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1,95,308 छात्र गायब
हो गए आधार कार्ड से वजीफे के रिकॉर्ड को जोड़ने के बाद उत्तराखंड में
83,000 से अधिक फर्जी
छात्र हरिद्वार के मदरसों के थे
25,000 छात्र
पढ़ते हैं देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर के मदरसों में
उत्तराखंड
केन्द्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और राज्य में कांग्रेस की सरकार के दौरान उत्तराखंड में करीब 400 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। यह घोटाला केंद्र सरकार द्वारा समाज कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय में गरीब छात्रों के लिए भेजी गई योजनाओं में हुआ। इसमें अधिकारियों ने मदरसों की मिलीभगत से एक छात्र को अलग-अलग जिले के मदरसों में पढ़ता दिखाकर दशमोत्तर वजीफा योजना और शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत मिलने वाली धनराशि की बंदरबांट की। केंद्र द्वारा वित्त पोषित जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए बैंक खातों और आधार नंबर अनिवार्य करने के बाद यह खुलासा हुआ। आधार कार्ड से वजीफे का रिकॉर्ड जुड़ते ही 1,95,308 छात्रों के नाम गायब हो गए और वजीफा पाने वाले छात्रों की संख्या घटकर 26,440 रह गई। केंद्र सरकार छात्रों के वजीफे के लिए 15 करोड़ रुपये देती थी, जो आधार से जुड़ने के बाद घटकर ढाई करोड़ रुपये से भी कम हो गई। 83,000 से अधिक फर्जी छात्र हरिद्वार के मदरसों के थे। पांच छात्रों वाले मदरसों में 25 छात्र दर्शाकर वजीफे लिए जा रहे थे। निदेशालय ने मदरसे में छात्रों को गणित और विज्ञान पढ़ाने के लिए एक करोड़ रुपये में सॉफ्टवेयर खरीदे, लेकिन इसे कहां लगाया गया , न तो इसका पता चला और न ही मदरसों के लिए खरीदे गए कंप्यूटरों का। प्रदेश के शिक्षा एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जांच रपट में 17 मदरसों में मध्याह्न भोजन योजना के राशन में भी घपले का खुलासा हुआ। राज्य में मदरसा वेलफेयर सोसायटी के तहत 207 मदरसे चलते हैं। ये देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंह नगर में हैं, जिनमें करीब 25,000 छात्र पढ़ते हैं।
झारखंड
झारखंड के कोडरमा जिले में सरकार द्वारा वित्त पोषित कई मदरसों का संचालन कागजों पर ही हो रहा था। इनमें पढ़ाने वाले शिक्षक छात्रों को बिना पढ़ाए ही हर माह लाखों रुपये वेतन ले रहे थे। मध्याह्न भोजन के लिए मिलने वाले अनाज में भी हर माह घपला हो रहा था। जिले के शिक्षा पदाधिकारी के निरीक्षण में पता चला कि मदरसे के कमरों को बाहरी लोगों को किराये पर भी दे रहे थे।
राजस्थान
राजस्थान के मदरसा बोर्ड के तहत संचालित मदरसों में दो करोड़ रुपये के क्लासरूम बोर्ड खरीद में अनियमितताएं सामने आर्इं। मदरसा बोर्ड ने अक्तूबर 2016 में दो करोड़ रुपये से अधिक के बोर्ड खरीदे। इसके लिए प्रति सेरेमिक बोर्ड 4176 रुपये का भुगतान किया, जबकि बाजार में इसकी कीमत 800 से 1,000 रुपये है। इसके अलावा, ये बोर्ड भी अच्छी गुणवत्ता वाले नहीं थे।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में सख्ती के बाद उ.प्र. मदरसा शिक्षा परिषद में छात्रों की संख्या लगातार कम हो रही है। इस साल मदरसा बोर्ड में पिछले वर्ष के मुकाबले 76,000 कम छात्रों ने परीक्षा के लिए फार्म भरा। प्रदेश सरकार के मदरसा पोर्टल से करीब 20,000 मदरसे जुड़े हैं। इस बार 29,5825 छात्रों ने आॅनलाइन फार्म भरे, जबकि 2017 में यह संख्या 37,1054 और 2016 में 42,2507 थी। राज्य के मदरसों में जन्मतिथि प्रमाणपत्र के लिए फार्म भरवा दिए जाते थे। फिर फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर पासपोर्ट बनवा कर लोग विदेशों में नौकरी करने चले जाते थे।
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