनकी रोकथाम के उपाय भी बताएंगे। आप अपनी समस्या मेल या डाक से भेज सकते हैं। पता है-
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