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वैज्ञानिक शोध भी कहने लगे हैं कि हंसी से रोगी को एक नई ऊर्जा मिलती है, जिसके सहारे वह अपने रोग पर बुहत हद तक नियंत्रण पा सकता है। अनेक कैंसर अस्पताल हास्य योग को अपनाकर रोगियों के कष्ट को कम करते हैं
हास्य योग के नई संकल्पना होने के बावजूद इसे अपनाना बेहद आसान है। हास्य योग वह हंसी है, जिसमें प्राणायाम शामिल है। कोई भी बिना कारण के हंस सकता है। इसे कसरत के तौर पर किया जाता है। शरीर झूठ और सच की हंसी के बीच अंतर नहीं कर सकता। इस विज्ञानाधारित संकल्पना पर योग का यह तरीका आधारित है। इस योग को करने वाले सभी लोगों को एक समान ही शारीरिक और मानसिक फायदे मिलते हैं। इसका लक्ष्य बेहतर स्वास्थ्य, खुशी और विश्व शांति है। हंसी की कोई सीमा नहीं, न ही कोई भाषा है और न ही सांस्कृतिक बेड़ियां।
आस्ट्रिया और बेंगलुरू में हास्य योग पर शोध किया गया, जो बताते हैं कि हंसी खून में तनाव के हार्मोन के स्तर को कम करती है। सकारात्मक और आशावादी मानसिकता को प्रोत्साहित करती है। यदि मुश्किलों में भी किसी ने हंसना सीख लिया तो वह व्यक्ति तनाव, अवसाद और असहायता के आगे हार नहीं मानेगा। कई बीमारियों में भी हास्य योग ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। यही वजह है कि विश्व के कई लाफ्टर क्लबों में कैंसर से पीड़ित लोग भी शामिल हैं। हंसी ने उनके जीवन को उद्देश्यपूर्ण और खुशनुुमा बनाया है। इनमें से कइयों का कहना है कि हंसी की कक्षा में उन्हें कई लाभ मिले हैं।
विश्व के आंकड़े बताते हैं कि अवसाद और हृदय से संबंधित समस्याओं के बाद कैंसर लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है और मृत्यु का कारण बन रहा है। वैज्ञानिक शोध बता चुके हैं कि हंसी का हमारी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली पर गहरा असर पड़ता है, जो कैंसर पीड़ितों की जिंदगी बढ़ाता है। कई कैंसर अस्पतालों में हास्य योग का निश्चित सत्र होता है, जो पीड़ितों और उनकी देखभाल करने वालों को दर्द और पीड़ा से उबरने की शक्ति देता है। हंसी का असर हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है, यह बात अब प्रमाणित हो चुकी है। यही वजह है कि अपने देश के अलावा कनाडा, अमेरिका और पुर्तगाल में शारीरिक और मानसिक विकलांगता वाले लोगों के जीवन में हास्य योग सकारात्मक बदलाव ला रहा है। बेंगलुरू में इन बच्चों के जीवन में हास्य योग अति सक्रियता को नियंत्रित करने के अलावा अभिव्यंजना कौशल में सुधार ला रहा है। इन सत्रों में व्हील चेयर पर आने वालों की शारीरिक दशा और मानसिक स्वास्थ्य में अभूतपूर्व सुधार आया है। नेत्रहीन और गूंगे, बहरे बच्चों के स्कूलों में भी हास्य योग की शुरुआत की गई है, जो अक्षमता से उबरने और जिंदगी के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने में उनकी मदद कर रहा है।
अधिक हंसते हैं बच्चे
क्या आप जानते हैं कि एक दिन में बच्चे 300-400 बार हंसते हैं, जबकि वयस्क केवल 10-15 बार। इतना अंतर इसलिए क्योंकि वयस्क हास्य को समझने के लिए पहले अपने दिमाग का इस्तेमाल करते हैं, फिर हंसते हैं। इसे मन में शरीर नमूना या हास्य नमूना कहा जाता है।
कैसेकाम करती है हंसी
हमारे शरीर में कुछ स्टेस हॉर्मोन होते हैं, जैसे कि कॉर्टिसोल, एड्रेनलिन आदि। जब कभी हम तनाव में होते हैं तो ये हॉर्मोन शरीर में सक्रिय हो जाते हैं, इनका स्तर बढ़ने पर घबराहट होती है। ज्यादा घबराहट होने पर सिर दर्द, सर्वाइकल, माइग्रेन, कब्ज हो सकता है और शुगर का स्तर बढ़ सकता है। हंसने से कॉर्टिसाल और एड्रेनलिन कम होते हैं और एंडॉर्फिन, फिरॉटिनिन जैसे अच्छे हॉर्मोन बढ़ जाते हैं। इससे मन उल्लास और उमंग से भर जाता है। इससे दर्द और चिंता कम होती है। रोग प्रतिकार व्यवस्था मजबूत होती है और बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी होती है। जितनी देर हम जोर-जोर से हंसते हैं, उतनी देर तक हम एक तरह से लगातार प्राणायाम करते हैं क्योंकि हंसते हुए हमारा पेट अंदर की तरफ चला जाता है। साथ ही हम लगातार सांस छोड़ते रहते हैं, यानी शरीर से कार्बनडाइआॅक्साइड बाहर निकलती रहती है। इससे पेट में आॅक्सीजन के लिए ज्यादा जगह बनती है।
दिमाग को ढंग से काम करने के लिए 20 फीसद ज्यादा आॅक्सीजन की जरूरत होती है।
खांसी, नजला, जुकाम, त्वचा समस्या जैसे एलर्जी रोग आॅक्सीजन की कमी से बढ़ जाते हैं। हंसी इन बीमारियों को नियंत्रण में रखने में मदद करती है।
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