|
पश्चिम बंगाल के आसनसोल और रानीगंज में दंगों की आग बुझ तो गई लेकिन मुस्लिम उन्माद में झुलस चुके ये इलाके हिन्दुओं की पीड़ा बताने के लिए काफी हैं। अपना सब कुछ खो चुके सैकड़ों हिन्दू परिवार दर-बदर हो रैनबसेरों में रहने को मजबूर
अश्वनी मिश्र
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर दूर झारखंड की सीमा से सटे आसनसोल और रानीगंज जब दंगे की आग में झुलस रहे थे, हिन्दुओं की दुकानें-मकान जलाए जा रहे थे; उन्हें घरों से निकालकर निर्ममता से पीटा जा रहा था, तब राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दिल्ली में सियासी रोटियां सेंकने में व्यस्त थीं। इस स्थिति को देख केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेÞकर ने राज्य सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘रोम जल रहा था और नीरो चैन की वंशी बजा रहा था। आज ममता बनर्जी उसी को यथार्थ कर रही हैं। मैं ममता से एक ही सवाल पूछना चाहता हूं कि पहले राजनीति करना जरूरी है या राज्य में लगी आग को शांत करना जरूरी है?’’ दरअसल 25 मार्च को रामनवमी के अवसर पर पश्चिम बंगाल में हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों और पारा समितियों की ओर से स्थान-स्थान पर शोभायात्रा का आयोजन किया गया था। तमाम अड़चनों और बंदिशों के बाद इन समितियों को प्रशासन की ओर से शोभायात्रा निकालने की इजाजत दी गई थी। लेकिन राज्य में हिंसा की शुरुआत पुरुलिया जिले के भुरसा से हुई। भुरसा के ग्रामवासी रामनवमी पर वर्षों से शोभायात्रा निकालते आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले कुछ सालों में यात्रा के तौर-तरीको में प्रशासन ने हद से ज्यादा दखलंदाजी की और जबरदस्ती काफी बदलाव कराए। इस रास्ते जाना है, इससे नहीं, फलां समय ही शोभायात्रा निकले, इसमें एक सीमित संख्या शामिल हो, कोई नारेबाजी नहीं करेगा, किसी के हाथ में लाठी-डंडा तक न हो…। इस सबसे समितियों के लोग काफी व्यथित थे। लेकिन बावजूद इसके गांव के लोग कानून का पालन करते हुए शोभायात्रा में शामिल हुए। यात्रा व्यवस्थित रूप से निकल रही थी, इतने में ही कुछ मोटरसाइकिल सवार मुस्लिम युवाओं ने हमला बोल दिया। पलभर में मजहबी उन्मादियों की भीड़ जमा हो गई। चारों ओर ‘अल्लाहो अकबर’ के नारे के साथ र्इंट-पत्थरों से शोभायात्रा पर हमला शुरू हो गया। उपद्रवी यात्रा पर बम फेंकने लगे। गाड़ियों को आग के हवाले किया जाने लगा। अचानक पनपे इस भयावह माहौल में यात्रा में शामिल लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान तलाशने लगे। हिंसा में डीएसपी (मुख्यालय) सुब्रत पॉल और एक पुलिसकर्मी जहां घायल हो गए वहीं एक आदमी की मौत हो गई। लेकिन अगले दिन पुरुलिया से उठी चिनगारी ने रानीगंज में अंगारों का रूप ले लिया। 