पहाड़ जैसा हौसला
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पहाड़ जैसा हौसला

by
Sep 4, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 04 Sep 2017 10:56:11

 

सुजाता साहू ने लद्दाख के सुदूर गांवों में उन हजारों बच्चों के जीवन में शिक्षा का दीप जलाने का काम किया है जो किसी न किसी कारण से बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते थे

अश्वनी मिश्र
लेह-लद्दाख किसी भी सैलानी को अपनी ओर आकर्षित करता है। चारों तक बिछी बर्फ की श्वेत चादर और प्रकृति के अलग-अलग रूपों को नजदीक से निहारना किसको नहीं सुहाता! इसलिए ही तो सैलानी हर साल हजारों की तादाद में यहां आते हैं और मौज-मस्ती करके वापस चले जाते हैं। दिल्ली की रहने वाली सुजाता भी 2010 में इसी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने वहां गई थीं। लेकिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी जिंदगी बदल दी। वे दिल्ली लौटीं तो जरूर लेकिन मन लद्दाख में ही रह गया। वे बताती हैं,‘‘मेरे पति संदीप साहू समय-समय पर लद्दाख जाते रहते हैं। मैं भी कई बार उनके साथ गई। लेकिन इस बार मैं अकेली गई थी। जो चीजें नहीं देखी थीं, उन्हें देख रही थी। मैं पहाड़ों पर अकेली चढ़ती जा रही थी। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। एकाएक मेरी नजर दो स्थानीय महिलाओं की तरफ गई जो मेरी तरफ आ रही थीं। वे शिक्षिकाएं थीं और स्कूल से वापस लेह बच्चों की ‘यूनिफार्म’ और मिडडे मील का सामान लेने जा रही थीं। वे आपस में जो बात कर रही थीं, उसे सुनने के बाद मुझे आश्चर्य हुआ। वह यहां के कठिन हालातों के बारे में बता रही थीं। इसके बाद मैंने सुदूर इलाकों में ऐसे स्कूल देखे जहां बिजली तो दूर की बात, किताबें और  बैठने के लिए कुर्सियां तक नहीं थीं। यहां तक कि मैंने वहां एक ऐसा स्कूल देखा, जिसमें सिर्फ दो बच्चे थे और एक अध्यापक। लेकिन जो बच्चे दिखे, वे सभी पढ़ने को लेकर बेहद उत्साहित थे। उन्हें अंग्रेजी पाठ्यक्रम के कारण काफी दिक्कत आ रही थी। फिर भी वे खुशी से पढ़ाई कर रहे थे। इसी बात ने मुझे प्रेरित किया और मैंने ठाना कि मैं इन बच्चों की शिक्षा के लिए जरूर कुछ करूंगी।’’

‘‘हमारा उद्देश्य लद्दाख के सुदूर गांवों में प्राथमिक शिक्षा के स्तर को सुधार कर बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल करना है। ’’
— सुजाता साहू

वे दिल्ली वापस आर्इं और अपने पति संदीप साहू से वहां की स्थिति के बारे में बात की और कुछ करने का इरादा जाहिर किया। सुजाता बताती हैं, इससे संदीप बेहद खुश हुए और हमने तय किया कि एक बार फिर हम लद्दाख जाएंगे और आगे क्या करना है, उसकी रणनीति बनाएंगे। समय बीता और हम लददख के लिए निकल पड़े। एक दोस्त डावा जोरा भी हमारे साथ थीं। हम सब लद्दाख में 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिंग्शेद गांव के एक स्कूल गए जहां पहुंचने में हमें 3 दिन लगे। इस दौरान हम घोड़ों और खच्चरों पर बच्चों के लिए किताबें, कपडेÞ, खेल का सामान और कई चीजें लेकर गये थे।
वे आगे बताती हैं,‘‘मैंने जब बच्चों को किताबें दीं और उनके साथ बैठी तो सोचने लगी कि वे किताबों में लिखी हुई उन चीजों को कैसे समझ पाएंगे, जो उन्होंने कभी देखी ही नहीं। मैं अमेरिका से आईटी क्षेत्र की अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर भारत आई। और गुरुग्राम के एक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। इस दौरान बच्चों से मिलकर उनके पढ़ने की योग्यता और अन्य चीजों के बारे मे काफी कुछ जानने का मौका मिला। इसलिए मैं उन बच्चों को देखकर हैरान थी। लेकिन कहीं न कहीं उनकी सरलता और सादगी भरे जीवन से प्रभावित भी थी। ऐसे में अचानक मेरे दिमाग में एक बात कौंधी कि हम सभी 17,000 फुट की ऊंचाई पर हैं। क्यों न इसी नाम से एक फाउंडेशन बनाया जाए जो बच्चों की मदद करे। बस यही वह क्षण था जब ‘17000 फीट फाउंडेशन’ की स्थापना को मन में एक संकल्प की भांति लिया और 2012 में इसकी नींव पड़ी।’’
सुजाता के मुताबिक लद्दाख में काम करने के बारे में सोचना और वास्तव में काम करना- दो अलग चीजें हैं। यहां अनगिनत चुनौतियां हैं।  लेकिन हमने शुरूआत की। मुश्किलें आर्इं, पर जब कुछ सामाजिक संस्थाओं ने हमारी पहल की सराहना की और बच्चों के लिए किताबें दान में दीं तो यकीन हो गया कि हम आगे बढ़ सकते हैं।
वे कहती हैं,‘‘हमारी टीम पहाड़ के छोटे-छोटे गांवों में जाकर प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम करती है और पुस्तकालय स्थापित करती है। साथ ही स्कूल के बुनियादी ढांचे को सुधारते हुए बच्चों के खेलने से जुड़ी चीजें और फर्नीचर वगैरह की भी व्यवस्था करती है। फाउंडेशन के सदस्य हर साल सैकड़ों शिक्षकों को पढ़ाने के नए तौर-तरीके सिखाते हैं और स्कूल में बच्चों के सीखने की क्षमता को सुधारने में उनकी मदद करते हैं। इसके लिए हम एक सप्ताह से लेकर एक महीने तक के अलग-अलग शैक्षिक कार्यक्रम चलाते हैं।’’ सुजाता की मानें तो वे लद्दाख के अलावा कारगिल के इलाकों तक पहुंचना चाहती हैं, जो न केवल बाहरी दुनिया से अलग-थलग हैं बल्कि शिक्षा के मामले में बेहद कमजोर   स्थिति में हैं। इसके लिए हम और हमारी टीम बराबर लगी हुई है।
बहरहाल पिछले पांच वर्ष में 17000 फीट फाउंडेशन का कारवां काफी आगे बढ़ा है। फाउंडेशन ने लद्दाख क्षेत्र के कई गांवों के बच्चों के जीवन को शिक्षा से आलोकित किया है। सुजाता के इसी जुननू के चलते साल 2016 में उन्हें राष्टÑपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।   

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

न्यूयार्क के मेयर पद के इस्लामवादी उम्मीदवार जोहरान ममदानी

मजहबी ममदानी

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies