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भारतीय क्रिकेट टीम ने एक दिवसीय शृंखला में दक्षिण अफ्रीका को पहली बार उसी की धरती पर हराया। इससे पहले केवल आॅस्ट्रेलिया को यह गौरव प्राप्त था। विराट कोहली की अगुआई में मिली इस जीत से भारत को अगले साल इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप का प्रबल दावेदार माना जा रहा है
प्रवीण सिन्हा
अंतत: भारतीय क्रिकेट टीम एक दुर्गम किले को भेदने में सफल रही। शिखर तक पहुंचने के बावजूद भारतीय टीम की दक्षिण अफ्रीका को उसकी धरती पर हराने की एक हसरत बाकी रह गई थी, जिसे भारत की ‘विराट’ सेना ने अंतत: हासिल कर ही लिया। एकदिवसीय मैचों की शृंखला में भारतीय क्रिकेट टीम की दक्षिण अफ्रीका पर ऐतिहासिक जीत ने खुशी के साथ सुनहरे भविष्य का भी संकेत दिया है।
भारतीय टीम घरेलू धरती पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रही है और पिछले डेढ़-दो वर्ष में श्रीलंका, न्यूजीलैंड, आॅस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी टीमों को हराकर उसने इसे साबित भी किया। लेकिन दक्षिण अफ्रीका सहित श्रीलंका और वेस्ट इंडीज को उनकी धरती पर जाकर मात देना बड़ी उपलब्धियां हैं।
26 साल पहले दक्षिण अफ्रीका ने जब अंतरराष्टÑीय क्रिकेट में दोबारा कदम रखा, तो विश्व की हर शीर्षस्थ टीम की नजर उसकी सशक्त टीम को उसी की धरती पर हराने पर रहती आई है। लेकिन भारत से पहले एकमात्र आॅस्ट्रेलिया ने एकदिवसीय शृंखला में अफ्रीकी टीम को दो बारमात दी है।
पिछली नौ एकदिवसीय शृंखलाओं में भारत के पक्ष में परिणाम
वर्ष किसको हराया परिणाम
2018 दक्षिण अफ्रीका 4-1*
2017 श्रीलंका 2-1
2017 न्यूजीलैंड 2-1
2017 आॅस्ट्रेलिया 4-1
2017 श्रीलंका 5-0*
2017 वेस्ट इंडीज 3-1*
2017 इंग्लैंड 2-1
2016 न्यूजीलैंड 3-2
2016 जिंबाब्वे 3-0*
* भारत ने उन्हें उन्हीं की धरती पर हराया
बहरहाल, इस शृंखला में भारतीय टीम अपनी ताकत यानी बल्लेबाजी और स्पिन गेंदबाजी के अलावा तेज गेंदबाजी में भी जौहर दिखाने में सफल रही, जो टीम के लिए एक बोनस साबित हो सकती है। आमतौर पर विदेशी पिचों से तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है जिसका फायदा भारतीय तेज गेंदबाज गाहे-बगाहे उठाने में सफल रहते थे। लेकिन इस बार विशेषकर, टेस्ट शृंखला में भुवनेश्वर कुमार, मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा और उमेश यादव की चौकड़ी ने मेजबान टीम को कभी चैन की सांस नहीं लेने दी। भारतीय तेज गेंदबाजों ने स्विंग व सीम गेंदबाजी के अलावा अपनी गति से भी अफ्रीकी टीम के लिए मुश्किलें खड़ी कीं। एक दिवसीय शृंखला में ‘चाइनामैन’ गेंदबाज कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल ने दक्षिण अफ्रीकी टीम को अपनी फिरकी के जाल में ऐसा फांसा कि उन्हें शर्मनाक हार झेलने को मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं, कुलदीप और चहल ने एकदिवसीय मैचों की किसी भी शृंखला में स्पिनरों के सर्वाधिक विकेट लेने का कीर्तिमान अपने नाम दर्ज करा लिया है। कुलदीप और चहल पांचवें मैच तक दक्षिण अफ्रीका के गिरे 43 विकेटों में 30 विकेट अपने नाम कर चुके थे।
जहां तक बल्लेबाजी की बात है तो, भारतीय बल्लेबाजी हमेशा से टीम की ताकत रही है। शीर्ष क्रम में शिखर धवन और रोहित शर्मा के साथ कप्तान विराट कोहली अपनी ताकत दिखा चुके हैं। हां, मध्यक्रम के बल्लेबाजों का ज्यादा रन न बना पाना चिंता का विषय है, जो या तो कम गेंदें खेलने के कारण या फिर दबाव में इस शृंखला में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सके। अजिंक्य रहाणे या महेंद्र सिंह धोनी जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के पास साबित करने को कुछ बचा नहीं है। वे जरूरत पड़ने पर संकटमोचन या मैच विजेता दोनों ही तरह की भूमिका निभाने में सक्षम हैं।