26 मार्च (प्रशासन ने रामनवमी के एक दिन बाद यात्रा की अनुमति दी थी) को रानीगंज में प्रमुख मार्गों से शोभायात्रा बड़ी शांतिपूर्ण तरीके से निकल रही थी। लेकिन यात्रा जब हिलबस्ती-राजाबांध मोड़ इलाके में पहुंची, अचानक माहौल खराब होना शुरू हो गया। शोभायात्रा में शामिल मुकेश कौशिक (परिवर्तित नाम) बताते हैं,‘‘सड़क पर करीब 500 से अधिक मुसलमानों ने यात्रा को चारों तरफ से घेर लिया। वे जोर-जोर से ‘अल्लाहो-अकबर’ के नारे लगा रहे थे। जब तक हम लोग कुछ समझते यात्रा पर एक र्इंट आकर गिरी। लेकिन उसके अगले ही पल र्इंट-पत्थरों की बरसात होने लगी। ऐसा लगा मानो आसमान से ओले की जगह र्इंटें बरस रही हों। वे जमकर पत्थरबाजी करने लगे, गोलियां चलाने लगे। जो कुछ पुलिसकर्मी साथ में थे, वे अपनी जान बचाकर भाग चुके थे। यात्रा में शामिल श्रद्धालु अब हिंसक हथियारबंद के सामने निहत्थे थे। यात्रा में भगदड़ मच चुकी थी। जिसे जहां जगह मिल रही थी, वह उन्मादियों से बचने के लिए वहीं छुप रहा था। वे हम लोगों की गाड़ियों को आग के हवाले कर रहे थे। भगवान् की मूर्ति व तस्वीरें तोड़ रहे थे और उन्हें बीच सड़क पर पटककर आग के हवाले कर रहे थे। इसके बाद आसपास के घरों, दुकानों में लूटपाट शुरू कर दी और उन्हें आग के हवाले किया जाने लगा। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक पर यह भीड़ कहर बनकर टूट पड़ी थी।’’ हिंसक भीड़ का उत्पात यही नहीं रुका। उसने मारवाड़ी पट्टी मोड़, हिल बस्ती, बरदही, बाउरी पारा, हटिया शिव मंदिर इलाका, विकास नगर, कॉलेज पाड़ा, खेरबंध में जमकर उत्पात मचाया। उन्मादियों ने 50 वर्षीय महेश मंडल को कर्बला मैदान के पास बड़ी निर्ममता से मारा। हिंसक भीड़ में शामिल कुछ मुस्लिम युवाओं ने उनका गला धारदार हथियार से रेत दिया। इसके अलावा छोटे यादव नामक व्यक्ति भी हिंसा का शिकार बना। समूचे रानीगंज में दो घंटे तक यह उन्माद चलता रहा और पुलिस मूक दर्शक बनकर सब देखती रही।
ठीक ऐसा ही 27 मार्च को रानीगंज से 20 किमी दूर आसनसोल में घटित हुआ। आसनसोल में विश्व हिन्दू परिषद के जिलाध्यक्ष ओम नारायण प्रसाद बताते हैं,‘‘शोभायात्रा के दिन मुसलमानों ने रेलपारा, श्रीनगर, हाजी नगर, बबुआ तलब, सगुम पारा, चांदमारी, चीतलडंगा, ठाकुरपाड़ा में हिन्दुओं के घरों, मकान, दुकान, बाजार, मंदिर, गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। जो दिखा, उसे बड़ी बेरहमी से मारा। र्इंट-पत्थर, हथगोले और अवैध हथियारों से हमला किया। खुलेआम गोलियां चलाई गर्इं। यह सब होता देख हमने शोभायात्रा को रोक दिया, लेकिन उनकी हिंसा न रुकी।मैंने पुलिस को कई बार फोन किया पर उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।’’ कट्टरपंथियों ने रामकृष्ण डंगल में हिन्दुओं के दर्जनों घरों को आग के हवाले करने के साथ ही बड़ी बेरहमी के साथ एक निरीह गाय को आग लगाकर मार डाला। इस हिंसा में दो लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है, जिसमें एक हिन्दू महिला शामिल है तो एक मुस्लिम युवा। रानीगंज और आसनसोल में हालात इस कदर बिगड़ गए कि कुछ ही देर बाद हिन्दुओं ने डर के चलते घरों से पलायन करना शुरू कर दिया। हालांकि पुलिस ने खानापूर्ति करते हुए 60 लोगों को गिरफ्तार किया है।
सुरक्षा चूक या जान-बूझकर अनदेखी?
सूत्रों की मानें तो कुछ समय से खुफिया एजेंसियां राज्य प्रशासन को बराबर सचेत कर रही थीं कि राज्य में हिन्दू त्योहारों पर कई जगह स्थिति बिगड़ सकती है। लेकिन ममता सरकार ने कोई कड़ा कदम नहीं उठाया और नतीजा सबके सामने है। कोलकाता में विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री सचिन्द्रनाथ सिन्हा कहते हैं,‘‘रानीगंज और आसनसोल में परंपरा से रामनवमी का भव्य आयोजन होता आ रहा है। राज्य प्रशासन ने जो भी नियम तय किए, वे शोभायात्रा में शामिल लोगों ने पूरे किए, लेकिन मजहबी उन्मादी फिर भी हिंसा करने से बाज नहीं आए।’’ वे कहते हैं,‘‘दरअसल पूरे राज्य में कट्टर इस्लामवादी बेकाबू होते जा रहे हैं। जहां-जहां इनकी आबादी बढ़ती जा रही है, वहां हिन्दुओं का रहना मुश्किल हो रहा है। अभी आसनसोल और रानीगंज हिन्दू बहुल है तब यहां की यह हालत है। जब इनकी आबादी हिन्दुओं के बराबर या उससे ज्यादा हो जाएगी, सोचिए तक ये क्या करेंगे?’’
मुस्लिमों को छूट, हिन्दुआें पर शिकंजा
राज्य सरकार की ओर से रामनवमी पर निकलने वाली यात्राओं को यह कहते हुए इजाजत दी गई थी कि यात्रा में शामिल होने वाले किसी भी व्यक्ति के पास कोई भी हथियार नहीं होगा। यहां तक कि लाठी-डंडे से लेकर त्रिशूल तक नहीं। खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दक्षिण 24 परगना में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान कहा था,‘‘बंगाल की यह संस्कृति नहीं है कि कोई अपने त्योहार के नाम पर हथियार और असलहा का प्रदर्शन करे। बंगाल की संस्कृति अलग है। जहां एक ही धर्म के लोेग रहते हों, वहां त्योहारों पर ऐसा होता होगा, पर यहां नहीं होगा।’’ राज्य सरकार के रवैये पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं,‘‘जो हमें बंगाल की संस्कृति और परंपरा पर व्याख्यान दे रही हैं, पहले वे खुद ही बंगाल की संस्कृति और परंपरा के बारे में जानें, तो अच्छा होगा। हम लोग यह पूजा दशकों से करते आ रहे हैं और कोई हमें त्योहार मनाने से नहीं रोक सकता।’’ वहीं भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष लॉकेट चटर्जी कहती हैं,‘‘राज्य सरकार प्रतिबंध हिन्दुओं पर लगाती है। मुहर्रम पर निकलने वाले जुलूसों में खुलेआम तलवारें लहराई जाती हैं तब यह प्रशासन क्या सोता रहता है? तब उन पर मुकदमे क्यों नहीं दर्ज किए गए?’’
