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पिछले दिनों रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ. सुरेश्वर शर्मा ने शहडोल जिले में 15 एकड़ जमीन शिक्षा हेतु महाकौशल वनांचल शिक्षा सेवा न्यास को दान की। इसके पीछे उनका मुख्य उद्देश्य जनजातीय बन्धुओं के सामाजिक उत्थान एवं शैक्षणिक उन्नयन हेतु प्रयास करना है। इस अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में श्री सुरेश्वर ने कहा कि देश में शिक्षा ही एक ऐसा अंग है जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति का विकास कर सकती है। हमारा जब जन्म हुआ, तब हमारी माता दूध नहीं पिला पा रही थीं। तब हमारे क्षेत्र की गोड़, पनिका, भील, कोल, किरात, निषाद आदि समाजों की लगभग 15 माताओं ने हमें दूध पिलाकर बड़ा किया। वैसे तो इस मातृत्व और लाड़-दुलार का कर्ज उतारा नहीं जा सकता फिर भी सामर्थ्यवान होने पर उस समाज क लिए अपने से जो हो सकता वह करने का एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूं। मेरा बचपन और मेरा लालन-पालन वनवासी समाज के बीच हुआ है। यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे इस पवित्र कार्य के लिए विद्या भारती जनजातीय बन्धुओं के लिए इस जगह को विकसित कर शिक्षा, संस्कृति और उन्नति के लिए सभी प्रकार के कार्य यहां प्रारम्भ करेगी। इस दौरान उन्होंने 15 एकड़ जमीन के दस्तावेज विद्या भारती कार्यालय में संगठन मंत्री डॉ़ पवन तिवारी, सक्षम के राष्टÑीय उपाध्यक्ष डॉ़ पवन स्थापक सहित अन्य विशिष्टजन के सम्मुख सौंपे। (विसंकें, जबलपुर)
महाराष्टÑ के चिकित्सकों का दल चित्रकूट में दे रहा सेवाएं
दीनदयाल शोध संस्थान, चित्रकूट एवं डॉ़ बाबासाहेब आंबेडकर वैद्यकीय प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सेवांकुर-2018 के तहत ड़ॉ. हेडगेवार रुग्णालय, औरंगाबाद एवं महाराष्टÑ के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के तीन सौ चिकित्सक व मेडिकल विद्यार्थियों के एक दल ने चित्रकूट का दौरा किया। ‘एक सप्ताह देश के नाम’ संकल्प के साथ इस दल ने चित्रकूट स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के उद्यमिता विद्यापीठ परिसर में राष्टÑऋषि नानाजी के समाजमूलक कार्यों का अवलोकन किया और नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। इस अवसर पर एक औपचारिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। अकोला के सुप्रसिद्ध चिकित्सक ड़ॉ. सदानंद भुसारी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से सेवांकुर गतिविधि चल रही है, इसमें देशभर से कई वरिष्ठ चिकित्सकों का मार्गदर्शन मिलता है। दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने पं़ दीनदयाल उपाध्याय एवं राष्टÑऋषि नानाजी देशमुख के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला और दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना से लेकर अब तक के सफर को विभिन्न संस्मरणों के माध्यम से सभी के समक्ष रखा। विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी की अ.भा. उपाध्यक्ष पद्मश्री निवेदिता भिड़े दीदी ने भारतीय जीवन पद्धति की विविधता पर कहा कि हम सब एक दूसरे के परस्परपूरक -परस्परावलम्बी हैं। हमारे अंदर का यही तत्व हमारी चैतन्यता का परिचायक है। उसी प्रकार, सारे विषयों में जो चैतन्य खड़ा है, वही अनेक रूपों से विभूषित है। यही इस पृथ्वी की विशेषता है। हमारे भारतीय जीवन का मूल आधार धर्म है। उस एकात्मता को धारण करना, आत्मीयता को धारण करना ही धर्म है। धर्म को साकार रूप में अगर देखना है तो वो भगवान श्रीराम के जीवन दर्शन से देखा जा सकता है। इस अवसर पर शोध संस्थान के वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे। प्रतिनिधि
समरसता उद्घोष संग संत रविदास जयंती का आयोजन
पिछले दिनों सेवा भारती की मेरठ इकाई द्वारा संत रविदास जयंती को सामाजिक समरसता के संकल्प के साथ मनाया गया। इस अवसर पर रा.स्व. संघ के प्रान्त कार्यवाह श्री फूल सिंह, रविदास पंथ के संत गोवर्धन दास, संत वीर सिंह महाराज और मासिक पत्रिका राष्टÑदेव के संपादक श्री अजय मित्तल ने कार्यक्रम को संबोधित किया। संत वीर सिंह ने कहा कि भारत में तुगलक, सैयद और लोदी जैसे कट्टर इस्लामिक राजवंशों के शासनकाल के दौरान संत रविदास ने हिन्दुओं का कन्वर्जन होने से रोका, ठीक अपने गुरु रामानंद जी की तरह।
श्री अजय मित्तल ने गुरु रामदास जी के उद्घोष- ‘जात-पात पूछे न कोई, हरि को भजे सो हरि को होई’ और रविदास जी के उद्घोष- ‘जात-पात का नहीं अधिकारा, राम भजे सो उतरे पारा’ का उदाहरण देते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत में वेदव्यास जी ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि जो व्यक्ति वर्ण विशेष में उत्पन्न होने का गर्व करता है, वह ईश्वर के प्रेम से स्वयं को वंचित कर देता है। इस अवसर पर रविदास व वाल्मीकि समाज के 80 मेधावी छात्रों एवं 36 समाजसेवियों को सम्मानित किया गया। (विसंकें,मेरठ)
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