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रामनवमी के अवसर पर राजस्थान के सीकर में भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। शोभायात्रा में हर तरफ युवाओं की टोली जय श्रीराम के नारों के साथ आसमान को गुंजायमान कर रही थी। इस यात्रा में लगभग 2 लाख से अधिक लोगों की उपस्थित रही। इस मौके पर रेवासा पीठाधीश्वर श्री राघवाचार्य जी महाराज भी उपस्थित रहे। (विसंकें, सीकर)
वनवासी क्षेत्र में कार्य पर वर्षा
परचुरे को अंत्योदय पुरस्कार
‘‘त्याग, सेवा और समर्पण जैसे गुण बचपन से ही महिलाओं में होने के कारण महिलाएं सेवाकार्य में अग्रसर रहती हैं।’’ उक्त बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कोंकण प्रांत संघचालक श्री सतीश मोढ ने कही। वे मुंबई में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी तथा डी़ एच. गोखले व श्यामला गोखले धर्मादाय न्यास द्वारा आयोजित अंत्योदय पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे। गौरतलब है कि संस्था द्वारा इस साल का अंत्योदय पुरस्कार मोखाडा के अतिदुर्गम क्षेत्र में वनवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए परिवर्तन संस्था के माध्यम से कार्य कर रही वर्षा परचुरे को प्रदान किया गया। इस मौके पर उन्हें एक लाख रुपये की राशि, सम्मान चिन्ह व शाल, श्रीफल पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया गया। इस मौके पर श्री सतीश मोढ ने कहा कि त्याग, सेवा और समर्पण इन गुणों से महिला स्वयंप्रेरित हैं। इसलिए उन्हें इन गुणों को सिखाया नहीं जाता। इसके विपरीत बंधनमुक्त जीवन, नियम-कायदों का उल्लंघन, हिंसक वृत्ति आदि अवगुण पुरुषों में अधिक रहते हैं। इसी
कारण उनकी सामाजिक कार्य में कम रुचि रहती है। उन्होंने कहा कि संघ में स्वयंसेवकों को संयम सिखाया जाता है। इसलिए वह स्व से ज्यादा समाज कार्य में हिस्सा लेते हैं। इस अवसर पर वर्षा परचुरे ने मोखाडा के समाज तथा महिलाओं को सक्षम बनाना, इसी दृष्टि से हम काम किए जा रहे हैं। (विसंकें, मुंबई)
‘‘गीता में उल्लेख है काल गणना का’’
पिछले दिनों रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा ‘भारतीय ज्ञान शोध पीठ’ के अंतर्गत विक्रमी संवत्सर की महत्ता विषय पर राष्टÑीय विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध चिकित्सक एवं समाजसेवी ड़ॉ जितेन्द्र जामदार उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि काल गणना का पक्ष गीता पर आधारित है। 12वें अध्याय में इसका उल्लेख किया गया है। विमर्श की अध्यक्षता कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्र ने की। उन्होंने कहा कि अध्यात्म ही भारत की आत्मा है। निश्चित तौर पर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। (विसंकें,जबलपुर)
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