राज्यपाल का दंगाग्रस्त क्षेत्र का दौरा
हिंसा के दौरान कई दिनों की ऊहापोह के बाद आखिरकार राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने आसनसोल एवं रानीगंज में दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पीड़ितों से मिलकर उनकी आपबीती सुनी। दरअसल उपद्रव के बाद राज्य सरकार लगातार राज्यपाल को दंगा प्रभावित क्षेत्र में न जाने की सलाह दे रही थी और पर्याप्त सुरक्षा देने में असमर्थता व्यक्त कर रही थी। लेकिन राज्यपाल ने उन सभी सलाहों को एक किनारे रखकर आसनसोल स्थित कल्याणपुर क्षेत्र का दौरा किया, जहां घरों से पलायन करने के बाद हिन्दू राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। उसके बाद वे अत्यधिक प्रभावित चांदवाड़ी गए और लूटी और जलाई गई दुकानों को देखा। उन्होंने आसनसोल के सर्किट हाउस में संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा,‘‘मेरी सभी लोगों से गुजारिश है कि वे शांति बनाए रखें और एक दूसरे के त्योहारों और उत्सवों का सम्मान करें।’’
प्रशासन बना रहा हिन्दुओं को निशाना
दंगाइयों और उन्मादियों की धरपकड़ करने के बजाय जिला प्रशासन हिन्दू युवाओं को निशाना बना रहा है। उनके घरों में घुसकर तोड़फोड़ की जा रही है और संगीन धाराओं में हिन्दू युवाओं पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं जो भी हिन्दू पुलिस से मदद मांगने गए, उन्हें भी पकड़ लिया गया और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कर लिए गए। आसनसोल के रेलवे कॉलोनी-चांदवाड़ी इलाके में रहने वाले अखिलानंद रेलवे कर्मचारी रहे हैं। दंगाइयों ने न केवल उनके घर में तोड़फोड़ की बल्कि सभी कीमती सामान लूट ले गए। वे बताते हैं,‘‘हिंसा के वक्त मैंने कई बार 100 नंबर पर फोन किया पर उधर से कोई जवाब नहीं मिला। फिर मैंने अपने एक मित्र को फोन किया तब कुछ हिन्दू युवा आए और मेरी मदद की। मैं किसी तरह यहां से निकलकर परिवार सहित 6 किमी. दूर बुरहानपुर चला गया। लेकिन जब अगले दिन बेटे के साथ लौटा तो पुलिस ने उसे बेवजह गिरफ्तार कर लिया। जबकि वह तो हिंसा के दौरान यहां मौजूद भी नहीं था।’’ वहीं कौशल्या देवी (परिवर्तित नाम) बताती हैं,‘‘उपद्रवी तत्व मेरे घर से पैसा, ज्वैलरी और जरूरी कागजात लूट ले गए और डंगलपारा स्थिति घर को आग लगा दी। अब इन लोगों ने सब कुछ तो तहस-नहस ही कर दिया है। अब घर वालों को भी गिरफ्तार करा रहे हैं।’’
पुलिस बनी काडर
यह बात सही है कि जिस भी दल की सरकार होती है, राज्य का पुलिस महकमा काफी हद तक उसी दल की विचारधारा और निर्देशों को मानता है। लेकिन हद तो तब हो जाती है जब कोई दल उसे अपने काडर जैसा इस्तेमाल करने लगे। बंगाल में ऐसा ही है। नाम न छापने की शर्त पर एक पुलिस अधिकारी बताते हैं,‘‘छोटी से लेकर बड़ी घटनाओं में राज्य सरकार की ओर से एक तरीके से अघोषित फरमान है कि किसी भी मुस्लिम के खिलाफ कार्रवाई करने से बचो। इसी का परिणाम है कि राज्य में कट्टरवादी उन्माद बढ़ता ही जा रहा है। उनकी हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वे पुलिस अफसरों तक को नहीं छोड़ रहे। जिसका उदाहरण रानीगंज में हुए उत्पात में डीएसपी अरिंदम दत्ता चौधरी हैं। दंगाइयों ने उन पर बम से हमला किया, जिससे उनका हाथ पूरी तरह क्षत-विक्षत हा गया। और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।’’
