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राष्ट्रपति कोविंद ने युवाओं का खूब उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को भारत में अपनी जड़ों की न केवल तलाश करनी चाहिए बल्कि उनसे जुड़ने का भी प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मॉरीशस में रह रहे भारतीय मूल के लोग दोनों देशों के बीच सेतु का काम कर रहे हैं।
सविता तिवारी
‘रउआ सब हिंदी की सेवा करे में बहुत आगे बानी’-मॉरीशस की धरती पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मुख से ये शब्द सुनते ही तालियों की गड़गड़ाहट ने यह साबित कर दिया कि मॉरीशसवासी भोजपुरी न केवल बोलते-समझते हैं बल्कि भोजपुरी से कितना प्रेम करते हैं। मौका था मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय के नए भवन के लोकार्पण का।
राष्ट्रपति कोविंद 11 से 14 मार्च तक मॉरीशस की चार दिवसीय यात्रा पर आए थे। वे यहां मॉरीशस सरकार के निमंत्रण पर द्वीप की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे। मॉरीशस 12 मार्च, 1968 में अंग्रेजी शासन से आजाद हुआ और 1992 में 12 मार्च के ही दिन यहां गणतंत्र की स्थापना की गई। इस वर्ष देश अपने गणतंत्र की 26 वीं वर्षगांठ भी मना रहा है।
प्रधानमंत्री जगन्नाथ एवं उनके मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति कोविंद का हवाईअड्डे पर भव्य स्वागत किया जिसके पश्चात वे मॉरीशस की राष्ट्रपति अमीना गरीब फाकिम से रस्मी मुलाकात के लिए स्टेट हाउस पहुंचे। स्टेट हाउस से वे सीधे एमजीआई संस्थान आए जहां करीब 2,500 युवाओं ने हाथों में तिरंगा लेकर राष्ट्रपति का स्वागत किया। युवा एवं खेल मंत्रालय, मॉरीशस की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति कोविंद ने युवाओं का खूब उत्साहवर्धन किया। कोविंद ने कहा कि युवाओं को भारत में अपनी जड़ों की न केवल तलाश करनी चाहिए बल्कि उनसे जुड़ने का भी प्रयास करना चाहिए।
अगले दिन उन्होंने प्रात: मॉरीशस के हिंदू तीर्थस्थल गंगा तालाब के दर्शन किए। दोपहर में कोविंद एवं प्रवीण जगन्नाथ ने साझा प्रेस वक्तव्य दिया। कोविंद ने कहा कि भारतीय मूल के लोग दोनों देशों के बीच सेतु का काम कर रहे हैं तथा हमारे संबंधों को और मजबूत बना रहे हैं। उन्होंने यहां की स्वच्छता की तारीफ करते हुए कहा कि यह देश स्वच्छ-भारत के लिए एक मॉडल है। प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ ने कहा कि भारत द्वारा हर स्तर के सहयोग से यह साबित होता है कि हमारे रिश्ते केवल व्यापारिक नहीं हैं।
अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने कई मौकों पर यह बात कही कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे वे भारत के ही किसी राज्य में हैं। लोगों से बातें करते हुए उन्हें ऐसा लगता होता है कि वे बिहार में स्थानीय लोगों से बात कर रहे हैं। वहीं मॉरीशस के कई शीर्ष नेताओं ने अपने भाषणों के दौरान कई बार ‘धन्यवाद भारत’ कहकर भारत का आभार जताया।
अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ने भारत एवं मॉरीशस की कई साझा योजनाओं का भी उद्घाटन किया। इनमें मुख्य रूप से विश्व हिंदी सचिवालय के नए भवन का उद्घाटन रहा। इसके अलावा भारत की ईडीसीआईएल द्वारा मॉरीशस की प्राथमिक कक्षाओं के लिए निर्मित ई-टैबलेट्स का श्रीगणेश भी हुआ। साथ ही राष्ट्रपति ने ईएनटी अस्पताल एवं सोशल हाउसिंग प्रोजेक्ट का शिलान्यास भी किया। राष्ट्रपति के समक्ष चार एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए गए जिनमें यूनिवर्सिटी आॅफ मॉरीशस में आयुर्वेद चेयर की स्थापना, मॉरीशस एवं भारत में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना, भारत के यूपीएससी एवं मॉरीशस के पब्लिक सर्विस कमीशन के बीच करार एवं एक करार सांस्कृतिक संबंधों पर किया गया।
इस यात्रा के दौरान भारत की ओर से रक्षा मामलों के लिए 10 करोड़ डॉलर का एक ‘लाइन आॅफ क्रेडिट’ एवं एक बहुद्देशीय गश्ती पोत मॉरीशस को रक्षा मामलों के लिए दिया गया। मॉरीशस से कोविंद अफ्रीकी देश मैडागास्कर के लिए रवाना हुए।
भारत-मॉरीशस: गहरे होते रिश्ते
मॉरीशस की आजादी की 50वीं सालगिरह पर भारतीय राष्ट्रपति को निमंत्रण देना और भारत द्वारा उसे स्वीकार करना अपने आप में सिद्ध करता है कि दोनों देशों में रिश्ते केवल व्यापारिक या सांस्कृतिक नहीं हैं, बल्कि उससे भी गहरे हैं क्योंकि मॉरीशस की दो तिहाई आबादी भारतीय मूल की है। जड़ों का यह संबंध सदियों से है। पिछले दो वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में स्तरीय परिवर्तन हुआ है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2015 में मॉरीशस की यात्रा पर आए थे तथा उसके अगले वर्ष मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने पद की शपथ लेने के बाद पहली विदेश यात्रा के लिए 2016 में भारत को चुना। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान मॉरीशस को भारत की ओर से 35.30 करोड़ डॉलर का विशेष आर्थिक पैकेज दिया था। यह पैकेज देश की पांच प्रमुख परियोजनाओं के लिए था, जिसमें मैट्रो एक्सप्रेस, ईएनटी अस्पताल, सर्वोच्च न्यायालय भवन का निर्माण, ई-टैबलेट एवं सोशल हाउसिंग शामिल है। जब मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण जगन्नाथ भारत गए थे तब भी पुन: भारत की ओर से मॉरीशस की 18 विशेष परियोजनाओं के लिए 50 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया गया था।
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