अगला विश्व कप इंग्लैंड में खेला जाएगा, जहां गेंद स्ंिवग करती है और स्पिनरों को टर्न भी मिलता है। इस लिहाज से भारतीय टीम की विश्व कप की तैयारी सही दिशा में बढ़ती प्रतीत होती है। विदेशी पिचों पर अच्छा प्रदर्शन करने के लिए सशक्त टीमों के खिलाफ उनकी धरती पर असाधारण प्रदर्शन करना एकमात्र विकल्प है। भारतीय टीम ने ठीक वैसा ही प्रदर्शन किया। साथ ही, बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, सशक्त टीमों को आक्रामकता के साथ जवाब देने की जो प्रथा कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम ने शुरू की है, वह टीम की बड़ी ताकत बनती जा रही है। इस स्थिति में हम यह दावा कर सकते हैं कि भारतीय टीम ने दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर शानदार प्रदर्शन करते हुए नई ऊंचाइयां अर्जित करने की ओर मजबूत कदम बढ़ा दिए हैं। ल्ल
‘‘यह सफलता है बहुत बड़ी’’
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विकेट कीपर और चयन समिति के प्रमुख किरण मोरे से हुई बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं-
भारत की शानदार जीत पर आपका क्या कहना है?
यह बहुत बड़ी जीत है। विदेशी धरती पर जीत हासिल करना हमेशा से एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है और दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम को उसकी धरती पर पहले टेस्ट मैच में शिकस्त देना और उसके बाद एकदिवसीय शृंखला में हराना तो बहुत ही खास है। भारतीय टीम ने समग्र रूप से जैसा शानदार प्रदर्शन किया है, वह सुनहरे भविष्य का संकेत देता है। अब कोई भी विदेशी टीम अपने घरेलू मैदानों पर भी भारतीय टीम को हल्के तौर पर लेने की हिम्मत नहीं करेगी। आने वाले महीनों में भारतीय टीम को इंग्लैंड और आॅस्ट्रेलिया जैसे कड़े प्रतिद्वंद्वियों से उनकी धरती पर सामना करना है। मेरा मानना है कि यह जीत भारतीय खिलाड़ियों के लिए ऊर्जा का काम करेगी।
क्या एकदिवसीय शृंखला की जीत से हम भारतीय टीम को संपूर्ण मान सकते हैं?
नहीं, कतई नहीं। दक्षिण अफ्रीका में भारत भले ही टेस्ट शृंखला हार गया हो, लेकिन उसने जिस दमदार तरीके से तीसरा टेस्ट मैच जीता, वह जीत टीम में नई जान फूंक गई। उसके बाद सिर्फ एक एकदिवसीय मैच में भारत को हार मिली है। उसके अलावा भारत हर मैच ऐसे जीतता जा रहा है कि मेजबान टीम अपने घर में ही पनाह मांगती दिख रही है। यह बड़ी बात है। फिर अगले साल विश्व कप के लिहाज से एकदिवसीय शृंखला में इतनी शानदार जीत टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए काफी है। बस जरूरत है कि भारतीय टीम इस सिलसिले को आॅस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में भी जारी रखे।
इस जीत का श्रेय आप किसको देना चाहेंगे, बल्लेबाजों को या गेंदबाजों को?
मैं इस जीत का श्रेय पूरी टीम को देना चाहूंगा। इसमें ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों के अलावा भारतीय तेज गेंदबाजों ने भी दमदार प्रदर्शन किया, जबकि स्पिनरों ने तो नए अध्याय की शुरुआत कर दी। कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल ने अपनी फिरकी में दक्षिण अफ्रीकी टीम को पूरी तरह से फांस लिया।
क्या विराट कोहली की कप्तानी में और परिपक्वता की जरूरत है?
विराट की आक्रामकता उनकी ताकत है। मैच जीतने के लिए जो जुनून चाहिए, वह विराट की रग-रग में भरा पड़ा है। सबसे बड़ी बात यह है कि वे आगे रहकर टीम का नेतृत्व करते हैं। विराट किसी भी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ कहीं भी सबसे ज्यादा रन बना रहे हैं। वे खिलाड़ियों को और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं, जबकि वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ टीम को आगे बढ़ाने को हमेशा तत्पर दिखते हैं। यह बहुत बड़ी बात है।
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