राज्य की गर्माती सियासत
हिंसा के बाद से राज्य में सियासत और आरोप-प्रत्यारोप का बाजार गर्म है। दिलीप घोष राज्य सरकार पर आरोप लगाते हैं,‘‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल को नफरत की आग में झोंक रही हैं।’’ तो वहीं पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘‘भाजपा सूबे में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति भंग करने की कोशिश कर रही है।’’
बहरहाल, आसनसोल और रानीगंज में दंगा थम तो गया है लेकिन उन सैकड़ों हिन्दू परिवारों का क्या जिन्होंने अपने घरों, दुकान, सामान को जलते-लुटते देखा। जिस प्रशासन को मजहबी उन्मादियों पर सख्ती बरतनी चाहिए थी, वह उलटे हिन्दू युवाओं को जेलों में ठूंस रही है। ऐसी दयनीय हालत में एक-एक दिन रैनबसेरों और सामुदायिक केन्द्रों में काटने को मजबूर हिन्दू परिवार राज्य सरकार की तुष्टीकरण की नीति के आगे बेबस होकर रह गए हैं।
चार सदस्यीय समिति ने जानी हकीकत
आसनसोल हिंसा के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दंगे की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन कर उनसे रिपोर्ट देने को कहा था। इसी क्रम में प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम माथुर, शाहनवाज हुसैन, राज्यसभा सांसद रूपा गांगुली और वी.डी. राम ने आसनसोल स्थित एक राहत शिविर में जाकर पलायन करने वाले पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनके दुख-दर्द को साझा किया। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल रामकृष्ण डंगलपारा भी गया। इसके बाद रूपा गांगुली ने कहा,‘‘राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति जर्जर हो चुकी है। ममता बनर्जी से यह आशा करना बेकार है कि वह हिन्दुओं को राहत देंगी? उनकी पुलिस हिन्दू समाज को लक्षित कर रही है।’’
हिन्दू त्योहार पर जले शहर
अकेले पश्चिम बंगाल ही नहीं, देश के विभिन्न राज्य मजहबी उन्माद की चपेट में आ रहे हैं। पिछले दिनों राजस्थान और बिहार भी इस उन्मादी आग में जलते दिखाई दिए। राजस्थान के पाली जिले के जैतारण में हनुमान जन्मोत्सव पर निकाली जा रही शोभायात्रा पर मुस्लिमों ने हमला बोला। इस दौरान शोभायात्रा पर जमकर पथराव किया गया तो बाद में दर्जनों दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। अगर पिछले कुछ समय में हुई साम्प्रदायिक घटनाओं को देखें तो राजस्थान कट्टरपंथियों के निशाने पर है। टोंक, बूंदी, जयपुर और कोटा इस आग में जल चुके हैं। इसी तरह दंगाइयों ने बिहार के औरंगाबाद, नाथनगर-भागलपुर, मुंगेर, समस्तीपुर के रोसड़ा में भी रामनवमी पर जमकर उत्पात मचाया। इस दौरान जहां औरंगाबाद में चार दर्जन से अधिक दुकानों को आग लगा दी गई, तो वहीं दर्जनों लोग इस हिंसा में घायल हुए। ऐसे ही अन्य जगहों
पर भी सार्वजनिक और निजी संपत्ति को तहस-नहस कर दिया गया।
‘‘जो वर्षों से साथ रह रहे थे, वे ही घर जला रहे थे’’
रानीगंज और आसनसोल की घटना के बाद से हिंदू सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हैं। हिन्दुओं ने सैकड़ों की तादाद में अपने घरों को छोड़ दिया है और सुरक्षित स्थान की तलाश में नाते-रिश्तेदारों के घरों से लेकर सामुदायिक केन्द्रों और विवाह स्थलों को रहने का आसरा बनाया है। उन्हें डर है कि अगर घर में रहेंगे तो दंगाई फिर से कहीं उन्हें निशाना न बना लें। और तब बचाने वाला कोई नहीं होगा, क्योंकि पुलिस तो उनसे मिली हुई है। अरविंदो चटर्जी हटिया बाजार के पास ही रहते हैं। बिगड़े माहौल के चलते उन्होंने अपना घर छोड़ दिया है और एक सामुदायिक केन्द्र में अपने दिन काट रहे हैं। वे कहते हैं,‘‘हमारी छोटी-सी दुकान थी, उसे दंगाइयों के झुंड ने आग लगा दी और जो था, उसे लूट लिया। ऐसे हालात में जान बचाकर भागा हूं। ऐसे खराब माहौल में कैसे कोई रह सकता है। हम वहां मारे-काटे जाएंगे या मार ही डाले जाएंगे, पता तक नहीं चलेगा किसी को।’’
तो वहीं मुकेश की मजार रोेड पर एक दुकान थी। उसे दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया। किसी तरह उनकी जान बच गई लेकिन डर के चलते उन्होंने अपने परिवार में दो छोटे बेटों और एक बेटी को लेकर पास के सामुदायिक केन्द्र में शरण ली हुई है। वे बताते हैं कि दंगाई हम सभी के घरों-दुकानों को जला रहे थे। मुस्लिम हिन्दू बस्तियों पर टूटे पड़ रहे थे। ऐसे में न तो पुलिस हमारी मदद कर रही थी और न ही कोई और। हमारे सामने एक ही रास्ता था, कैसे भी जान बचाकर भागें।’’ वे आगे कहते हैं कि अगर ऐसे माहौल में हम रहते भी हैं तो मान लो दंगाई उन्मादियों का झुंड हमारे घर में घुसकर घर की महिलाओं को उठा ले गया, फिर हम तो कहीं के नहीं बचेंगे।’’ दिलीप चक्रवर्ती कहते हैं कि ममता बनर्जी बंगाल को इस्लामी राज्य बनाने पर तुली हंै। हिन्दुओं का यहां जीना मुश्किल है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘राज्य की पुलिस तृणमूल के काडर जैसा काम कर रही है। जब हमारे घर-मकान जलाये जा रहे थे वह दूर-दूर तक कहीं नहीं थी।’’ आसनसोल के राम कुशवाहा कहते हैं,‘‘जो हमारे बीच वर्षों से रह रहे थे आज वही हमारे घर, दुकान जला रहे थे, विश्वास नहीं होता। तो अशोक महतो कहते हैं कि झुंड के झुंड कट्टरपंथी हिन्दुओं को मारने के लिए घरों में घुस रहे थे। यहां तक कि उन्होंने छोटे बच्चों तक को नहीं छोड़ा।’’ रानीगंज स्थित सामुदायिक केन्द्र में घर छोड़कर अपने परिवार को लेकर आई मुन्नी देवी रोते हुए कहती हैं,‘‘सरकार हम लोगों को मरने के लिए छोड़े हुए है। अगर वह कुछ करती तो हम अपने घरों को छोड़कर यहां नहीं पड़े होते। मेरे पति पर मुसलमानों ने हमला किया और उनके सिर पर ईंट-पत्थरों से हमला किया।’’
विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री सच्चिदानंद सिन्हा बताते हैं कि आसनसोल के पास कल्याणपुर, धधका और भक्तनगर के राहत शिविर में लगभग 400 से अधिक परिवार रहने को मजबूर हैं, जिसमें छोटे बच्चे से लेकर महिलाएं और वृद्ध शामिल हैं। यहां पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और हिन्दू परिवारों की ओर से भोजन की व्यवस्था की जा रही है। वे बताते हैं,‘‘हिंसा में हमारे दर्जनों कार्यकर्ता घायल हुए हैं, जो अस्पताल में भर्ती हैं। साथ ही लगभग 2,000 हिन्दुओं ने अब तक दोनों जगहों से पलायन किया है।’’
19 फरवरी, 2013
नलियाखाली सहित 3 गांवों में मुसलमानों ने जमकर उत्पात मचाया। घर फूंके, मारा-पीटा और हिन्दुओं पर पेट्रोल बमों से हमला किया। 200 से ज्यादा घरों में लूटपाट करके उन्हें बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया।
29 जनवरी, 2014
दक्षिण 24 परगना जिले में जिहादियों ने 50 से ज्यादा हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और जलाकर राख कर दिया। मुसलमानों ने इन दुकानों में जमकर लूटपाट की।
29 मार्च, 2014
24 परगना जिले के जगन्नाथपुर के साराहाट के पास फालटा रोड पर शाम के समय 6 मुस्लिम युवकों ने युवा व्यवसायी कार्तिक चन्द्र (42) की हत्या कर दी।
12 अप्रैल, 2014
24 परगना जिले के रामनगर पुलिस स्टेशन पर शाम के 7 बजे कोराघाट के करीब 1,000 मुसलमानों ने पुलिस स्टेशन पर हमला किया। इस हमले में कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। उत्पात को देखते हुए पुलिस को आरएएफ को बुलाना पड़ा, तब जाकर घटना नियंत्रण में आ सकी।
अप्रैल, 2014
रामनगर (दक्षिण 24 परगना) में सफीकुल मुल्ला ने हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और मारपीट की।
6 मई, 2014
फरक्का के अर्जुनपुर, मुर्शीदाबाद में हिन्दुओं की दुकानों को लूटा।
27 मई, 2014
जिहादियों ने हलधर पारा, 24 परगना जिले में एक समारोह में शामिल हिन्दुओं पर हमला किया। हमले में 26 हिन्दू गंभीर रूप से घायल हो गए और एक पुलिस अधिकारी को आंख में गोली लगी।
4 जून, 2014
मुसलमानों की अराजक भीड़ ने हजारपुर के हिन्दू परिवारों पर हमला कर दिया। इसमें भोदू शेख, रफीकुल शेख, आमीन शेख अबील शेख ने अत्याधुनिक हथियारों से हिन्दुओं पर हमला किया। कई हिन्दू परिवार गंभीर रूप से घायल हुए। पुलिस ने इस ममले की शिकायत दर्ज करने से ही मना कर दिया था।
9 जून, 2014
दक्षिण 24 परगना जिले के पंचग्राम में जिहादियों ने भयंकर उपद्रव मचाया। बाद हिन्दू गांव छोड़कर भाग गए। इस दौरान 34 घरों को लूटा और दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया गया।
जनवरी, 2015
दक्षिण 24 परगना जिले में कुल 9 लोग, जिनमें 5 महिलाएं शामिल थीं, पर जिहादियों ने बर्बरता की और उन्हें जमकर मारा-पीटा, जिसमें कई गंभीर रूप से घायल हो गर्इं।
28 जनवरी, 2015
दंगाइयों ने दक्षिण 24 परगना जिले के उस्ती बाजार में हिन्दुओं की दुकानों को क्षतिग्रस्त किया और लूटा।
अप्रैल, 2015
दक्षिण 24 परगना जिले में मुस्लिमों ने उपद्रव मचाया। हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और इस पूरे कार्य में तृणमूल के गुंडों ने बर्बरता की सीमाएं तोड़ दीं।
3 जनवरी, 2016
कलियाचक से गुजरने वाले राजमार्ग पर 2.5 लाख मुस्लिम एकत्र हुए, जिन्होंने हिन्दुओं की दुकानों को लूटा, दर्जनों गाड़ियों को आग लगाई, मारपीट की और अंत में कलियाचक थाने को फूंक दिया।
12 अक्तूबर, 2016
उत्तर 24 परगना जिले में मुहर्रम के जुलूस के दौरान हिंसा भड़क उठी। अराजक तत्वों ने हिन्दुओं के दर्जनों घरों को फूंक डाला। हिंसा की आग 5 जिलों तक फैल गई।
13 दिसंबर, 2016
धूलागढ़ में जिहादियों ने हिन्दुओं के सैकड़ों घरों को पहले आग लगाई, फिर उन्हें बम से उड़ा दिया। एक हिन्दू युवती से सामूहिक बलात्कार की भी घटना सामने आई।
13 दिसंबर, 2016
मालदा में मुस्लिम युवकों ने हिन्दुओं के घरों, दुकानों में आग लगाकर उनके साथ जमकर मारपीट की।
30 जून-4 जुलाई, 2017
बशीरहाट और बादुरिया के दर्जनों गांवों में अराजक तत्वों ने सैकड़ों हिन्दुओं की दुकानों को लूटा और आग लगाई। कई मंदिरों को तोड़ दिया।
टिप्पणियाँ